प्रदेश में निजी कॉलेजों से नर्सिंग में बीएससी, एमएससी व पोस्ट बेसिक बीएससी करने वाले विद्यार्थियों को अब राजकीय मेडिकल कॉलेजों में क्लीनिकल प्रशिक्षण मिलेगा। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नई गाइडलाइन तैयार की है। इससे निजी नर्सिंग कॉलेजों के करीब 12 हजार विद्यार्थियों को लाभ होगा।
प्रदेश में बीएससी नर्सिंग की 13,030, एमएससी नर्सिंग की 1,094 और पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग की 2,460 सीटें हैं। इनमें से करीब 12 हजार सीटें निजी क्षेत्र के नर्सिंग कॉलेजों की हैं। इन कॉलेजों में पढ़ाई के बाद क्लीनिकल प्रशिक्षण नहीं मिलने का आरोप अक्सर लगता है। इसकी वजह अस्पतालों में सीमित संसाधन व मरीजों की संख्या कम होना बताया जाता है।
वहीं, निजी नर्सिंग कॉलेज संचालक भी सरकारी अस्पतालों में क्लीनिकल प्रशिक्षण देने की मांग करते रहे हैं। ऐसे में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने क्लीनिकल प्रशिक्षण को लेकर नई गाइडलाइन तैयार की है। विभाग की विशेष सचिव दुर्गा शक्ति नागपाल ने इसे जारी करते हुए उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी के सचिव प्रो. आलोक कुमार को क्लीनिकल प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हंै। प्रत्येक राजकीय मेडिकल कॉलेज को एक साल में करीब 300 विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देना होगा।
प्रशिक्षण के लिए विद्यार्थियों को देनी होगी परीक्षा
निजी नर्सिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों को सरकारी कॉलेजों में क्लीनिकल प्रशिक्षण के लिए परीक्षा देनी। एक घंटे की परीक्षा में 100 अंक के 50 प्रश्न पूछे जाएंगे। तीन दिन में परिणाम घोषित होगा। इसमें 33 फीसदी से अधिक अंक पाने वाले विद्यार्थियों की मेरिट बनेगी। फिर उन्हें सरकारी कॉलेज में क्लीनिकल प्रशिक्षण के लिए दाखिला मिलेगा। इसके लिए सुपरवाइजर नियुक्त होगा।
बीएससी नर्सिंग के विद्यार्थियों को तीन वर्ष की पढ़ाई के बाद दो माह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसी तरह पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग के विद्यार्थियों को पहले साल की पढ़ाई के बाद दो माह और एमएससी नर्सिंग के विद्यार्थियों को अंतिम वर्ष में दो माह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण का बैच तैयार करते समय मेडिकल कॉलेज में बेड और स्टाफ नर्स की उपलब्धता का ध्यान रखा जाएगा। एक स्टाफ नर्स के साथ छह विद्यार्थियों को जोड़ा जाएगा। प्रशिक्षण पूरा होने पर मेडिकल कॉलेज प्रमाण पत्र देंगे।
मेडिकल कॉलेजों को भी होगा फायदा
निजी नर्सिंग कॉलेज क्लीनिकल प्रशिक्षण के लिए एक शैक्षिक सत्र में राजकीय मेडिकल कॉलेज को पांच हजार रुपये शुल्क देंगे। वहीं, मेडिकल कॉलेजों को नर्सिंग क्षेत्र में दो-दो माह के लिए अलग-अलग बैच में मैन पावर मिलता रहेगा। राजकीय और निजी कॉलेज के बीच एक समन्वय समिति बनेगी। क्लीनिकल प्रशिक्षण पूरा होने के बाद नर्सिंग स्टॉफ, फैकल्टी और विद्यार्थियों से फीडबैक लिया जाएगा। इसके आधार पर व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएगा।
निजी कॉलेजों से नर्सिंग करने वाले विद्यार्थी नई व्यवस्था से राजकीय मेडिकल कॉलेजों के तौर तरीके सीख सकेंगे। वे किताबी ज्ञान के साथ अस्पताल में स्टाफ नर्स के नेतृत्व में चिकित्सीय प्रक्रिया को समझ सकेंगे। -प्रो. आलोक कुमार श्रीवास्तव, सचिव, उत्तर प्रदेश मेडिकल फैकल्टी नई व्यवस्था से सरकारी और निजी नर्सिंग कॉलेज के विद्यार्थियों की कार्य कुशलता में समानता आएगी।