नई दिल्ली, रिजर्व बैंक ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के स्तर से नीचे आ जाएगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक की मुद्रास्फीति पर ‘अर्जुन की आंख’ की तरह नजर है. कीमतों की स्थिति से निपटने के लिए रिजर्व बैंक ‘त्वरित और लचीला’ रुख अपनाएगा. हालांकि, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल सहित जिंसों के दाम नीचे आए हैं लेकिन भू-राजनीतिक घटनाक्रमों की वजह से निकट अवधि का परिदृश्य अनिश्चित बना हुआ है.
इसके अलावा घरेलू सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी का असर भी कीमतों पर पड़ा है क्योंकि कंपनियां उत्पादन लागत का बोझ आगे बढ़ा रही हैं. रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘इन कारकों को ध्यान में रखते हुए और कच्चे तेल की औसत कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल मानते हुए हमारा अनुमान है कि 2022-23 में मुख्य मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर यानी 6.7 प्रतिशत पर बनी रहेगी.’
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘वहीं चालू वित्त वर्ष की तीसरी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में यह 6.6 प्रतिशत रहेगी. चौथी जनवरी-मार्च की तिमाही में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से कम यानी 5.9 प्रतिशत रहेगी.” रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आपूर्ति श्रृंखला में अड़चनों के चलते पिछले 10 माह से खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया है.