फर्ज़ी दस्तावेज़ों के सहारे कालेज को दिलाया अल्पसंख्यक दर्जा – सांठ गांठ ऐसी की 8 वर्षाे तक डीएम के पत्र को दबाये बैठे रहे अफसर – अभय प्रताप सिंह डिग्री कालेज के दस्तावेज़ों में हेर-फेर करने का मामला पहुंचा सीएम के दरबार

फतेहपुर। शिक्षा के मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर एक बार फिर दाग लगा है। वर्तमान भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह पर फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर अपने विद्यालयों की अल्पसंख्यक वर्ग से मान्यता हासिल दिलाने का आरोप लगाते हुए आवास विकास निवासी संजय सिंह ने मुख्यमंत्री समेत शिक्षा एव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अफसरों को पत्र लिखकर व 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी कंचन वर्मा के पत्र की कॉपी संलग्न करते हुए कार्रवाई की मांग किया है। 2014 में डीएम रही कंचन वर्मा ने भाजपा नेता व जिला पंचायत अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह के बिंदकी के कुंवरपुर रोड स्थित अभय प्रताप सिंह डिग्री कालेज की जाँच करने के बाद मान्यता लेने के नाम पर धोखाधड़ी करने पर महाविद्यालय की मान्यता रद्द करने का उच्च शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा था। डीएम के पत्र के आठ वर्ष बीतने के बाद भी कार्रवाई न होना नेता से शिक्षा माफिया से नेता बने अभय प्रताप के सिंडिकेट को समझा जा सकता है। पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह पर जिला पंचायत सदस्य व अध्यक्ष के नामांकन के दौरान कालम में खुद को हिन्दू धर्म व क्षत्रिय जाति का प्रदर्शित किये जाने का भी आरोप लग चुका है। जनपद के दर्जनों शैक्षिक संस्थानों का संचालन करने वाले अभय प्रताप सिंह पर खुद को धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के बौद्ध धर्म का अनुयायी बताकर महाविद्यालय की मान्यता हासिल करने का आरोप है। दो धर्माे के अनुयायी बनकर अलग अलग तरह से सरकारी लाभ हासिल करने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह का सिंडिकेट जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से लेकर उच्च शिक्षा निदेशालय एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में कितना गहरा है। इसकी बानगी 8 वर्षों तक तत्कालीन डीएम का आदेश दबाये रखने से समझा जा सकता है। सांठ-गांठ के चलते अफसरों ने डीएम के पत्र के बाद भी कार्रवाई करना तो दूर की बात ही पत्र को ही रद्दी की टोकरी में डाल दिया। 2008 में बिंदकी के कुंवरपुर में अभय प्रताप सिंह डिग्री कालेज की मान्यता मिली थी। मान्यता हासिल करने के लिये लगाये गए दस्ताववेज़ों में भूमि एव मानचित्र के अलावा अन्य दस्तावेज़ों में भारी फर्जीवाड़ा करके मान्यता हासिल करने का आरोप है। आवास विकास निवासी नरसिंह की शिकायत पर तत्कालीन डीएम कंचन वर्मा को इस मामले में शिकायत मिलने के बाद एडीएम व जिला विद्यालय निरीक्षक की संयुक्त टीम द्वारा 20 मार्च 2013 को जांच की गई थी। जांच के दौरान महाविद्यालय की मान्यता हासिल करने के लिये लगाये गए दस्तावेज़ों में भारी फर्ज़ीवाड़ा किये जाने का मामला सामने आने के बाद डीएम में कार्रवाई करते हुए 10 अप्रेल 2014 को उच्च शिक्षा अनुभाग-6 को महाविद्यालय की मान्यता रद्द करने के लिये पत्र लिखा था। इस बीच अभय प्रताप सिंह पर वर्ष 2011 में खुद को बौद्ध धर्म का अनुयायी बताकर महाविद्यालय अल्पसंख्यक दर्जे से बीटीसी, बीएड व डीएलएड एव वर्तमान में फार्मेसी तक की मान्यता हासिल कर ली गयी। संजय सिंह की शिकायत पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने कार्रवाई से पल्ला झाड़ते हुए उच्च शिक्षा निदेशक को 14 नवम्बर 2022 को उनके विभाग का मामला बताकर कार्रवाई करने के लिये पत्र लिखा है। अफसरों की टालमटोल पर शिकायतकर्ता संजय सिंह ने 15 दिसम्बर 2022 को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, ग्रह सचिव, उच्च शिक्षा निदेशक को एक बार फिर से समूचे प्रकरण एव कार्रवाई से अवगत कराते हुए प्रार्थना पत्र भेजकर एक बार फिर कार्रवाई की मांग किया है।

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