नव वर्ष का स्वागत एवं गत वर्ष की विदाई को कवि गोष्ठी का हुआ आयोजन

बिंदकी-फतेहपुर। न्यूज वाणी बिंदकी वैचारिक मंच एवं गोस्वामी फाउंडेशन के तत्वावधान में नव वर्ष का स्वागत एवं गत वर्ष की विदाई को लेकर एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन नगर के गांधी चैराहा में किया गया जिसमें कवियों ने राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत कविताएं सुनाकर लोगों का मन मोह लिया। प्रेम सागर तिवारी जनक ने अपनी रचना में कहा ष्सूर स्वाधीनता के लिए राजसुख त्याग खाते रहे घास की रोटियांष् भैया जी अवस्थी करुणा करने अपनी रचना ने कहा कि ष्अस्त-व्यस्त जनजीवन को है किए ठंड का घोर कहर शीतलहर का ठहर पा रहा ना जोर हर ओर कहर मानव ही क्या पशु-पक्षी बेहाल ठंड से कर्राते दांव लगाए जिंदगी यों की जो ठंड से थर्रातेश शिव प्रकाश गोस्वामी ने पारिवारिक हालातों में कटाक्ष करते हुए कहा ष्उलझे हालात के दरमियां खो गया सपनों का प्यारा सा जहां खो गया एक कमरे में सिमटी सी दुनिया हुई साथ रिश्ते का वह कारवां हो गयाष्। गौरव सिंह अबोध ने वृक्ष बचाओ अभियान के तहत कहा पेढ काट कर हे मनुज काट रहा निज वंश दंश तेरा तुझको डसे मिटेगा तेरा अंशष्। रहमतुल्ला नजमी ने अपनी वेदना इन शब्दों में बयां कीष् पिला के रक्त जिसे हमने वा वकार किया सबसे पहले उसी ने हम पर वार कियाष्। इस मौके पर कवियों ने अपनी रचनाओं में स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के जन्मदिवस 25 दिसंबर की स्मृति में भी रचनाएं पढ़ी ।मेवा लाल गुप्त ने कहा ष्एक बार भारत में फिर से आ जाओ हे अटल बिहारी। राजकुमार गुप्ता नलिन ने कहा कट्टर विरोधी भी सराहते नलिन इन जिन्हें हर दिल अजीज नेता अटल बिहारी हैंष्। उमाशंकर गुप्ता ने अपनी रचना में कहाष् दीप बनकर जल रहा हूं इस निविड निश्चर निकर में तिमिर को जीने ना दूंगा और छिप छिप रक्त दुनिया का इन्हें पीने न दूंगाष् ।अपने अध्यक्षीय संबोधन में वेद प्रकाश मिश्रा ने अखबारों में प्रकाशित एक खबर का हवाला देते हुए कहाष् चेतो ओ समोसा के चहेतों समोसा का चरित्र अब हो गया है बाजारू कारण उसके अंदर की आलू आई है पीकर दारूष् ।कवि माधुरी सरन, शिव दत्त तिवारी, राजाराम यादव, अरुण द्विवेदी, सुनील पुरी आदि ने भी अपनी रचनाएं पढ़ी। काव्य गोष्ठी का सफल संचालन हयातुल्लाह नजमी ने किया उन्होंने शेरो शायरी और गजल से समा बांधा। संयोजक सुनील पुरी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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