शुद्धता के लिए भाई-बहनों की आपस में शादी पर रोक, कोर्ट का फैसला- यह धार्मिक मामला नहीं, आप ये नहीं कर सकते

 

 

केरल में एक ऐसा ईसाई समुदाय है, जो खुद को जातिगत रूप से शुद्ध मानता है। अपनी इस शुद्धता को बनाए रखने के लिए भाई-बहनों की आपस में ही शादी करा दी जाती है। अब कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। कोट्‌टायम कोर्ट ने कहा कि यह धार्मिक मामला नहीं है।

दरअसल, कनन्या कैथोलिक समुदाय खुद को 72 यहूदी-ईसाई परिवारों का वंशज मानता है, जो 345 ईस्वी में थॉमस ऑफ किनाई व्यापारी के साथ मेसोपोटामिया से यहां आए थे। किनाई ही बाद में कनन्या हो गया। ये अपनी जातिगत शुद्धता बनाए रखने के लिए समाज से बाहर शादी नहीं करते। कोई करता है, तो उसे समाज बहिष्कृत कर दिया जाता है। उसके चर्च या कब्रिस्तान जाने पर पाबंदी लगा दी जाती है।

समुदाय की नहीं थी पत्नी, पति को समाज से निकाला
केरल के कोट्‌टायम और आसपास के जिलों में 1,67,500 ऐसे सदस्य हैं। इनमें 218 पादरी और नन हैं। कोर्ट में अपील दायर करने वाले समूह की सदस्य सांथा जोसेफ का कहना है कि मेरे पति को उनके समाज से निकाल दिया गया क्योंकि मैं ईसाई तो थी, लेकिन उनके समुदाय की नहीं थी।

माता-पिता की कब्र के पास भी नहीं जा सकते
अब वे उस कब्रिस्तान में भी नहीं जा सकते थे, जहां उनके माता-पिता को दफनाया गया था। रिश्तेदारों की शादियों और अंतिम संस्कार में भी शामिल होने का अधिकार नहीं था। तब हमने कनन्या कैथोलिक नवीकरण समिति बनाई और इसके खिलाफ कोर्ट में अपील दायर की।

महिला की मृत्यु होने पर पुरुष को फिर अपना लेते हैं
वह रिश्तेदारों की शादियों या दूसरे आयोजनों में नहीं जा सकता। लेकिन पुरुष ने बाहरी लड़की से विवाह किया और उस महिला की मृत्यु हो जाती है तो उसे वापस समाज में ले लिया जाता है। उसे फिर समुदाय की किसी लड़की से शादी करनी होगी, लेकिन पहली पत्नी के बच्चे समुदाय में नहीं लिए जाते। इसलिए कई बार एक ही परिवार में लोग अलग-अलग पंथ का अनुसरण करते हैं।

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