इटली, जर्मनी और चिली के कुछ रिसर्चर्स ने हाल ही में एक शोध किया। जिसमें पाया कि शाम के समय काम करने वाले लोगों में एंग्जायटी डिसऑर्डर की समस्या ज्यादा आती है। इन्हें एंग्जायटी से रिलेटेड और भी कई दिक्कतें आ सकती हैं।
यहां पर शाम के समय काम करने का मतलब है-
- अगर आप इवनिंग शिफ्ट में ऑफिस जाते हैं
- शाम को अपनी दुकान खोलते हैं।
- पैसे कमाने के लिए शाम को कोई भी नौकरी, बिजनेस या मजदूरी का काम करते हैं।
- जैसे- गार्ड या सिक्योरिटी की नौकरी।
अगर आपको लगता है कि आप रात में या सुबह जल्दी अपना परफॉर्मेंस ज्यादा अच्छा दे पाते हैं इसलिए काम के लिए ये समय ठीक है, तो आप एंग्जायटी डिसऑर्डर के शिकार हो सकते हैं। वक्त रहते संभल जाइए। आज जरूरत की खबर में इसी मुद्दे पर करेंगे चर्चा और जानेंगे इससे बचने के कुछ उपाय।
सवाल- शाम की शिफ्ट आमतौर पर कितने बजे से कितने बजे तक रहती है?
जवाब- यह आमतौर पर दोपहर में देर से शुरू होती है और आधी रात को खत्म। जैसे- शाम 4 बजे से रात 12 बजे तक या 1 बजे तक।
सवाल- शाम 4 से 12 तक ऑफिस वाले तो काम करते होंगे, लेकिन इसमें कौन से बिजनेस या मजदूर वर्ग के लोग शामिल हो सकते हैं?
जवाब- आपके आसपास कोई ठेले वाले भैया जरूर होंगे, जो शाम को ही चाट-फुल्की बनाते होंगे। दोपहर में नहीं। रेस्टोरेंट और बार में बहुत से वेटर भैया भी इस शिफ्ट में काम करते हैं।
सवाल- शाम की शिफ्ट में दुकान, क्लिनिक, डिस्पेंसरी, सिक्योरिटी गार्ड या ऑफिस जैसी किसी भी जगह में काम करने पर क्यों दिक्कत होती है?
डॉ. बालकृष्ण- जानवर हो या पक्षी, सभी की एक बायोलॉजिकल क्लॉक होती है। जिसमें ये डिसाइड रहता है कि वो कब शिकार करेंगे, कब खाएंगे और कब सोएंगे। अगर वो समय पर अपना काम न करें, तो उनकी फिजिक और मेंटल हेल्थ पर असर पड़ सकता है। ऐसा ही सिस्टम इंसानों पर भी लागू होता है। उनकी भी बायोलॉजिकल क्लॉक है। अगर वो इससे छेड़छाड़ करते हैं, तो उन्हें वाकई एंग्जायटी डिसऑर्डर हो सकता है।
सवाल- क्या शाम के समय काम करने पर एंग्जायटी डिसऑर्डर के अलावा और भी कोई दिक्कत आ सकती है?
सवाल- ऊपर ग्राफिक में जिस एंग्जायटी और डिप्रेशन की बात की गई, वो तो एक ही है, फिर अलग-अलग क्यों बताया गया है?
डॉ. बालकृष्ण- बिल्कुल नहीं। एंग्जायटी और डिप्रेशन दोनों अलग-अलग चीज है। एंग्जायटी का मतलब होता है चिंता या घबराहट महसूस होना। वहीं डिप्रेशन का मतलब होता है मन में नेगेटिव या नकारात्मक विचार आना।
शाम की शिफ्ट के नुकसान को अब थोड़ा डिटेल में समझिए-
अपच- शाम की शिफ्ट में काम करने वाले लोग अक्सर घर जाकर ही खाना खाते हैं। अगर आप 12 बजे छूट कर 1 बजे तक घर में खाना खाते हैं, तो आपके खाने का रूटीन बिल्कुल गलत है। आपके हॉर्मोनल कंपोनेंट रात में ज्यादा खाना नहीं खाने की इजाजत देते हैं और काम से थके हारे लोग 1 बजे रात में ज्यादा खाकर सो जाते हैं। फिर सुबह देर से उठते हैं। बॉडी कोई एक्टिविटी करती ही नहीं है, तो भला खाना पचेगा कैसे।
हार्ट की दिक्कत- एंग्जायटी और डिप्रेशन का सीधा असर आपके हार्ट यानी दिल पर पड़ता है। आप चिंता, घबराहट और नेगेटिव थॉट्स में डूबे रहेंगे, तो हार्ट पर असर तो होगा ही।
एंग्जायटी और डिप्रेशन- कई बार फील होता है कि शाम की जिंदगी तो है ही नहीं हमारी। बस सुबह उठो, अपना काम करो और निकल पड़ों पैसे कमाने के लिए। मेरे आसपास के लोगों को देखो शाम को अपने फैमिली और फ्रेंड्स के साथ घूमने-फिरने निकल जाते हैं और एक मैं हूं। आपकी ये सोच ही डिप्रेशन और एंग्जायटी की वजह है।
ब्लड प्रेशर- एंग्जायटी, डिप्रेशन और खराब लाइफस्टाइल से ही ब्लड प्रेशर भी घटता-बढ़ता रहता है।
डायबिटीज- टाइप2 डायबिटीज खराब लाइफस्टाइल होने के कारण होती है। जैसे मान लीजिए आप शाम को अपनी दुकान खोले और अचानक भूख लगी। फिर क्या बाजू में टेस्टी कचौड़ी मिल रही थी। उसे खरीद कर खा लिया। वो इतनी टेस्टी लगी कि उसे रोज ही खाने लग गए। ऐसे में आपकी लाइफस्टाइल, खानपान और हेल्थ बिगड़ेगी और हो जाएंगे आप डायबिटीज के पेशेंट।
सवाल- आपने शाम और सुबह के समय को लेकर तो जानकारी दे दी, आजकल Security गार्ड्स ही नहीं बल्कि IT, Media और Medical फील्ड के लोग नाइट शिफ्ट में ज्यादातर रहते हैं। अब ये बताएं कि रात में काम करने के भी कोई नुकसान हैं क्या?
जवाब- बिल्कुल, नाइट शिफ्ट करने के भी कुछ नुकसान हैं। जैसे-
- नींद से रिलेटेड दिक्कतें
- हार्ट डिजीज
- मोटापा
- आंखों के नीचे डार्क सर्कल
- वर्किंग मेमोरी पर असर
- मेंटल पीस में कमी
चलिए दो नर्स के वर्क पैटर्न से समझने की कोशिश करते हैं कि डे और नाइट शिफ्ट के बीच काम करने के बाद मानसिक, शारीरिक और सामाजिक तौर पर क्या अंतर होगा
डे शिफ्ट- सिस्टर लता
नाइट शिफ्ट- सिस्टर मैरी
सुबह 8 बजे- सिस्टर लता के काम की शुरुआत सिस्टर मैरी के पेशेंट चार्ट के रिव्यू से होती है। सिस्टर मैरी, उनकी मुलाकात पेशेंट से करवाकर घर चली जाती हैं।
सुबह 10 बजे – पेशेंट का चेकअप और उन्हें दवाइयां देने में व्यस्त हैं सिस्टर लता। सिस्टर मैरी घर पहुंचकर घर का काम निपटा कर सोना चाहती हैं।
दोपहर 1 बजे- सिस्टर लता कैंटीन में लंच कर रही हैं, उनके पास बहुत थोड़ा सा टाइम है। सिस्टर मैरी थोड़ी देर सो कर उठ गई हैं, उन्हें लंच बनाना है, बच्चे 2 बजे घर आते हैं।
शाम 4 बजे- रूम नंबर 5 के पेशेंट की हालत अचानक सीरियस हो गई। सिस्टर लता डॉक्टर को असिस्ट कर रही हैं। सिस्टर मैरी को हॉस्पिटल जाना है इसलिए वो बच्चों का खाना बना रही हैं।
शाम 7 बजे- सिस्टर मैरी हॉस्पिटल पहुंच चुकी हैं, सिस्टर लता अपनी ड्यूटी उन्हें सौंप कर घर के लिए निकल जाती हैं।
रात 10 बजे- सिस्टर लता अपना फेवरेट सीरियल देख रही हैं। सिस्टर मैरी अपनी एनर्जी को बनाए रखने के लिए पानी और हाई प्रोटीन डाइट ले रही हैं।
रात 12 से सुबह 6 बजे- सिस्टर लता सो रही हैं और सिस्टर मैरी अलर्ट हैं कब किसी पेशेंट को उनकी जरूरत पड़ जाए।
सिस्टर लता और मैरी के शेड्यूल को हमने समझ लिया, अब नीचे लगे क्रिएटिव से जानते हैं कि डे और नाइट शिफ्ट में काम करने का फायदा-नुकसान क्या हैं…