जर्मनी वीसा बदलेगा नियम, भारतीयों को ज्यादा मौके मिलेंगे, अमेरिका में नौकरियों में कटौती के बीच बंधी उम्मीद
दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी कुशल प्रवासियों की तलाश में है। जर्मन सरकार ने देश के विकास में योगदान देने वाले कुशल पेशेवरों के लिए अपने दरवाजे खोलने की तैयारी की है। इस दिशा में नवंबर के आखिरी हफ्ते में भारत समेत अन्य देशों के कुशल श्रमिकों के आप्रवासन नियमों में सुधार का मसौदा तैयार किया है।
ड्राफ्ट कानून में अप्रवासियों को नागरिकता देने के लिए जर्मनी में न्यूनतम आठ साल के निवास की शर्त को घटाकर 5 साल किया गया है। वीसा नियमों में सुधार के नए ड्रॉफ्ट कानून से अप्रवासी खुश हैं। जर्मन लॉजिस्टिक कंपनी डीएचएल की सत्या एस. ने कहा, ‘मैं इस मसौदे को लेकर उत्साहित हूं। मैं यहां भाषा सीखने और डिग्री लेने के बाद जर्मन नागरिकता लेना चाहती हूं। मुझे उम्मीद है कि अब यह सपना जल्दी सच होगा।’
यूरोपियन के बाद जर्मनी में सबसे ज्यादा भारतीय आए
इंस्टीट्यूट फॉर एम्प्लॉयमेंट रिसर्च के अनुसार, जर्मनी को प्रति वर्ष कम से कम 4 लाख कुशल पेशेवरों की जरूरत है। जर्मनी में पिछले साल 19 लाख लोग दूसरे देशों से आए थे। इनमें से 16 लाख यूरोपीय संघ के देशों से थे। यानी करीब 3 लाख लोग यूरोप के बाहर से आए। इनमें पहले स्थान पर भारत के लोग थे। नया कानून जर्मनी में दोहरी नागरिकता को आसान बनाता है। ऐसे में आईटी कुशल भारतीयों के लिए अच्छा मौका होगा।
बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण होने से आईटी में जॉब ज्यादा
जर्मनी को डिजिटलीकरण की जरूरत है, जिससे जॉब के अवसर हैं। यहां पुराने कंप्यूटर वाले स्कूल, फैक्स मशीनों पर निर्भर कर्मी है। 2020 के ईयू की डिजिटल इकोनॉमी एंड सोसाइटी इंडेक्स में 28 ईयू देशों में जर्मनी 21वें स्थान पर था।
भारतीयों को ज्यादा मौके क्यों
- भारत के आईटी पेशेवरों को जर्मनी आने का अवसर दिया जा रहा है।
- कई जर्मन कंपनियां पहले से ही भारत से काम आउटसोर्स करती हैं।
- डेटा कानून की वजह से भारतीयों को जर्मनी में ही जॉब देना मजबूरी है।
- आईआईटी खड़गपुर, बॉम्बे, दिल्ली की डिग्री, जर्मन डिग्री के समान मान्य।