अल्पसंख्यक वर्ग के फंड में कटौती किए जाने पर कांग्रेसी नाराज – राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन, कटौती को रोकने की मांग

फतेहपुर। वार्षिक बजट में अल्पसंख्यक वर्ग के प्रमुख फंड में 38 प्रतिशत तक की कटौती करने के विरोध में मंगलवार को शहर कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। जिसमें कटौती रोकने की मांग की गई।
शहर चेयरमैन आमिरूज्जमा खां की अगुवाई में कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के वाइस चेयरमैन मिस्बाह उल हक ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने सदन में बजट 2023-2024 की घोषणा के अनुसार आगामी वित्त वर्ष में अल्पसंख्यक वर्ग के विकास हेतु बजट को बढ़ाने के बजाय उसमें 38 प्रतिशत.तक की कटौती कर दी है। ये कटौती केंद्र सरकार की अल्पसंख्यक विरोधी सोच को उजागर करती है। कई छात्रवृत्ति और कौशल विकास योजनाओं को अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति सहित प्रमुख फंड को बजट मे कटौती मिली है। इस साल योजनाओं को 44 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले साल इसके लिए बजट 365 करोड़ रुपये था। 2022-23 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के लिए बजट अनुमान 5,020.50 करोड़ रुपये था। इस बार मंत्रालय को 3,097 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मदरसों में आधुनिक विषयों को शामिल करने, शिक्षक प्रशिक्षण और अल्पसंख्यक संस्थानों में स्कूल के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की बात करने वाली मोदी सरकार ने मदरसों की वित्तीय सहायता के रूप में बजट में मात्र 10 करोड़ रुपये रखे गए हैं। जबकि वित्त वर्ष 2022-2023 में ‘मदरसों और अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा योजना’ के लिए 60 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। बजट से साबित होता है कि सरकार पूरी तरह अल्पसंख्यक विरोधी है तथा अल्पसंख्यक समाज को शिक्षा से दूर रखना और उनकी तरक्की के सभी रास्ते बन्द करना चाहती है। मोइन चैधरी राइन ने कहा कि अल्पसंख्यक वर्ग के बजट में की गई 38 प्रतिशत कटौती को रोकने हेतु केंद्र सरकार तुरन्त पहल करे। प्रदेश सचिव मोहम्मद आलम ने कहा कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को 200 करोड़ दिया जाना और भारत देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के बजट में कटौती कहां का न्याय है। इस अवसर पर वकील अहमद, नफीस खान, फहद, सैयद शहाब अली, हाफिज हनीफ अंसारी मौजूद रहे।

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