चलती ट्रेन में गर्दन से आर-पार हुई लोहे की रॉड, हुई मौत, ट्रेन के सफर में एक्सीडेंट हो तो कैसे करें क्लेम
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में पटरी पर पड़ा एक सब्बल नीलांचल एक्सप्रेस की खिड़की तोड़ते हुए यात्री की गर्दन में जा घुसा और सिर फाड़ते हुए निकल गया। यात्री की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के वक्त ट्रेन की रफ्तार 110 किमी/घंटा थी। हादसे के बाद कम्पार्टमेंट में चीख-पुकार मच गई। कम्पार्टमेंट का फर्श खून से लाल हो गया। इस बीच अन्य यात्रियों ने चेन पुलिंग करके ट्रेन रोकी। GRP और RPF को बुलाया। शव को ट्रेन से बाहर निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।
सवाल- क्या हम जैसे ही रेलवे स्टेशन के अंदर कदम रखते हैं, वैसे ही रेलवे की जिम्मेदारी यात्रियों को लेकर शुरू हो जाती है?
जवाब- बिल्कुल, लेकिन आपके सामान की नहीं, आपकी यानी यात्री की। अपने सामान की सेफ्टी के लिए यात्री खुद ही जिम्मेदार है।
सवाल- रेलवे परिसर या ट्रेन में यात्रा के दौरान यात्री को फिजिकली कोई नुकसान पहुंचे तो क्या होगा?
जवाब- रेलवे एक्ट 1989 की धारा 124 के अनुसार, किसी यात्री का एक्सीडेंट हो या उसकी अचानक मृत्यु हो जाए, तो उसे मुआवजा दिया जाएगा।
सवाल- किस-किस सिचुएशन में एक्सीडेंट या मौत होने पर यात्रियों को मुआवजा मिलता है?
जवाब- साल 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार-
- ट्रेन में यात्रा के दौरान
- यात्रा पूरी करके ट्रेन से उतरने के दौरान
- स्टेशन परिसर में
सवाल- बहुत से लोग आत्महत्या करने के लिए रेलवे का सहारा लेते हैं जैसे- चलती ट्रेन के सामने खड़े हो जाना या ट्रेन में यात्रा के दौरान उससे कूद जाना। ऐसी सिचुएशन में भी मुआवजा मिलेगा?
जवाब- बिल्कुल नहीं। ऐसी सिचुएशन की जिम्मेदारी न ही रेलवे प्रशासन लेगा और न ही रेलवे की तरफ से कोई मुआवजा दिया जाएगा।
इसके अलावा अगर कोई यात्री…
- आत्महत्या करने के दौरान बच जाता है।
- उसे चोट आ जाती है।
- उसकी मौत हो जाती है।
- कोई यात्री नशा करके खुद को नुकसान पहुंचाता है।
तब भी उसे किसी भी तरीके का मुआवजा रेलवे की तरफ से नहीं दिया जाएगा। उल्टा यात्री आत्महत्या करने के दौरान बच जाता है, तो उस पर कानूनन केस रजिस्टर्ड होगा। याद रखें कि हमारे देश में आत्महत्या को अपराध माना गया है।
सवाल- क्या बिना टिकट यात्रा करने वाले यात्री की जिम्मेदारी भी रेलवे लेता है या नहीं?
जवाब- साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था, जिसमें…
- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन की बेंच ने साफ कहा था कि सिर्फ टिकट न होने पर यात्री या उसकी फैमिली के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता।
- हालांकि, मुआवजे के दावे को क्लियर करने के लिए यात्रा से रिलेटेड दूसरे डॉक्यूमेंट्स दिखाना जरूरी होंगे।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में ये भी कहा था कि…
- यात्रा के दौरान मौत या घायल होने पर यात्री मुआवजे का हकदार होगा।
- मुआवजा सभी तरह की दुर्घटनाओं पर लागू होगा।
- दुर्घटना के लिए यात्री की लापरवाही को कारण बताकर रेलवे मुआवजा देने से बच नहीं सकता है।
- हालांकि आत्महत्या और खुद को जानबूझकर पहुंचाई गई चोट में ये नियम लागू नहीं होगा।
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सवाल- अगर रेलवे परिसर या ट्रेन में किसी की नेचुरल डेथ होती है जैसे- हार्ट अटैक। क्या तब भी यात्री और उसके परिवार को मुआवजा मिलेगा?
जवाब- नहीं। ऐसी सिचुएशन में कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। क्योंकि नेचुरल डेथ रेलवे की गलती की वजह से नहीं हुई है।सवाल- एक्सीडेंट या मौत होने पर मुआवजा कितना मिलेगा?
जवाब- जिस व्यक्ति की मौत या एक्सीडेंट हुआ है, उसकी अर्निंग यानी कमाई कितनी थी, उसके आधार पर मुआवजा मिलेगा। हालांकि यात्री और उसका परिवार अपने हिसाब से मुआवजे की रकम तय कर सकते हैं और ट्रिब्यूनल के सामने दावा पेश कर सकते हैं। मुआवजा कितना देना है और कितना नहीं, इसका लास्ट डिसीजन ट्रिब्यूनल ही करता है।