साल बदल गया है…नए साल के साथ देश में कई चीजें बदली हैं। रसोई गैस-पेट्रोल से लेकर कार की कीमतें बदली हैं, बैंक लॉकर रखने के नियम बदले हैं। लेकिन कानून सिर्फ देश में ही नहीं बदल रहे हैं।
क्या आप जानते हैं कि नए साल के साथ पूरी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कई नए कानून लागू हो रहे हैं?
किसी शहर में घूमने-रहने पर किराया देना तो आम बात है, लेकिन नए साल में एक जगह ऐसी भी होगी जहां न रहने पर किराया चुकाना होगा।
दुनिया में एक देश ऐसा होगा जहां सिगरेट खरीदने पर पाबंदी की उम्र हर साल बदलेगी। वहीं, कुछ जगहें ऐसी भी होंगी जहां मारिजुआना यानी गांजे का सेवन गैर-कानूनी नहीं रह जाएगा।
सिर्फ यही नहीं, कई जगहों पर इनकम टैक्स और मिनिमम वेज यानी न्यूनतम वेतन के लिए भी नए नियम लागू हो रहे हैं।
जानिए, क्या हैं ये कानून…कहां लागू हो रहे हैं? और इन नए कानूनों में से कितने भारत के लिए भी हो सकते हैं उपयोगी…
अब हम आपको बताते हैं कौन से हैं ये नए कानून…और कहां लागू हो रहे हैं
1. वेनिस…यहां टूरिस्ट रात न बिताए तो चुकाना पड़ेगा टैक्स
इटली का प्राचीन शहर वेनिस पूरी दुनिया में अपने खूबसूरत कनाल सिस्टम के कारण मशहूर है। शहर का काफी बड़ा हिस्सा तो पानी पर ही बना है। इस वजह से यहां दुनिया भर से टूरिस्ट पहुंचते हैं।
मगर वेनिस की दिक्कत ये है कि इनमें से ज्यादातर टूरिस्ट वहां दिनभर घूमकर निकल जाते हैं, वहां रात नहीं बिताते हैं। इसकी वजह से वेनिस के सामने दो तरह से मुश्किल खड़ी हो गई है।
एक दिन में वहां औसतन 1.20 करोड़ तक पर्यटक आते हैं, जबकि पीक सीजन में एक दिन में 3 करोड़ तक पर्यटक पहुंच जाते हैं। इसकी वजह से इस प्राचीन शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत ज्यादा जोर पड़ता है।
दूसरी दिक्कत ये है कि इस भीड़ के अनुपात में शहर की कमाई नहीं बढ़ती है। ज्यादातर टूरिस्ट रात में यहां नहीं रुकते। इस वजह से टूरिज्म से कमाई का सबसे बड़ा जरिया माने जाने वाले शहर के होटल्स ही नुकसान में रहते हैं।
अब जनवरी, 2023 से वेनिस घूमने के लिए इटली ने नया कानून लागू किया है। इस कानून के तहत वेनिस आने के लिए टूरिस्ट को पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यह रजिस्ट्रेशन फीस उस दिन शहर में भीड़ के हिसाब से 263 रुपए से 880 रुपए तक होगा।
यही नहीं, इस रजिस्ट्रेशन के समय ही टूरिस्ट को ये बताना होगा कि वह रात वेनिस में बिताएगा या नहीं। अगर रात बिताने का इरादा न हो तो रजिस्ट्रेशन के लिए ही ज्यादा फीस चुकानी पड़ेगी।
भारत में दिल्ली-जयपुर-आगरा से ले सकते हैं इस कानून से सीख
भारत में सिगरेट खरीदने की न्यूनतम वैध उम्र 18 साल है। स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में पान-सिगरेट या शराब की दुकान खोलना भी मना है। मगर ये कानून सख्ती से लागू नहीं होते।
संसद में भी कई बार सिगरेट या तंबाकू की बिक्री बैन करने का मुद्दा कई बार उठ चुका है। लेकिन दिक्कत ये है कि सरकार के राजस्व का ये बहुत बड़ा जरिया है। 2020 के आंकड़े बताते हैं कि तंबाकू पर लगने वाले टैक्स से सरकार को 356 अरब रुपए की आय हुई थी। इसमें सबसे बड़ा सिगरेट की बिक्री से होता है।
3. अमेरिका के आधे से ज्यादा राज्य बढ़ा रहे हैं मिनिमम लिविंग वेज…1400 रुपए/घंटा तक होगा न्यूनतम वेतन
नए साल में अमेरिका के 50 राज्यों में से आधे से ज्यादा में न्यूनतम वेतन बढ़ाया जा रहा है। 21 राज्यों में वेतन बढ़ोतरी 1 जनवरी से ही लागू हो रही है, जबकि कुछ राज्यों में यह जुलाई-सितंबर से लागू होगी।
दरअसल, अमेरिका के संघीय कानून के तहत न्यूनतम वेतन 7.25 डॉलर यानी करीब 600 रुपए प्रति घंटा ही है। इसमें 2009 के बाद से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसी वजह से राज्यों में मिनिमम वेज बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है।
आधे से ज्यादा राज्यों ने नए साल में न्यूनतम वेतन बढ़ाने का फैसला लिया है। सबसे ज्यादा न्यूनतम वेतन 16.50 डॉलर अभी वॉशिंगटन डीसी में है जो 1 जुलाई से 17 डॉलर यानी करीब 1408 रुपए प्रति घंटा हो जाएगा।
वॉशिंगटन राज्य में मिनिमम वेज 15.74 डॉलर यानी करीब 1302 रुपए प्रति घंटा और कैलिफोर्निया में मिनिमम वेज 15.50 डॉलर यानी करीब 1281 रुपए प्रति घंटा होगा।
भारत में भी लिविंग वेज सिस्टम पर शिफ्ट होने की तैयारी…अभी 178 रुपए प्रतिदिन है मिनिमम वेज
भारत में केंद्रीय श्रम कानूनों के मुताबिक स्किल्ड लेबर के लिए मिनिमम वेज यानी न्यूनतम वेतन 178 रुपए प्रति दिन यानी 5340 रुपए प्रति माह है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रम मंत्रालय अब मिनिमम वेज के बजाय अमेरिका की तरह लिविंग वेज के सिस्टम पर शिफ्ट होने की तैयारी कर रहा है।
मिनिमम वेज सिर्फ काम के घंटों के आधार पर वेतन तय करता है। जबकि लिविंग वेज की गणना में यह भी देखा जाता है कि कामगार कहां रहता है, मकान किराया, खाने-पीने का खर्च कितना है और परिवार में सदस्य कितने हैं।
यानी लिविंग वेज महंगाई दर के हिसाब से बदलती रहती है, मगर मिनिमम वेज फिक्स होती है। भारत में अगर लिविंग वेज सिस्टम पर कानून बनता है तो यह मिनिमम वेज से 25% तक ज्यादा हो सकता है।
4. अमेरिका के 5 और राज्यों में मारिजुआना वैध
नए साल में अमेरिका के 5 और राज्यों आराकान्सास, मेरीलैंड. मिसौरी, नॉर्थ डाकोटा और साउध डाकोटा में मारिजुआना वैध हो जाएगा। अब तक इन राज्यों में मारिजुआना सिर्फ मेडिसिनल इस्तेमाल के लिए ही वैध था।
इन्हें मिलाकर अब अमेरिका के 21 से ज्यादा राज्यों में मारिजुआना रखना वैध हो गया है। यही वजह है कि 2022 में गैलप के एक सर्वे में यह सामने आया था कि अमेरिका में सिगरेट पीने वालों से ज्यादा बड़ी संख्या गांजा पीने वालों की है।
आजादी से पहले भांग, गांजा, चरस सब कुछ वैथ था…अब भांग को छोड़ बाकी सब अवैध
भारत में गांजा रखना कानूनन जुर्म है। थोड़ी सी मात्रा रखने पर भी 6 महीने की जेल या 10 हजार रुपए तक का जुर्माना या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं। मगर, आजादी के पहले ऐसा नहीं था।
गांजे के पेड़ के अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग तरह के ड्रग्स बनते हैं। पत्तियों से भांग, रेजिन से चरस और फूल से गांजा बनता है। 1961 की अंतरराष्ट्रीय सिंगर कन्वेंशन ऑन नारकोटिक ड्रग्स में भारतीय एजेंसियों ने भांग को छोड़ बाकी चीजों को अवैध ड्रग्स माना था।
इसी वजह से भांग सरकारी ठेकों पर बिक सकती है। गांजे की बिक्री अवैध है, हालांकि मेडिसिनल इस्तेमाल के लिए गांजा रखना वैध है। इसका इस्तेमाल न सिर्फ कई तरह की दवाओं में होता है, बल्कि नशा मुक्ति केंद्रों में भी मरीजों के लिए इसका इस्तेमाल होता है।
2015 में गांजे को दोबारा वैध करने का मूवमेंट भारत में शुरू हुआ था। 2021 में हिमाचल ने जहां गांजे की कंट्रोल्ड खेती की अनुमति देने पर विचार करना शुरू किया है, वहीं त्रिपुरा ने गांजे के इस्तेमाल को वैध करने पर विचार करने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।