गंजापन…आजकल ये समस्या बहुत से लोगों को है। इसकी वजह से कॉन्फिडेंस की कमी, शादी न हो पाना और दोस्त तक बनाने में परेशानी होती है। लोग सोशल मीडिया में अपनी प्रोफाइल फोटो नकली बाल के साथ लगाकर डालते हैं। ताकि कोई उन्हें गंजेपन की वजह से जज न करे। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग अलग-अलग तरह के ट्रीटमेंट ले रहे हैं। जिसमें से एक है हेयर ट्रांसप्लांट। क्या ये सुरक्षित है? ये सबसे बड़ा सवाल है।
दिल्ली में 30 साल के अतहर रशीद की हेयर ट्रांसप्लांट के बाद जान चली गई। अब उनका परिवार मुआवजे की मांग कर रहा है।
आज जरूरत की खबर में बात करेंगे हेयर ट्रांसप्लांट पर।
सवाल- गंजेपन के लिए कराया जाने वाला हेयर ट्रांसप्लांट क्या होता है?
जवाब- जिन लोगों के सिर के बाल झड़ जाते हैं और वो गंजे दिखने लगते हैं। वो हेयर ट्रांसप्लांट के जरिए दोबारा सिर पर बाल पा सकते हैं।
इसमें प्लास्टिक सर्जन, ट्राइकोलॉजी या डर्मेटोलॉजिकल सर्जन सिर के गंजे जगह पर बाल लगाते हैं। हेयर ट्रांसप्लांट से पहले पेशेंट को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे उसे दर्द का एहसास न हो।
सवाल- हेयर ट्रांसप्लाट से कोई नुकसान न पहुंचे, इसके लिए क्या करना चाहिए?
जवाब- अगर ये ट्रीटमेंट किसी ट्रेंड स्पेशलिस्ट से करवाया जाए, तो इसके फेल होने से लेकर साइड इफेक्ट होने तक का खतरा न के बराबर हो जाता है।
हेयर ट्रांसप्लांट करवाने से पहले इस तरह चेक करें कि प्रोफेशनल काबिल है कि नहीं…
नेशनल मेडिकल कमीशन की 2022 की गाइडलाइन के अनुसार…
- जिसने कॉस्मेटिक प्रोसीजर में फार्मल सर्जिकल की ट्रेनिंग ली हो।
- रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर हो और सर्जिकल प्रोसीजर में ट्रेनिंग के साथ डर्मेटोलॉजी में MD/DNB होल्डर हो।
- यूट्यूब वीडियो बनाना या लैब टेक्नीशियन होना, किसी व्यक्ति को हेयर ट्रांसप्लांट करने के लिए योग्य नहीं बनाता है।
सवाल- गंजेपन की समस्या दूर करने के लिए हेयर ट्रांसप्लांट कितने तरीके से किया जाता है?
जवाब- ये दो तरीके से किया जाता है। हालांकि दोनों ही तरीके में…
- लोकल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल करके सिर को सुन्न किया जाता है।
- सिर के पीछे वाले हिस्से के हेल्दी बालों के फॉलिकल्स को निकालते हैं।
- फिर इन बालों को बिना बाल वाली जगह में ट्रांसप्लांट करते हैं।
- फॉलिकल्स बालों के रोम को कहते हैं, जिससे नए बाल आते हैं।
अब दोनों तरीकों को समझ लीजिए-
फॉलिक्युलर यूनिट ट्रांसप्लांटेशन (Follicular Unit Transplantation)- इसे FUT के नाम से भी जानते हैं। सिर के जिस जगह पर बाल हैं, वहां से स्किन लेकर बिना बाल वाली जगह पर ट्रांसप्लांट किया जाता है। इस प्रोसेस के कारण उस पर्टिकुलर जगह पर निशान पड़ जाता है, लेकिन बाल उगने के बाद वो निशान ढक जाता है।
फॉलिक्युलर यूनिट एक्सट्रैक्शन (Follicular Unit Extraction)- इसे FUI के नाम से भी जानते हैं। इसमें बारी-बारी से हेल्दी बालों के फॉलिकल्स को मैनुअली निकालकर ट्रांसप्लांट करते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादातर किया जाता है। इसमें दर्द कम और हीलिंग जल्दी होता है।
सवाल- किसी भी व्यक्ति को कैसे पता चलेगा कि कौन सा तरीका उसके लिए सही है और कौन सा नहीं?
जवाब- ये आपके हेयर टाइप, प्रॉब्लम और हेयर ग्रोथ को देखकर पता चल सकता है। जब आप इसके ट्रींटमेंट के लिए जाते हैं, तो अनुभवी डर्मेटोलॉजिस्ट आपको सही सलाह दे सकता है।
सवाल- अगर गंजेपन का इलाज यानी हेयर ट्रांसप्लांट सक्सेस हो जाता है, तो क्या नेचुरल बाल और ट्रांसप्लांट किए बालों की अलग-अलग केयर करनी पड़ती है?
जवाब- ऐसा नहीं है। ट्रांसप्लांट किए गए और नेचुरल बालों की केयर एक जैसी की जाती है। एक बार जब आपके ट्रांसप्लांट किए हुए बाल बढ़ने लगते हैं, तो आप इन्हें नेचुरल बालों की तरह ही ट्रीट कर सकते हैं। क्योंकि ट्रांसप्लांट किए गए बाल नेचुरल बालों की तरह ही होते हैं। आप इन्हें जैसे चाहें वैसे स्टाइल कर सकते हैं। ट्रांसप्लांट हुए बालों को किसी विशेष देखभाल की जरूरत नहीं होती है। इन्हें नेचुरल बालों की तरह ही धोया जा सकता है।
डायबिटीज, एलर्जी और हार्ट पेशेंट्स को नहीं कराना चाहिए हेयर ट्रांसप्लांट-
1. एलर्जी की दवा लेने वाले मरीजों को हेयर ट्रांसप्लांट नहीं करवाना चाहिए। दरअसल, इस सर्जरी के दौरान कई तरह के कॉम्प्लिकेशन होते हैं और एनेस्थीसिया के साथ-साथ मरीज को जख्म सूखने की कई दवाएं भी दी जाती हैं। ये दवाएं एलर्जी से पीड़ित मरीज के लिए खतरनाक हो सकती हैं, इसलिए एलर्जी या एलर्जी की दवा ले रहे लोगों को हेयर ट्रांसप्लांट नहीं करवाना चाहिए।
2. डायबिटीज वालों को भी हेयर ट्रांसप्लांट नहीं करवाना चाहिए। हाई बीपी के मरीज को भी इससे बचना चाहिए, क्योंकि इन दोनों ही रोगों में एनेस्थीसिया देना जानलेवा हो सकता है।
3. मेटाबॉलिक डिसऑर्डर वाले मरीज को भी हेयर ट्रांसप्लांट नहीं करवाना चाहिए, क्योंकि हेयर ग्राफ्टिंग के दौरान आने वाली चुनौतियां उसके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इस प्रोसेस में 6-7 घंटे तक बेहोश रखा जाता है और ऐसे में इस बीमारी के मरीज की जान पर बन सकती है।
4. ऐसे पेशेंट, जिनके हृदय में पेसमेकर या दूसरा कोई आर्टिफिशियल डिवाइस लगा है, इन्हें भी हेयर ट्रांसप्लांट का रिस्क लेने से बचना चाहिए। इस ऑपरेशन के दौरान दिया जाने वाला एनेस्थीसिया और ग्राफ्टिंग की प्रोसेस हार्ट पेशेंट्स के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
5. अनुभवहीन डॉक्टर या लोकल क्लिनिक में हेयर ट्रांसप्लांट करवाने से बचना चाहिए। ध्यान रखें हेयर ट्रांसप्लांट की सर्जरी करने वाला सर्जन कम से कम 3 साल का अनुभव ले चुका हो और वो इस फील्ड का एक्सपर्ट हो।
6. हेयर ट्रांसप्लांट करवाने से पहले सुनिश्चित कर लें कि जिस अस्पताल या क्लिनिक से हेयर ट्रांसप्लांट करवा रहे हैं, वहां ट्रेंड डॉक्टर और इमरजेंसी सेवाएं हैं या नहीं। कहीं डॉक्टर अपने स्टाफ से हेयर ट्रांसप्लांट तो नहीं करवा रहा। ओटी में सभी सुविधाओं का पूरा ब्योरा मांग लें और उसके बाद ही हेयर ट्रांसप्लांट करवाएं।
(अभिषेक झा, प्रोफेसर पटना मेडिकल कॉलेज )
सवाल- अगर हेयर ट्रांसप्लांट की सर्विस सही न मिले, पेशेंट को किसी तरह का नुकसान हो जाए तब कानूनन क्या ऑप्शन बचता है?
एडवोकेट सचिन नायक- कंज्यूमर फोरम यानी उपभोक्ता फोरम में तुरंत शिकायत करें।
सवाल- उपभोक्ता फोरम में शिकायत करने के लिए किन चीजों की जरूरत पड़ सकती है?
एडवोकेट सचिन नायक- आप जब किसी भी चीज की सर्विस लें, तो उसका बिल या रिसीप्ट जरूर ले लें। शिकायत के वक्त इसकी जरूरत पड़ सकती है।
हेयर ट्रांसप्लांट जैसे केस में पेशेंट को डॉक्टर का प्रीस्क्रिपशन और दवाई के पर्चे जरूर रखने चाहिए। साथ ही कोई ऐसे पेपर भी जिसमें डॉक्टर ने लिखित में ट्रांसप्लांट की सलाह दी हो या इसके तरीके को समझाया हो।
सवाल- अगर हेयर ट्रांसप्लांट की वजह से किसी पेशेंट की जान चली जाए, तो परिवार वाले क्या कर सकते हैं?
एडवोकेट सचिन नायक- परिवार वाले पुलिस में IPC की धारा-304 A के तहत FIR दर्ज करवाएं।
सवाल- क्या आप ऐसे केस में डायरेक्ट हाईकोर्ट जा सकते हैं?
जवाब- अगर आपको लगता है कि आपके किसी मौलिक अधिकार का हनन हुआ है, तो आप जा सकते हैं। जैसे- आपको सही इलाज नहीं मिला, इलाज के दौरान आपके साथ कोई भेदभाव हुआ है।
अगर नहीं लगता है, तो FIR के बाद मामला मजिस्ट्रेट के पास जाएगा, ट्रायल चलेगा फिर डिस्ट्रिक्ट कमीशन, स्टेट कमीशन और नेशनल कमीशन तक मामला जाएगा।
जान लीजिए ग्राहक के अधिकार
- सुरक्षा का यानी सही प्रोडक्ट और सर्विस पाने का अधिकार है। अगर कोई प्रोडक्ट या सर्विस कंज्यूमर की जिंदगी और संपत्ति के लिए खतरनाक है, तो उसके खिलाफ सुरक्षा पाने का अधिकार है।
- ग्राहक प्रोडक्ट और सर्विस की क्वालिटी, क्वांटिटी यानी मात्रा, एनर्जी , प्यूोरिटी, मानक और कीमत को जान सकता है।
- इसका मतलब यह है कि अगर कोई दुकानदार या सप्लायर या फिर कंपनी आपको किसी वस्तु या सामान की सही जानकारी नहीं देती है, तो उसके खिलाफ आप केस कर सकते हैं।
- ग्राहक अपनी पसंद के प्रोडक्ट्स और सर्विस का सलेक्शन कर सकते हैं। किसी भी ग्राहक को कोई स्पेशल प्रोडक्ट या सर्विस लेने के लिए परेशान नहीं किया जा सकता है।