फतेहपुर। ठंड का मौसम शुरू होते ही सब्जियों के भाव आसमान छू रहे है। मंहगाई के कारण गृहस्थी चलाने वाली महिलाओं का बजट पटरी से उतर गया हैं। मंहगाई की मार से टमाटर दिनों दिन लाल होता जा रहा है तो मंहगी होती प्याज महिलाओं को रूला रही है। गरीबों की थाली से जायका देने वाली सब्जी दिखाई नही पड़ रही है। यह हाल तब है जब शादियों का माहौल शुरू हो गया है। सर्दियों के दिनों में प्रायः सब्जी की दाम घट जाते है जिसका कारण है कि इन दिनों सब्जियों की पैदावार अच्छी होती है। इसका एक बड़ा कारण अधिक बारिश होना माना जा रहा है। एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि इस बार बेमौसम हुयी बारिश के कारण भी सब्जियों के दाम में बेतहाशा उछाल आया है। बताया कि सर्दी का मौसम शुरू होते ही टमाटर व हरे धनिया का दाम काफी गिर जाता है, किन्तु इस बार पर्याप्त आवक न होने के चलते दाम आसमान छू रहे है।
ठंड के मौसम में कई प्रकार की सब्जियॉ बाजार में आ जाती है, लेकिन इस बार सब्जियों के दामों में खासा परिवर्तन देखा जा रहा है। इसके पीछे बीते दिनों बेमौसम बारिश होना भी माना जा रहा है। सर्दी की शुरूआत में ही सब्जियों के दाम में बेतहाशा वृद्धि से गृहणियों के माथे पर चिंता की लकीरें तन गयी है। बाजार में आया लाल टमाटर इतना महंगा है कि यह सब्जियों में छौंक की तरह डाला जा रहा है जिससे गरीब की थाली से सब्जी गायब हो गयी है तो मध्यमवर्गीय परिवारों के खाने का स्वाद फीका पड़ गया है। इस बारे में रेलबाजार मोहल्ला निवासिनी सुधा देवी ने बताया कि महंगी होती सब्जियों ने उनके घर का जायका बिगाड़ दिया है। सब्जियों के मंहगे हो जाने से बजट का संतुलन बनाना पड़ रहा है। कलक्टरगंज निवासी दीपक दुबे ने बताया कि महंगाई की मार इस कदर पड़ रही है कि सब्जी खाने के लिए सोचना पड़ रहा है। घर से सौ रूपया लेकर निकलने एवं घर लौटने पर झोला भी नही भर पा रहा है। आलू, प्याज टमाटर, धनिया, मिर्चा आदि रोज प्रयोग में आने वाली सब्जियों के दाम आसमान छू रहे है। मुराइनटोला निवासिनी साधना मिश्रा ने बताया कि सब्जी के बढ़ते भाव ने घर का बजट खराब कर दिया है। सब्जियों में आई मंहगाई के कारण अन्य कोई कार्य नहीं हो पा रहे है। हरिहरगंज निवासी टीटू गुप्ता ने बताया कि सब्जियों में छाई मंहगाई के कारण अन्य सभी कामों में कटौती करनी पड़ रही है। महीने की आय सीमित होने व सब्जियों के भाव चढ़ने से बजट बेपटरी हो गया है। अन्य खर्चो में से कटौती करके गृहस्थी चलानी पड़ रही है।