मध्यप्रदेश में जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शराब बिक्री को लेकर मोर्चा खोल रखा है। वहीं दूसरी तरफ राजधानी से 40 किलोमीटर दुकानों के अलावा खुलेआम भी अवैध शराब बिक रही है। सड़क पर फल-सब्जी की तरह ‘पन्नी’ में कच्ची शराब बेची जा रही है। न्यूज़ वाणी के स्टिंग ऑपरेशन में महिलाएं और बच्चे अवैध शराब बेचते कैमरे में कैद हुए हैं।
प्रदेश में नई शराब नीति जल्द ही आने वाली है। इसी बीच न्यूज़ वाणी ने राजधानी के आसपास अवैध शराब की बिक्री को लेकर मैदानी हकीकत जानी।
बैरसिया रोड, लक्ष्मणपुरा गांव
भोपाल से 40km दूर बैरसिया रोड पर लक्ष्मणपुरा गांव। यहीं से तरावली मंदिर जाने का रास्ता है। दोपहर के साढ़े 3 बज रहे थे। हाथों में चार-पांच पन्नियां और सड़क से गुजरते लोगों को रोकतीं महिलाएं। तकरीबन एक किलोमीटर के दायरे में दोनों ओर कई महिलाएं और बच्चे झुंड बनाकर खड़े थे। हर आने-जाने वालों से पन्नी खरीदने का कह रहे थे। इनमें 10 साल के बच्चे से लेकर 80 साल की बुजुर्ग सुहनबाई शामिल थीं।
जैसे ही, हमने मोबाइल निकाला, सुहनबाई ने पन्नियां छुपा लीं। जब मोबाइल बंद किया, तो पन्नियां दिखाईं। पन्नी में कुछ तरल पदार्थ था। हमने पूछा कि पन्नी में क्या है? बोली- पन्नी में देशी यानी कच्ची शराब है। कीमत थी सिर्फ 10 रुपए। एक पन्नी में 80 से 100 एमएल तक शराब भरी थी। इसके बाद कुछ आगे चले, तो 30 साल की महिला भी शराब बेचती नजर आई। नाम पूछा तो बताया नहीं। थोड़ी दूर ही 40 साल की रामकन्या खड़ी थी। साथ में उसका 10 साल का बेटा भी था। उससे पूछा कि शराब पीने से तबीयत तो नहीं बिगड़ेगी? वह तपाक से बोली- साहब! हम इसे घर में ही बनाते हैं। तबीयत नहीं बिगड़ेगी। महुए की है। हम खुद भी इसे ही पीते हैं।
भोपाल से 15 किमी दूर हरीपुरा
अब हम पहुंचते हैं हरीपुरा गांव। भोपाल से करीब 15 किलोमीटर दूर आदमपुर छावनी के पास छोटा सा गांव। आबादी एक हजार भी नहीं, लेकिन अवैध तरीके से शराब कई घरों में बनती है। गांव में पहुंचकर शराब खरीदने की बात कही, तो कई लोगों ने पहले मना कर दिया। बाद में समझाया कि हम न तो पुलिस हैं और न ही आबकारी विभाग के अफसर। काफी समझाने के बाद माने और शराब के बारे में बताया।
गांव के चौक पर खड़े एक व्यक्ति ने बताया कि गांव के कई घरों में शराब बनती है। यहीं पर भट्टी बनी है। वह एक घर भी लेकर पहुंचे। जहां 70 रुपए में एक लीटर शराब बेचना तय हुआ। सौदा होने पर महिला घर के भीतर गई। पन्नी में शराब भरकर ले आई। जब भट्टी के बारे में पूछा, तो उसने सिर्फ इतना कहा कि शराब में कुछ नहीं मिलाया। चाहे तो शराब में आग लगाकर बता देंगे।
भोपाल में लक्ष्मणपुरा, हरीखेड़ा में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा। घर-घर में शराब की भट्टियां हैं। वहीं, जंगल समेत ऐसे जगहों पर भी शराब बनाई जाती है, जहां पर पुलिस या आबकारी विभाग का अमला न पहुंच सके। हालांकि, लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि अवैध शराब के बारे में पुलिस और आबकारी विभाग को सबकुछ पता होता है। छुट-पुट कार्रवाई होती है, तो कुछ दिन नहीं बेचते। बाद में फिर शराब बेचने लग जाते हैं।
देसी शराब ऐसे बने जाती है
गांवों में देसी शराब बनाने का तरीका भी कुछ अलग है। 200 लीटर के ड्रम में 30 किलो गुड़ और पांच किलो महुआ डाला जाता है। साथ ही, फिटकरी भी डालते हैं, ताकि पानी साफ हो सके। तीन से चार दिन तक इसे सड़ाया जाता है। इसके बाद चूल्हे पर उबलने के लिए रखते हैं, जो भाप के जरिए शराब के रूप में तब्दील होती है। एक ड्रम में से 25 से 30 लीटर शराब निकलती है। इस शराब में पानी मिलाते हैं, ताकि ज्यादा नुकसान न करे। कई बार जल्दी बनाने के चक्कर में यूरिया समेत अन्य केमिकल मिला दिए जाते हैं। यही जानलेवा साबित होती है।
देशी शराब कितनी घातक
डॉक्टरों का कहना है कि देशी शराब में मिथाइल अल्कोहल होता है। यह इंसान की ऑप्टिक नर्व को डैमेज करता है, जिससे उल्टियां होती हैं। दिखाई देना बंद हो जाता है। ऐसे में हार्ट और लिवर भी डैमेज हो जाते हैं। नतीजा, मौत तक हो जाती है।
भोपाल में लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ. सुबोध वार्ष्णेय के मुताबिक सड़क पर बिकने वाली अवैध शराब मानकों के अनुरूप नहीं बनाई जाती। न ही इसका कोई क्वालिटी टेस्ट होता है। चीजों को मापने का कोई साधन भी नहीं होता। इसमें लोग अंदाज से चीजें डालते हैं। इसमें डाले जाने वाले कोई भी केमिकल ज्यादा हो गया, तो नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए इससे बचना चाहिए।
प्रदेशभर में बन रही अवैध शराब
अकेले भोपाल में नहीं, प्रदेश के कई जिलों में अवैध शराब बिक रही है। जहरीली शराब पीने की वजह से मुरैना, रतलाम, उज्जैन, खरगोन, मंदसौर समेत कई जिलों में मौत के मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा शाजापुर, देवास, खंडवा, श्योपुर, सीहोर, धार, शिवपुरी आदि जगहों पर भी शराब बिक रही है। कंजर डेरों पर शराब बनाई जा रही है। कई कंजर डेरों पर शराब बनाने की भट्टी भी है।
ढाबे में खाने की टेबल में शराब का स्टैंड
आबकारी विभाग की पिछली कार्रवाई पर नजर डालें, तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आ चुकी है। 5 फरवरी 2022 को गांधीनगर स्थित एक ढाबे में अवैध शराब जब्त की गई थी। खाना खाने की टेबल के स्टैंड में शराब रखी थी।
- 9 जनवरी को गांधीनगर इलाके में आबकारी विभाग की टीम ने कार्रवाई की थी। यहां शराब से भरे ड्रम और केन गड्ढों में छिपाकर रखे थे। वहीं, घरों में भी बोतलों में शराब भरकर रखी थी। मौके से 3 हजार किलो महुआ लहान, 40 लीटर हाथ भट्टी शराब जब्त की गई। शराब छोटे-बड़े 10 से 12 ड्रमों में भरकर रखी गई थी।
- पिछले साल 7 नवंबर को आदमपुर स्थित छावनी पठार में शराब से भरे ड्रम मिले थे, जो गड्ढों में छिपाकर रखे थे। गांव में शराब बनाकर आसपास के इलाकों में बेची जाती है। भोपाल में पिछले साल अवैध शराब काे लेकर 50 से ज्यादा मामलों में कार्रवाई की गई।
शराब से सबसे ज्यादा मौतें मुरैना में
अब अवैध और जहरीली शराब के पिछले मामले रिकॉल करते हैं। जहरीली शराब से सबसे ज्यादा होने की बात करें तो मुरैना में जनवरी 2021 में बड़ी घटना हुई थी। जहरीली शराब पीने से 26 लोगों की मौत हो गई थी। तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिम्मेदार अफसरों पर कड़ी कार्रवाई की थी।
वहीं, मामले की विशेष टीम ने जांच की थी। मुरैना कांड के बाद अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा की अध्यक्षता में SIT भी बनी थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें कहा गया था, वर्तमान आबकारी कानून के प्रावधान को सख्त करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया- अवैध शराब का कारोबार करने वालों पर धारा 134 में कार्रवाई की जाती है, जिसमें तत्काल जमानत हो जाती है। इस पर विचार तक नहीं किया गया। यही वजह है, एक-एक व्यक्ति पर 30 से 40 केस हैं, लेकिन वे अवैध कारोबार जारी रखे हैं।\
SIT ने सुझाव
- मध्य प्रदेश के आबकारी कानून को उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों की तरह सख्त बनाया जाए।
- वर्तमान आबकारी नीति में बड़े ठेकेदारों को 2 से 3 जिलों के ठेके दिए हैं। ऐसे में वे लोग मोनोपॉली बनाकर ज्यादा रेट पर शराब बेच रहे हैं।
- शराब महंगी होने का फायदा अवैध शराब का कारोबार करने वाले उठा रहे हैं। वे अवैध शराब बनाकर गरीबों को सस्ते दाम पर दे रहे हैं।
- आबकारी नीति में ज्यादा टैक्स लगाए जाने के कारण प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में शराब महंगी है।
शराब पीने वालों की संख्या 50% बढ़ी
प्रदेश में देसी-विदेशी शराब और बीयर की बिक्री में बढ़ोतरी हुई, तो बीते एक साल में शराब से ही करीब 860 करोड़ रुपए की कमाई बढ़ गई। इस साल अब तक सरकारी खजाने में 10,380 करोड़ आ चुके हैं। मप्र में बीयर का क्रेज है। 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में 50% तक अधिक खपत हुई। इंदौर में 85 % शौकीनों ने बीयर का लुत्फ लिया।
वहीं, जबलपुर में यह आंकड़ा 94 % है। इसके नक्शे कदम पर चलते हुए ग्वालियर, बुंदेलखंड, बघेलखंड और आदिवासी जिलों में देसी और अंग्रेजी शराब के साथ ही बीयर की खपत बढ़ी है। इसके उलट भोपाल में बीयर को तरजीह कम मिलती है। प्रदेश के 52 जिलों में से 14 जिलों में अंग्रेजी और 10 जिलों में देसी शराब की बिक्री बीते साल की तुलना में कम हुई है। वहीं, गुना, अलीराजपुर एवं डिंडोरी ऐसे तीन जिले हैं, जहां बीयर के शौकीनों की संख्या सबसे कम हैं।
भोपाल का अयोध्या नगर इलाके के जिस मंदिर में पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता उमा भारती ने तीन दिन से डेरा डाल रखा था, आज शाम वे वहां से चली गईं। वे मंदिर के सामने स्थित शराब दुकान व प्रदेश की शराब नीति के विरोध में मंदिर में रहकर विरोध कर रही थीं। यहां से जाने से पहले उन्होंने राज्य सरकार को खुली धमकी भी दी