घर में अगरबत्ती जलाकर छिपाए रखा शव, बहू और नाती के आने का नहीं किया इंतजार

 

 

गोरखपुर जिले के गुलरिहा इलाके के शिवपुर शहबाजगंज में रिटायर शिक्षिका शांति देवी की मौत के मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस ने मायके से बहू या फिर घर के किसी अन्य जिम्मेदार के आने का इंतजार तक नहीं किया। जबकि, मौत की सूचना पाकर नाती भी दिल्ली से चल दिए है। पुलिस ने आनन-फानन भतीजे को शव सौंप दिया और फिर दाह संस्कार कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक, शांति देवी के बहू का मायका देवरिया में है। उसका भाई शाम को पहुंच भी गया था, लेकिन बहू नहीं आ पाई थी। उधर, पुलिस को दिए प्रार्थना पत्र में जिस रिश्तेदार (भतीजे अवनीश नारायण त्रिपाठी) ने यह लिखकर दिया कि मौसी शांति देवी की मौत स्वाभाविक हुई है, वह उस घर में उनके साथ नहीं रहता था।

ऐसे में सवाल उठता है कि पिछले चार दिन से शव घर में पड़ा था और किसी रिश्तेदार को इसकी जानकारी नहीं थी, तो फिर मौत कैसे हुई, यह सटीक जानकारी भतीजे को कैसे हो गई और पुलिस ने इस पर विश्वास भी कर लिया। दूसरे, एक बारगी यह मान लिया जाए कि मौत स्वाभाविक हुई भी हो तो फिर पुलिस या रिश्तेदार को सूचना क्यों नहीं दी गई?

इस सवाल का भी जवाब पुलिस ने जानने की कोशिश नहीं की। पुलिस ने एक प्रार्थना पत्र पाया और मौत की वजह जाने बिना ही शव को बिना पोस्टमार्टम सुपुर्द कर दिया। अब सवालों के घिरी पुलिस की जांच का आदेश एसएसपी ने दिया है।

थाना पुलिस ने एसपी को भी नहीं दी शव सुपुर्द करने की जानकारी
घटना की जानकारी के बाद शाम को एसपी नार्थ ने वीडियो बाइट जारी कर पोस्टमार्टम कराए जाने की बात कही थी, लेकिन बाद में उसे डिलीट कर दिया गया। इससे यही लगता है कि एसपी को भी थाना पुलिस ने शव को सुपुर्द होने की जानकारी नहीं दी थी।

इतने बड़े मामले में थाना पुलिस ने अपने स्तर से ही फैसला ले लिया और शव सुपुर्द कर दिया। शव पाते ही परिजन भी दाह संस्कार के लिए चले गए थे। यही वजह है कि शाम को जब अफसरों को पता चला तो पोस्टमार्टम कराने की कोशिश की गई, लेकिन तब तक दाह संस्कार हो चुका था।

इन सवालों का नहीं मिल सका जवाब
  • बुजुर्ग शांति की मौत के बाद बेटे ने किसी को सूचना क्यों नहीं दी
  • मौत का असल कारण गिरने से लगी चोट है या फिर कुछ और
  • मौत स्वाभाविक थी तो फिर तख्ते के नीचे शव को क्यों छिपाया
  • एक महीने पहले किरायेदार फिर पत्नी का अचानक घर से चले जाना
  • दो औलादों का पिता है निखिल, तो फिर मौत कैसे नहीं जान पाया
बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट  के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण बिहारी दुबे ने कहा कि संदिग्ध हाल में मौत होने पर पोस्टमार्टम आवश्यक होता है। जिस तरह से बुजुर्ग महिला की मौत हुई है, वह पूरी तरह से संदिग्ध है। अगर, स्वाभाविक मौत होती तो उसे छिपाया नहीं जाता, तत्काल सूचना रिश्तेदार या फिर पुलिस को दी जाती। छिपाने का मतलब है, कोई और वजह रही होगी। पुलिस का पोस्टमार्टम न कराना कानून रुप से सही नहीं है।
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