तुर्कि को नई जिंदगी दे रहे भारतीय जवान

‘ऑपरेशन मदद’ के तहत तुर्किये भेजे गए NDRF और इंडियन आर्मी के जवान मलबे से लोगों को ढूंढकर नई जिंदगी दे रहे हैं। NDRF आठवीं बटालियन गाजियाबाद (उप्र) के जवानों ने भूकंप के 90 घंटे बाद 6 साल की बच्ची को जिंदा रेस्क्यू किया है। वहीं तीन फेमिली मेंबरों को खो चुकी 13 वर्षीय बच्ची 72 घंटे बाद मलबे से जिंदा निकली है और अब ये इंडियन आर्मी की 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल आगरा (उप्र) की देखरेख में है।

NDRF ने एक जीवित, छह शव निकाले

NDRF प्रवक्ता नरेश चौहान ने बताया, आठवीं बटालियन के जवान तुर्किये के गाजीअंटेप प्रोविंस के नूरदाग शहर में रेस्क्यू ऑपरेशन कर रहे हैं। NDRF की टीम 10 और 11 द्वारा गुरुवार रात तक 6 वर्षीय बच्ची को जीवित और 6 लोगों के शव निकाले गए हैं। एल्वान में बेरेन नामक ये बच्ची 90 घंटे बाद मलबे से बाहर निकली है। इसके तुरंत बाद ही इसे अस्पताल भेज दिया गया। लोकल रिपोर्ट्स के अनुसार अभी तक नूरदाग में लगभग 1100 लोगों की मृत्यु हुई है और लगभग 2000 लोग घायल हैं।

तुर्किये के हैटे प्रांत में इंडियन आर्मी की आगरा से गई टीम ने फील्ड हॉस्पिटल खोला है, जहां भूकंप पीड़ितों का इलाज जारी है।

आगरा की टीम ने हैटे में खोला फील्ड हॉस्पिटल

इंडियन आर्मी की 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल आगरा के 99 जवानों की मेडिकल टीम ने तुर्किये में हैटे प्रांत के शहर स्कैंडरून में एक हॉस्पिटल खोल लिया है। इस पूरे हॉस्पिटल को मेजर वीना तिवारी लीड कर रही हैं। गुरुवार को जो 13 वर्षीय बच्ची मलबे से जिंदा बाहर निकाली है, उसकी देखरेख खुद मेजर वीना कर रही हैं। इस हॉस्पिटल में बेड, वेंटीलेटर, कार्डियक मॉनिटर समेत जीवन रक्षक दवाइयां पर्याप्त संख्या में हैं।

2 डिग्री है टेम्प्रेचर, उसी हिसाब से ले गए कपड़े

तुर्किये में तापमान 2 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। इसलिए भारत से जाने वाले NDRF और इंडियन आर्मी के जवानों को स्नो फॉल और माइनस टेम्प्रेचर में भी काम करने के साधन उपलब्ध कराए गए हैं। मसलन शूज से लेकर उनके कपड़े इस प्रकार के हैं, जिससे माइनस टेम्प्रेचर में भी उनके काम में कोई दिक्कत न आए। 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल आगरा के 99 जवान सफेद रंग के जूते लेकर गए हैं, जो बर्फबारी में भी सुरक्षित रहेंगे।

भारत से अब तक सात विमानों में तुर्किये-सीरिया पहुंची मदद

  • गाजियाबाद में भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर से NDRF आठवीं बटालियन के 51 सदस्यीय पहले दल ने 6 फरवरी की रात 3 बजे हिंडन एयरबेस से उड़ान भरी। इसमें एनडीआरएफ की ड्रिल मशीनें, भूकंप में बचाव के लिए काम आने वाले सभी उपकरण, दो डॉग स्क्वायड भेजे गए हैं।
  • गाजियाबाद हिंडन एयरबेस से 7 फरवरी की दोपहर साढ़े 12 बजे दूसरा सी-17 ग्लोबमास्टर रवाना हुआ। इसमें कोलकाता स्थित NDRF बटालियन के 50 जवान गए। इनके साथ खोजी श्वान, रेस्क्यू इक्यिपमेंट्स, वाहन आदि सामान भेजा गया है।
  • आगरा 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल से इंडियन आर्मी की 45 सदस्यीय मेडिकल टीम 7 फरवरी की सुबह वायुसेना के स्पेशल विमान से तुर्किये गई। इस विमान में वेंटिलेटर, एक्सरे मशीन, ऑक्सीजन जेनरेटर प्लांट, कार्डिक मॉनिटर और 30 असेंबल बेड भेजे गए।
  • आगरा 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल से 54 मेडिकल एक्सपर्ट चौथे सी-17 ग्लोबमास्टर विमान से तुर्किये भेजे गए। इस टीम में सभी तरह के मेडिकल एक्सपर्ट, डॉक्टर, विशेषज्ञ मौजूद हैं, ताकि वे भूकंप पीड़ितों का इलाज कर सकें।
  • भारतीय वायुसेना का विमान C-130 हरक्युलिस छह टन इमरजेंसी राहत सामग्री लेकर सीरिया पहुंच गया है। इसमें जीवन रक्षक दवाइयां और इमरजेंसी मेडिकल आइटम्स हैं।
  • गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से मंगलवार देर रात भारतीय वायुसेना का छठा विमान C-17 ग्लोबमास्टर इंडियन आर्मी के 100 जवानों को लेकर उड़ा था, जो अलसुबह तुर्किये पहुंच गया है। इसमें भूकंप पीड़ितों के इलाज के लिए मेडिकल इक्वीपमेंट्स भेजे गए हैं।
  • NDRF वाराणसी की 51 सदस्यीय टीम मेडिकल इक्वीपमेंट्स लेकर बुधवार रात 8 बजे भारतीय वायुसेना के C-17 ग्लोबमास्टर से तुर्किये के लिए रवाना हुई। ये सातवां विमान है।
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