जोधपुर के भूंगरा गांव में सिलेंडर ब्लास्ट कांड में 35 लोगों की जान लेने वाला घर रूह कंपाने वाली कहानी बयां कर रहा है। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि लोगों की चमड़ी पिघलकर घर के दरवाजे और दीवारों पर चिपक गई।
सबसे दर्दनाक है 17 महिलाओं की ‘मौत का सच’… हादसे में सबसे ज्यादा महिलाओं की ही मौत क्यों हुई?
आग ने तांडव मचाया तो महिलाओं के कपड़े जलने लगे, अपनी जान बचाने के लिए महिलाएं घर से बाहर की तरफ दौड़ीं, लेकिन सामने परिवार और रिश्तेदारों को देख शर्म और लज्जा के कारण वापस घर के अंदर चली गईं। आग ने फिर उन्हें बाहर निकलने का मौका नहीं दिया।
राजस्थान की महिलाओं ने अपनी मर्यादा बचाने के लिए जान देना पसंद किया। अगर उस दिन महिलाएं कपड़ों की परवाह नहीं करतीं तो शायद कम मौतें होतीं। जब हादसा हुआ, घर में सैकड़ों लोग मौजूद थे, इनमें 58 जल गए।
हादसे की कहानी रिक्रिएट की तो सच्चाई सामने आई…जानिए क्या हुआ था
8 दिसंबर को हुए इस हादसे के बाद भास्कर टीम जोधपुर के भूंगरा गांव के उसी घर में पहुंची। उस दिन दोपहर 3.30 बजे जाे कुछ हुआ, उसे रिक्रिएट किया। गांव वालों और जोधपुर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल में भर्ती लोगों से बातचीत की तो कई चौंकाने वालीं बातें सामने आईं।
बाहर देखा मर्द खड़े थे, घर के कोने में छुपने लगीं महिलाएं
गांव में रहने वाले रिटायर्ड टीचर कल्याण सिंह ने बताया- मैं उस दिन घर के बाहर खड़ा था। बारात रवाना होने वाली थी। दूल्हे को पाट पर बैठाना था। महिलाएं दूल्हे को रवाना करने की तैयारियों में लगी थीं, बाकी महिलाएं गीत गा रही थीं। 30 से ज्यादा महिलाएं और 15 से ज्यादा बच्चे घर के अंदर थे। आग लगते ही महिलाएं और उनके बच्चे सबसे पहले आग की चपेट में आए।
क्यों…?
महिलाओं और बच्चों की भीड़ घर के आंगन के बीच दूल्हे का इंतजार कर रही थी। जिस सिलेंडर में आग लगी, वह इनके सबसे ज्यादा करीब था। जब आग लगी तो सबसे पहले हाइट छोटी होने के कारण बच्चे चपेट में आए। फिर महिलाएं। इस दौरान पुरुष या तो कमरों में थे, या फिर बाहर खड़े हाेकर बारात रवानगी का इंतजार कर रहे थे।
आग की लपटें इतनी तेजी से निकलीं कि महिलाओं के पूरे कपड़े जल गए। कुछ महिलाएं बाहर की तरफ भागने लगीं, लेकिन सामने पुरुष खड़े थे, ऐसे में बदन पर कपड़े नहीं होने पर महिलाएं शर्म के कारण वापस घर के दूसरे कोने की तरफ भागने लगीं। कुछ सेकेंड में ही आग पूरे घर में फेल चुकी थी। यही कारण रहा कि हादसे में महिलाओं की मौत सबसे ज्यादा हुई। इस दौरान घर में मौजूद पुरुष तेजी से बाहर आ गए थे।
हादसा कैसे हुआ, यहां समझें
गांव में रहने वाले कल्याण सिंह ने बताया- बारात रवाना होने की तैयारियां चल रही थी। घर के अंदर 60 से ज्यादा महिलाएं, बच्चे और पुरुष थे। लगभग इतने ही लोग सामने के घर के बाहर बैठे थे। जिस कमरे में दूल्हा तैयार हो रहा था, उस कमरे के बाहर दो गैस सिलेंडर रखे थे। दोनों से गैस लीक हो रही थी, लेकिन किसी का इस पर ध्यान नहीं गया। जब रिसाव बहुत ज्यादा हो गया तब अचानक से आग भभक उठी। एकदम से तेज धमाका सुनाई दिया। सबसे पहले एक सिलेंडर ने आग पकड़ी, फिर दूसरे ने।
बहुत तेजी से दौड़कर कुछ लोगों ने आग लगे सिलेंडर को हटाने की कोशिश की, लेकिन उसके नोजल से गैस का रिसाव बहुत तेज था। गैस इतने प्रेशर से निकल रही थी कि सिलेंडर हाथ से छूटा और घर चौक में ही गिर गया। गैस के प्रेशर से ही सिलेंडर गोल-गोल घूमने लगा।
चमड़ियां दीवारों पर चिपक गईं
आग की लपटें पूरे घर में फैल गई। फिर जो भी चपेट में आया, उसे भागने का मौका नहीं मिला। चारों तरफ मौजूद महिला-पुरुष और बच्चे जलने लगे। कपड़ों के बाद शरीर से चमड़ी पिघलकर गिरने लगी। किसी ने दीवार की ओट लेने की कोशिश की तो उसकी चमड़ी ही दीवारों पर चिपक गई। घर से बाहर निकलने का एक संकरा और छोटा गेट था। भास्कर टीम ने जब घर के अंदर जाकर उन दीवारों को देखा तो यह दृश्य भयावह था।