जलस्तर घटने से लोगों को बड़ी दिक्कतें, दूषित पानी पीने को मजबूर

फतेहपुर।न्यूज़ वाणी नफीस जाफरी फतेहपुर बढ़े परे ने आम जनमानस को उबाल कर रख दिया है। भीषण गर्मी मे पीने के पानी का संकट भी लोगों के सामने इस कदर बढ़ा है कि पानी के संसाधन नाकाफी साबित हो रहे हैं। यमुना व गंगा तटवर्ती क्षेत्रों मे पानी के मचे हाहाकार से लोग बेहाल हैं। गिरते जलस्तर ने यहां लगाये गये कई हजार हैण्डपम्पों को भी हालत खस्ता कर दी है और एक चैथाई हैण्डपम्प खराब पड़े हुए हैं। जीर्णशीर्ण कुंओं से भी पानी निकलना बंद हो गया है जिससे पीने के पानी का संकट और गहरा गया है। नहरे व तालाब सूखे होने से पशु-पक्षियों के सामने भी पीने का पानी का संकट गहराया हुआ है। फिलहाल प्रशासन पानी की हर समस्या से निपटने की तैयारी की बात कर रहा है। गर्मी शुरू होने से पूर्व विभाग द्वारा गांव-गांव मे हैण्डपम्पों को बनाने का अभियान चलाने का ढिढोरा पीटा गया था। लेकिन यह अभियान लोगों के लिए सिर्फ नाम का ही अभियान साबित हुआ। ग्रामीण क्षेत्रों मे आज भी हैण्डपम्पों की स्थिति वैसी ही है जैसे अभियान के पूर्व थी। लाख प्रयासों के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों मे पीने के पानी की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं। लोग पीने के पानी को लेकर परेशान हैं। यमुना तटवर्ती क्षेत्रों के दर्जनों गांवों मे पानी के लिए मारामारी मची है। पहले से ही खराब पड़े हैण्डपम्पों के बाद अब कुंआंे ने भी साथ छोड़ना शुरूकर दिया है। यमुना इस पार के कुकेड़ी, गजईपुर, धौरहरा, कोरवल, बारा, ककोरी, खदरी, गज्जा के डेरा, बगडारा का डेरा सहित दर्जनों गांवों मे कुए से कीचड़ निकलना भी शुरू हो गया है। ग्रामीण रामसुमेर, गंगा, सुरेश पासी, रामबरन, ननकवा, एहसान ने बताया कि हर बार यही समस्या गर्मियों मे आती है लेकिन इसका हल प्रशासन द्वारा कभी नहीं किया जाता है। इसी का नतीजा है कि ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए त्राहि-त्राहि करने को विवश हो जाते हैं और मजबूरन नदी का पानी पीना पड़ता है। जनपद के सिमौर, गाजीपुर, चुरियानी, चकसकरन, बहुआ, नरतौली, दतौली, कीर्तिखेड़ा, रामपुर, हरियापुर, साखा, गम्भरी, सकेती, घघौरा, बावन, मवईया, सरकण्डी, बिलारी मऊ, खेसहन, घरवासीपुर, सलेमाबाद, कुसुम्भी, नरैनी, आजमपुर, सेलावन, गढ़ी, जलालपुर, नरैचा, फुलुरूवा, ककरार, जुकरा, कौडर, बौडर, बड़ा गांव, हथेमा, रसूलपुर सहित सैकड़ों गांवों मे बिगड़े हैण्डपम्पों ने पीने के पानी को समस्या ग्रामीणों के सामने रखी कर रखी है। हालत यह है कि जानवरों को भी पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। जल निगम द्वारा जिले मे करीब तीस हजार हैण्डपम्प लगाये गये हैं जिनसे विभाग पानी देने की बात रहा है लेकिन हकीकत में एक चैथाई से अधिक हैण्डपम्प खराब पड़े हुए हैं। गिरे जलस्तर से पानी देना बंद करने वाले हैण्डपम्पों को जिलाधिकारी के सख्त आदेश के बावजूद अब तक ठीक नहीं कराया जा सका है। हालांकि अधिशाषी अभियंता ने डेढ हजार हैण्डपम्प की विभिन्न कारणों से खराब होने की बात कह रहें हैं। यही हाल कुंओं का है प्रयोग में न होने की वजह से दस हजार से अधिक कुंए बेकार पड़े हुए हैं ज्यादातर कुंए सूख गये और उनसे पानी नही निकल रहा है और जो नाम मात्र के कुंए पानी दे रहे हैं उनसे भी कीचड़ युक्त पानी आ रहा है जो पीने योग्य नही है। सरकारी नलकूपों की खराबी, नहरों से गायब पानी एवं तालाबों से उड़ रही धूल ने भी लोगों की समस्याओं को बढ़ाया है। यहां लोग तो पाने की पानी को लेकर परेशान तो है ही साथ ही साथ मवेशियों के पानी की चिंता भी उन्हें खाये जा रही है। सख्त निर्देशों के बाद भी तालाबों में पानी नही भरवाया जा सका है जिससे भी पशु-पक्षियों के पीने के पानी को लेकर समस्या विकराल है और प्यास से बेहाल पशु-पक्षी दूर-दूर तक भीषण गर्मी में विचरण करते सहसा नजर आ जाते हैं। जिस तरह से मई महीने मे ही गर्मी मे अपना तेवर दिखाया है और जलस्तर भी नीचे गिरा है उससे पानी की समस्या गंभीर हुयी है। जो लोगों की परेशानी का सबब है।

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