साल में एक बार दवा खाना है, फाइलेरिया को भगाना है – फाइलेरिया नेटवर्क सदस्यों ने छात्र-छात्राओं को किया जागरूक
फतेहपुर। जिले में फाइलेरिया से बचाव और इसमें सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए विभागीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग के प्रयास को अब समुदाय के आम लोगों का भी साथ मिल रहा है। गांव स्तर पर फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य सभी को फाइलेरिया के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इसी कड़ी में भिटौरा ब्लॉक के बसोहनी ग्राम सभा के प्राथमिक विद्यालय में छात्र-छात्राओं को फाइलेरिया बीमारी से बचाव एवं साफ सफाई के प्रति जागरूक किया गया। फाइलेरिया नेटवर्क रानी लक्ष्मीबाई सहायता समूह के सदस्य कृष्ण कुमार ने छात्र-छात्राओं और शिक्षक-शिक्षकाओं के साथ अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने दवा सेवन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भी प्रेरित किया। उन्होंने अपील किया कि सभी लोग वर्ष में एक बार फाइलेरिया की दवा का सेवन करें। इससे बीमारी से बचाव हो सके और आनेवाली पीढ़ी सुरक्षित रहे। कहा कि सिर्फ दो साल से कम के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों को छोड़ कर सभी को फाइलेरिया से बचाने के लिये दवा का सेवन करना चाहिये। नेटवर्क सदस्य राजेश कुमार ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, कूड़ा जमने न दें, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें। प्रधानाध्यापक सुरेश चंद्र ने बच्चों को प्रेरित किया कि वह अपने घर व पास पडोस में फाइलेरिया के प्रति सभी को जागरूक करें।
इनसेट-
स्थिति पर भी पड़ता बुरा प्रभाव
फतेहपुर। जिला मलेरिया अधिकारी सुजाता ठाकुर का कहना है कि आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं लेकिन पसीना, सिर दर्द, हड्डी व जोड़ों में दर्द, भूख में कमी, उल्टी आदि के साथ बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक और सामाजिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
इनसेट-
इन्हे नहीं खानी फाइलेरिया की दवा
– गर्भवती महिलाएं
– दो वर्ष से छोटे बच्चे
– गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति