पांडु नदी करे पुकार, अब तो चेतो सरकार – गंगा की सहायक नदी के संरक्षण संवर्धन के लिए गंगा समग्र करेगा हरसंभव प्रयास – कानपुर फैक्ट्रियों के नालों के जरिये पहुंच रहा जहर: प्रवीण
खागा/फतेहपुर। देव दीवाली कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा समग्र की बैठक आर्य समाज मंदिर में संपन्न हुई। गंगा समग्र के प्रांत जैविक कृषि प्रमुख कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में बैठक संपन्न हुई। गंगा समग्र सहायक नदी प्रमुख, मां गंगा सेवक, बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पांडेय बताया कि फतेहपुर के मां गंगा की पांच सहायक नदियां हैं जिसमें यमुना, पांडु, रिंद, ससुर खदेरी-1 व ससुर खदेरी-2 शामिल है। ससुर खदेरी नदी का साफ सफाई खुदाई का कार्य इस वर्ष समाजसेवियों, प्रशासन, पत्रकारों के अथक प्रयास श्रमदान से पूर्ण हुआ।
प्रवीण पांडेय ने बताया कि पांडु नदी प्रमुख सहायक नदियों में से एक है। कन्नौज के हसेरन क्षेत्र के कंसुआ झील से पांडु नदी की शुरूआत हुई। हसेरन से बैसपुर, सकतपुर होते हुए, ठठिया थाना की सीमा में पहुंची। औसेर, सिमरिया, रपरा होते हुए कानपुर देहात के विषधन गांव में पहुंची। इसके बाद यहां कानपुर नगर की सीमा से होते हुए फतेहपुर जिला में गंगा नदी से मिली है। इसकी लंबाई करीब 120 किलोमीटर है। कभी फर्रुखाबाद से लेकर कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर और फतेहपुर जनपदों के गांव पानीदार हुआ करते थे। गंगा से जन्मी पांडु नदी के पानी से संचित खेत भरपूर पैदावार देते थे। अन्नदाता खुशहाल था। मगर हमने अपने स्वार्थ के कारण इस नदी के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया। कन्नौज में यह नदी अतिक्रमण के कारण संकरी हो गई। पानी तो पिछले कई सालों से नहीं आया। हां, जब बारिश होती है तो खेतों का या अन्य स्थानों का पानी इसमें जरूर आ जाता है। बारहमासी ये नदी अब मौसमी हो गई है। जिस कारण लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। फसलों की सिंचाई तो प्रभावित है ही, साथ ही तटवर्ती क्षेत्रों का जल स्तर भी तेजी से घट रहा है। अगर अभी से इस नदी को बचाने के प्रयास शुरू नहीं किए गए तो वो दिन दूर नहीं जब लोग बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे। जरूरत है इच्छा शक्ति और जागरूकता की। तभी इस नदी को नया जीवन मिलेगा और हम सभी को जीने का आधार। नदी में घास उग आई है। जमीन पथरीली हो गई, पानी न होने के कारण धूल उड़ रही है। नदी की ओर अफसरों की नजरें इनायत न होने से सफाई भी नहीं होती है। श्री पांडेय ने बताया कि पांडु नदी कानपुर नगर में प्रवेश करने के बाद गंदे नाले में तब्दील हो गई। लगभग छह हजार से ज्यादा छोटे-बड़े कल-कारखानों का औद्योगिक रासायनिक कचरा नालों के जरिये पांडु नदी में पहुंच रहा है। पनकी थर्मल पावर प्लांट की गर्म फ्लाई एश भी पांडु नदी में डाली जा रही है। एक जानकारी के मुताबिक, पनकी पावर प्लांट की फ्लाई एश प्रतिदिन लगभग 40 टन निकलती है। नदी के पानी में श्गर्म फ्लाई एशश् के गिरने से नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है। इसके अलावा सीओडी नाले के जरिये घरों का कचरा भी नदी में पहुंच रहा है। नदी में प्रदूषण बढ़ने के कारण इसकी कोख में पलने वाले जीव-जंतु भी मर रहे हैं। गंगा समग्र के कुलदीप सिंह ने बताया कि गंगा समग्र नदियों के संरक्षण के प्रतिबद्ध है। इनके संवर्धन के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। इस मौके पर गंगा समग्र के जिला पदाधिकारी राम प्रसाद, अरुण सिंह, आदित्य पांडेय प्रांसू, सूर्या पाण्डेय, पीयूष त्रिपाठी, कुनाल सिंह आदि रहे।