आधुनिकता की अंधी दौड़ में गायब हो गया पुरातात्विक टीला – विजयीपुर ब्लाक के कुकरी गांव में था प्राचीन टीला – बीते पांच वर्षों में धीरे-धीरे करके गायब हो गया टीला
खागा/फतेहपुर। विजयीपुर ब्लाक के कुकरी मजरे तिलकापुर गांव में आबादी के बाहर स्थित प्राचीन टीला मिट्टी की जरूरत पूरी करने में गायब हो गया। ग्रामीण बीते कई वर्षों से इसकी खोदाई में लगे थे। तीन साल पहले डेडीकेटेड फ्रैट कैरीडोर बनाने के लिए टीला से मिट्टी खोदाई हुई। उसके बाद से तो दिन-रात खोदाई करके टीला नष्ट करने वालों के बीच होड़ सी लग गई।
गांव के नजदीक से होकर गुजरे दिल्ली-हावड़ा रेलवे लाइन के किनारे यह टीला स्थित था। इसका इतिहास बेहद प्राचीन रहा। जल, जंगल व जमीन के लिए आंदोलन चला रहे नगर निवासी इंजीनियर प्रवीण पांडेय ने बताया कि टीला खोदाई में निकली ईंटों को देखने से लग रहा है कि यह एक हजार वर्ष से भी ज्यादा पुरानी हैं। स्थानीय प्रशासन ने समय रहते इस दिशा में ध्यान नहीं दिया। जिसकी वजह से पुरातात्विक महत्व वाला टीला गायब हो गया। कुकरा व तिलकापुर गांव के बुजुर्गों का कहना था पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद तत्कालीन ग्राम प्रधानों ने भूमिहीन परिवारों के नाम पर यह टीला कर दिया था। काश्तकारों से मिलकर मिट्टी खोदने-बिक्री करने वालों ने टीला ही समतल कर दिया। अमर बलिदानी ठा. दरियाव सिंह स्मारक समिति के मंत्री राम प्रताप सिंह ने बताया कि तीन साल पहले टीला समतल करने की जानकारी हुई थी। ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उन्होंने समझाने का प्रयास किया। कुछ दिन खनन बंद रखने के बाद धीरे-धीरे करके इसे मशीनों से समतल करके खेत बना लिए गए। प्राचीन धरोहरों के जानकार डा. राजेंद्र सिंह का कहना था कुकरी टीला के बगल से गुजरे डेडीकेटेड फ्रैट कैरीडोर के लिए मिट्टी पुराई में इसे नुकसान पहुंचाया गया। कई प्राचीन वस्तुओं, कुआं तथा पुरातात्विक पहचान को नष्ट कर दिया गया।
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टीला खोदने की होगी जांच
खागा/फतेहपुर। इस विषय पर जब उप जिलाधिकारी मनीष कुमार से बात की गई तो उनका कहना रहा कि पुरातात्विक महत्व वाले टीला को खोदने या फिर मिट्टी बिक्री करने की जानकारी नहीं है। क्षेत्रीय लेखपाल से अभिलेख मंगाकर देखा जाएगा।