खागा/फतेहपुर। बेसहारा घूमते मवेशियों व जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए किसान भी तरह-तरह के जतन कर रहे हैं। खेतों पर मचान बनाकर किसान रात भर फसलों की रखवाली करते हैं। कई जगहों पर फसल के चारों ओर तार लगाकर एक मशीन (झटका) से करंट दौड़ाकर किसान, मवेशियों को फसल से दूर भगाते हैं।
सैकड़ों के झुंड में घूमते गोवंशी, नीलगाय और अन्य दूसरे जंगली जानवरों से फसल बचाने में किसान दिन-रात रखवाली कर रहे हैं। सर्द रातों में किसान खेतों पर मचान बनाकर समय गुजारते हैं। कटीली, ब्लेड युक्त तार पर प्रतिबंध के बाद से फसल बचाने के मुश्किलें बढ़ी तो किसानों ने एक नया प्रयोग करना शुरू किया। यमुना तटवर्ती गांवों में किसान झटका मशीन की मदद से फसलें बचा रहे हैं। बबलू निषाद, रमेश, अवधेश, सुरेश आदि किसानों ने बताया कि प्रति बीघा एक मशीन और तार लगाने में छह से आठ हजार रुपये खर्च आता है। मौजूदा समय में तटवर्ती गांव के किसान गेहूं, चना, सरसो के अलावा परवल की खेती कर रहे हैं। बबलू निषाद ने बताया कि वह 12 बीघे खेत किराये पर लिए हुए हैं। फसल बचाने के लिए चारों ओर तार व झटका मशीन लगाए हुए हैं। किसानों ने बताया कि रात को ही मशीन चालू की जाती है। झटका लगने के बाद सायरन बजने लगता है। जिससे पता चल जाता है कि मवेशियों का झुंड फसल के आस-पास पहुंच गया है।
इनसेट-
बैटरी व सोलर पैनल से चलती मशीन
खागा/फतेहपुर। बारह वोल्ट करंट देकर मशीन को चालू किया जाता है। किसानों ने बताया कि बैटरी या फिर सोलर पैनल से झटका मशीन को जोड़कर फसल के चारों ओर खीची गई तार में करंट की तार जोड़ दी जाती है। मशीन से सिर्फ करंट का एक झटका ही निकलता है। उसके बाद मशीन आटोमैटिक बंद हो जाती है। मशीन बंद होने के साथ ही फसल के चारों ओर देखने के बाद ही उसे दोबारा चालू करते हैं।