स्विगी बैग लिए बुर्के वाली महिला की आपबीती, कहा- पैसे बचाने के लिए चलती हूं 25 KM, 8 घंटे मेहनत के बाद 170 रुपए कमा लेती हूं

 

 

सबसे पहले नीचे लगी तस्वीर देखिए। बुर्के में स्विगी का बैग कंधों पर लेकर पैदल चलने वाली इस महिला की तस्वीर कई दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। पहली नजर में देखने पर लगता है कि ये महिला पैदल चल कर स्विगी के लिए फूड डिलीवरी करती हैं। लेकिन ऐसा है नहीं।

2 फीट चौड़ी गली, एक कमरे का मकान; रहने वाले चार लोग
लखनऊ के जगत नारायण रोड चौक में बसी जनता नगरी कॉलोनी। यहां बने कच्चे-पक्के मकानों से गुजरते हुए एक पतली सी गली में रिजवाना का एक कमरे का मकान है। रिजवाना के 4 बच्चे हैं। बड़ी बेटी की शादी हो गई है। बाकी, तीनों बच्चे उन्हीं के साथ रहते हैं। 10 बाई 10 के मकान में एक कोना रसोई, एक तरफ पूरा सामान भरा पड़ा है।

बच्चे पढ़ाई भी यहीं करते हैं, तो इसी में एक कोना सोने के लिए बना हुआ है। घर के बारे में बात करने पर रिजवाना कहती हैं कि हम घर में नहीं कबाड़खाने में रहते हैं।

17 की उम्र में एक मजदूर से हुई थी रिजवाना की शादी
रिजवाना बताती हैं कि वह 17 साल की थीं जब उनकी शादी हो गई। पति उस वक्त मजदूरी करते थे। जो भी पैसे वह कमाते वो शराब में उड़ा देते। घर खर्च के लिए कभी-कभी ही पैसे देते थे। तभी शादी के 6-7 महीने बाद ही रिजवाना ने खुद काम करना शुरू कर दिया। वह मुकेश वर्क, क्रोशिया की कढ़ाई और बुनाई करके गुजर-बसर कर लेती।

तीन साल पहले पति घर से गया, आज तक वापस नहीं आया
रिजवाना के पति ने मजदूरी छोड़ रिक्शा चलाने का काम शुरू किया। दिन की ठीक-ठाक कमाई भी होने लगी थी। लेकिन, एक दिन वो रिक्शा चोरी हो गया। रिजवाना जो पैसे कमाती उससे घर का खर्च बहुत मुश्किल से चल पा रहा था। इसलिए पति ने भीख मांगना शुरू कर दिया।

रिजवाना का पति घर भी कभी-कभी आता था। एक दिन सड़कों पर भीख मांगते-मांगते वह घर आया। एक पतला कम्बल उठाया और चला गया। उस दिन के बाद से आज तीन साल हो गए वो वापस नहीं लौटा।

पड़ोसियों ने कहा जवान हो दूसरी शादी कर लो
रिजवाना बताती हैं कि कई बार लोगों ने उनके पति को आस-पास देखा भी। लोग जहां बताते वो वहां ढूंढने भी जाती लेकिन वो नहीं मिला।

वक्त गुजरा पर वो वापस नहीं लौटा। इसलिए आस-पड़ोस वालों ने रिजवाना ने कहा कि अभी तुम्हारी उम्र कम है, बच्चों का भी पेट पालना है तो वह दूसरी शादी कर ले। लेकिन रिजवाना ने दूसरी शादी से इनकार कर दिया। उसका कहना था “शादी एक बार होती है और मेरी हो चुकी है। मैं खुद ही कमाकर अपने बच्चों को पढ़ा लूंगी।”

पैसे कम थे इसलिए छूट गई एक बेटी की पढ़ाई
रिजवाना के 4 बच्चे हैं। तीन लड़कियां और एक लड़का। इनमें से बड़ी बहन लुबना की शादी हो गई है। उससे छोटी बेटी बुशरा अभी 19 साल की हैं। पहले सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। उन्हें पढ़ना अच्छा लगता था, इसलिए वह प्राइवेट स्कूल से पढ़ाई करना चाहती थी। लेकिन, घर में इतने पैसे ही नहीं थे कि उसे पढ़ाया जा सके इसलिए उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

अब रिजवाना जितने भी पैसे कमाती हैं उससे अपने छोटे बेटे यासिन और छोटी बेटी नशरा की पढ़ाई में लगा देती हैं।

नया बैग लेने के पैसे नहीं थे, दुकानदार ने कम पैसे में ये बैग दे दिया
वायरल फोटो के बारे में पूछने पर वो बताती हैं कि वह परिवार का गुजर बसर करने के लिए सामान बेचती हैं। वह सारा सामान एक बैग में भरकर चलती थीं। अभी करीब 15 दिन पहले पुराना बैग फट गया। जब वह नया बैग लेने गईं तो वो बहुत महंगे थे। इसलिए दुकानदार ने रिजवाना की जरूरत अनुसार उन्हें 50 रुपए में पुराना बैग दे दिया, इसमें उसने अपना सामान रखा था।

50 रुपए के बैग ने रिजवाना की मुश्किलें थोड़ी आसान कर दी
रिजवाना कहती हैं कि जब फोटो के वायरल होने का पता चला तो मैं समझ नहीं पाई कि इसमें खास क्या है? आज भी नहीं समझ आता। लेकिन धीरे-धीरे ये बात फैल गई। अब मेरे अकाउंट में कभी कोई अनजान 500 रुपए भेज देता है, तो कोई 100 रुपए। वह कहती हैं कि लोगों की मदद से मेरी मुश्किलें थोड़ी आसान हो गईं हैं। मैं खुद तो बस 5वीं तक पढ़ी हूं, लेकिन अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाना चाहती हूं। जिससे वह अपने पैरों पर खड़े हो पाएं और उन्हें किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े।

8 घंटे मेहनत के बाद दिन के करीब 170 रुपए कमा लेती हैं
रिजवाना सुबह 8 बजे एक घर में बर्तन और झाड़ू-पोंछा लगाने का काम करती हैं। उसके बाद वो डिस्पोसेबल कप, ग्लास समेत छोटा-छोटा सामान बेचने के लिए पैदल ही दुकानों और ठेलों की तलाश जाती हैं। दिन में 3 बजे एक जगह खाना बनाने का काम करती हैं।

वह बताती हैं कि इन सब से महीने में 4 हजार से 5 हजार तक की कमाई हो जाती है। जिससे घर का राशन, बच्चों की फीस सबका इंतजाम हो पाता है।

पैदल चलने से आने-जाने का किराया बच जाता है
रिजवाना सामान बेचने के लिए दिन में करीब 25 किलोमीटर पैदल चलती हैं। वो कहती हैं कि अगर हम साधन से जाएंगे तो जितना सामान बेचकर कमाएंगे वो आने-जाने में खर्चा हो जाएगा। इसलिए वो सारा सामान अपने कंधे पर लादकर पैदल ही जाती हैं। इससे काफी खर्चा बच जाता है।

ना ही सरकारी आवास है, ना घर में पानी का कनेक्शन
रिजवाना ने बताया कि एक कमरे में बच्चों के साथ रहने में बहुत दिक्कतें होती हैं। इसलिए हमने तीन बार आवेदन भी किया पर अब तक सरकारी आवास हमें नहीं मिला। साथ ही घर में छोटा सा बाथरूम है लेकिन पानी का कनेक्शन नहीं है। पानी के लिए उन्हें घर से करीब 50 मीटर दूरी पर लगी टोटी से भरकर लाना होता है।

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