दिल की बीमारी की सफल सर्जरी मरीज को देखने पहुंचे सीएमएचओ व अन्य डॉक्टर 21 वर्षीय युवती के दहिने तरफ धड़कता है दिल

दुर्ग जिला चिकित्सालय में गुरुवार का दिन बड़ा ही चौंकाने वाला रहा। दरअसल अस्पताल में दो ऐसे मरीज पहुंचे जिन्हें देखकर सभी हैरान रह गए। एक मरीज के पैर में 7 उंगलियां थीं। उसका पैर इतना चौड़ा था कि वह जूते तक नहीं पहन पाता था। वहीं एक ब्रेस्ट कैंसर की ऐसी महिला मरीज पहुंची, जिसके बायें नहीं दाहिनी तरफ दिल धड़क रहा था। इन दोनों मरीजों का डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन किया। जिला अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक वहां आदित्य नगर दुर्ग से 7 साल का लड़का आदित्य प्रसाद पहुंचा था। उनके दाहिने पैर में सात उंगलियां थीं। ऐसे बहुत ही कम केस देखने को मिलते हैं। जिला अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक पॉलिडेक्टाइल के केस में 6 उंगलियां पाई जाती हैं, लेकिन इस केस में 7 उंगलियां थीं। जिससे उसे उस बच्चे को चलने में समस्या होती थी। वह जूते या चप्पल नहीं पहन पाता था। उसके पैर में हमेशा दर्द की शिकायत बनी रहती थी। इसलिए उसका ऑपरेशन करना बहुत जरूरी था। जिला अस्पताल के सर्जन डॉक्टर अखिलेश यादव, एनेस्थेटिक्स डॉक्टर बंसत चौरसिया व उनकी टीम ने मिलकर इस ऑपरेशन को सफलता पूर्वक किया। ऑपरेशन के बाद उस बच्चे की दो उंगलिया निकाल दी गईं। गुरुवार को ही उमरपोटी की रहने वाली 21 वर्ष दिव्या कुमारी जिला अस्पताल ब्रेस्ट कैंसर की जांच कराने पहुंची थी। दिव्या के दोनो स्तन में गांठ होने की शिकायत थी। डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन करने की सलाह दी। ऑपरेशन से पहले जब उसकी जांच की गई तो पता चला कि दिव्या का दिल बायीं ओर न होकर दायीं ओर है। कार्डियोलॉजिस्ट की राय लेने के बाद सावधानी रखते हुए सर्जन डॉ. सरिता मिंज ने उसका ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद सर्जन डॉ. सरिता मिंज और डॉ. बंसत चौरसिया की ने उसका सफल ऑपरेशन किया। डॉक्टरों के मुताबिक दुर्ग जिला अस्पताल में एक साथ दो ऐसे मरीज पहुंचे जो रेयर ऑफ द रेयरेस्ट होते हैं। कई लाख एवं करोडों में किसी एक को ऐसी समस्या होती है। जैसे ही डॉक्टरों को पता चला कि एक बच्चे के पैर में 7 उंगलिया और एक युवती के दहिनी तरफ दिल है तो वो तुरंत उन्हें देखने के लिए पहुंच गए। खुद सीएमएचओ दुर्ग डॉ. जेपी मेश्राम भी वहां पहुंचे और सफल ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों को बधाई दी। अंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में दुर्लभ बीमारी इंफ्रारीनल एओर्टिक डायसेक्शन से ग्रसित 40 वर्षीय व्यक्ति की सफल सर्जरी की गई थी। यह केस 30 लाख में किसी एक को होता है। कार्डियो थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. कृष्णकांत साहू ने यह सर्जरी की थी। दरअसल युवक तीन माह से पेट व कमर दर्द से परेशान था। धमनी की आंतरिक दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी। इससे ब्लड की सप्लाई धमनी के बाहर होने लगी थी। इस बीमारी को मेडिकल की भाषा में एओर्टिक डायसेक्शन या महाधमनी विच्छेदन कहते हैं। किडनी के ठीक नीचे महाधमनी में डायसेक्शन बहुत ही दुर्लभ है।  डॉ. अंबेडकर अस्पताल से संबद्ध एसीआई यानी एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में सिकलिंग के साथ दिल की दुर्लभ बीमारी एब्सटीन से पीड़ित 23 साल की महिला मरीज की सफल सर्जरी हुई थी। दिल से जुड़ी बीमारियों में 2 लाख में से किसी एक मरीज में ये जटिल बीमारी होती है। जन्मजात होने वाली इस बीमारी के 18 फीसदी मरीज जन्म के साथ ही मौत का शिकार हो जाते हैं। वहीं जो सर्वाइव कर पाते हैं वो भी 18 से 20 साल तक ही जिंदा रहते हैं।

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