बगैर डॉक्टर के सलाह एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन और चिकन के शौकीन स्वास्थ्य संबंधी मुसीबतों को दावत दे रहे हैं

बगैर डॉक्टर के सलाह के एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन के आदी और चिकन के शौकीन लोग जाने अनजाने स्वास्थ्य संबंधी मुसीबतों को दावत दे रहे हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि एंटीबायोटिक अथवा दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक इस्तेमाल गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। आमतौर पर लोग खांसी जुकाम बुखार जैसी बीमारियों पर अस्पताल व डॉक्टर के क्लीनिक पर जाने की बजाय मेडिकल स्टोर का रूख करना पसंद करते है जहां तुरंत आराम के चक्कर में उन्हें दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स को डोज परोसा जाता है और यही दवाइयां भविष्य में उनके खराब स्वास्थ्य की एक बड़ी वजह बनती है।

इसके अलावा मुर्गियों को बीमारियों से बचाने के लिये एंटीबायोटिक दवाइयों से युक्त दानो का बढता प्रचलन भी आम जीवन के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। चिकन के सेवन से एंटीबायोटिक लोगों के शरीर में अपनी जगह बना रहे है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं। केन्द्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) में मेडीसिन विशेषज्ञ डॉ अरूण कृष्णा ने बताया कि फौरन राहत के लिए एंटीबायोटिक्स दवाओं को धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है जो भविष्य में कई मुसीबतों की वजह बन सकती है।

उन्होंने कहा कि देश में लचर कानून भी एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाओं के बढ़ते प्रचलन के लिए जिम्मेदार है। दरअसल, कुछ एक दवाओं को छोड़कर मेडिकल स्टोर संचालक दवाइयों की बिक्री बगैर चिकित्सीय परामर्श के नहीं कर सकता है मगर अधिसंख्य शहरों में मेडिकल स्टोर संचालक डाक्टरों की तरह मरीजों को दवायें दे रहे हैं जिससे ना सिर्फ मरीजों की जान जोखिम में है बल्कि इसकी आड़ में कई जटिल रोगों को बढावा मिल रहा है।

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