जली मस्जिदें चुनावी मुद्दा नहीं, आरोपी बेल पर

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से करीब 55 किलोमीटर दूर गोमती जिले के काकराबन गांव के दरगाह बाजार में अब एक नई मस्जिद खड़ी है। इससे बस 5 फीट दूरी पर ही 19 अक्टूबर 2021 को एक पुरानी मस्जिद को जला दिया गया था। पुरानी मस्जिद के नाम पर अब वहां एक लोहे का एंगल बचा है, शायद स्थानीय लोगों ने इसे बतौर निशानी छोड़ दिया है।

मस्जिद से सिर्फ 200 मीटर दूर BJP का रीजनल इलेक्शन ऑफिस है। त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के लिए 16 फरवरी को वोटिंग है। अभी राज्य में BJP की ही सरकार है। मैं पुरानी मस्जिद के बारे में पूछती हूं, तो BJP ऑफिस के लोग मुझसे ही सवाल-जवाब करने लगते हैं। यहां अब जली हुई मस्जिद को याद करने वाला कोई नहीं। मामले में सभी आरोपी बेल पर बाहर आ चुके हैं।

BJP दफ्तर से निकलकर पुरानी मस्जिद की देखरेख करने वाले मुस्तफा के घर पहुंची, तो उनकी पत्नी ने बताया, ‘नई मस्जिद बनानी पड़ी, क्योंकि पुरानी जल गई थी।’ पूछा-किसने जलाई? तो जवाब मिला, ‘ये मेरे शौहर ही बताएंगे।’

‘मैं कुछ नहीं बोलूंगा, लोगों ने चुप रहने के लिए कहा 
पत्नी के फोन के करीब 10 मिनट के अंदर मुस्तफा घर आ जाते हैं। उनसे 19 अक्टूबर 2021 को हुए हादसे के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं इस पर कुछ नहीं बोल सकता, हमारे जिम्मेदार लोगों ने चुप रहने के लिए कहा है। हम बोलेंगे तो मुश्किल में फंस जाएंगे। आप देख ही रही हैं (वे पूरी गली में लगे BJP के झंडों की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं) चारों तरफ झंडे ही झंडे हैं।’

मुस्तफा मुझे लौट जाने की हिदायत देते हुए कहते हैं- ‘दिल्ली से कुछ लोग आए थे, इस पर रिपोर्ट बनाने, वह मुश्किल में फंस गए थे।’ वे दरवाजा बंद करते हुए कहते हैं- ‘हमें तो यहीं रहना है।’

मुस्तफा शायद उन दो महिला पत्रकारों समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें 14 नवंबर 2021 को त्रिपुरा पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। ये दोनों इन्हीं मस्जिदों पर स्टोरी करने आई थीं। पुलिस ने उन पर दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने का आरोप लगाकर हिरासत में ले लिया था। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता कंचन दास ने इन पत्रकारों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा हुई, त्रिपुरा भी जल उठा
13 अक्टूबर 2021 को बांग्लादेश के चिटगांव के कुमिल्ला में एक दुर्गा पूजा पंडाल में कुरान के साथ बेअदबी की अफवाह उड़ी। अष्टमी के दिन बांग्लादेश के कई हिस्सों में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़क उठी।

इसकी शुरुआत ढाका से 100 किलोमीटर दूर कुमिल्ला शहर से हुई थी। पूजा मंडप तोड़ने का सिलसिला बाद में ढाका, फेनी, किशोरगंज, चांदपुर समेत बांग्लादेश में कई जगह नजर आया। इस हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई, कई घायल भी हुए।

बांग्लादेश में हुए हमलों के विरोध में 21 अक्टूबर को हिंदूवादी संगठनों, खासकर VHP, ने साउथ त्रिपुरा के अगरतला और नॉर्थ त्रिपुरा जिले के धर्मनगर में रैली की। इलाके में तनाव के बीच 26 अक्टूबर को फिर नॉर्थ त्रिपुरा के पानीसागर में ‘प्रतिवाद रैली’ निकाली गई। इसमें करीब 10 हजार लोग शामिल थे। उधर, गोमती नगर के दरगाह बाजार में 19 अक्टूबर को मस्जिद जलाने की घटना सामने आ चुकी थी।

15 मस्जिदों पर हमले का दावा, दुकानों में आग लगाई
आरोप है कि 26-27 अक्टूबर की दरमियानी रात ही पानीसागर सब-डिवीजन में CRPF की मस्जिद को जला दिया गया। कहा जाता है कि ये मस्जिद 1982 में CRPF के जवानों ने बनाई थी। रैली के लोगों ने कथित तौर पर एडवोकेट अब्दुल बासित के घर पर भी हमला किया। ये भीड़ यहीं नहीं रुकी और पानीसागर की चामतिला मस्जिद और रोवा के बाजार में मुस्लिमों की दुकानों को भी निशाना बनाया गया।

ऐसी ही हिंसा की खबरें उनाकोटी, वेस्ट त्रिपुरा के कृष्णानगर, सिपाहीजाला और गोमती जिले के उदयपुर से भी सामने आईं। दो वकीलों अंसार इंदौरी और मुकेश ने इस मामले में फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट भी बनाई थी। इस रिपोर्ट में करीब 15 मस्जिदों के जलाए या तोड़फोड़ होने का दावा था। बाद में इन दोनों पर भी त्रिपुरा सरकार ने UAPA लगा दिया था।

जली हुई मस्जिद और घबराए हुए लोग
गोमती जिले में ज्यादातर मुसलमान जली हुई मस्जिद के बारे में सवाल करने पर कहते हैं- ‘अब अगर त्रिपुरा में कुछ भी बोलेंगे, तो हम फिर निशाने पर आ जाएंगे।’

मैं नई मस्जिद पहुंची तो लोगों ने इमाम जियाउर्रहमान को फोन कर बुलाया। उन्होंने इनकार कर दिया, तो मैंने खुद नंबर लेकर कॉल किया। मिलने के लिए कहा तो जवाब मिला, ‘यहां अब सब ठीक है, क्यों इसे खत्म करना चाहती हैं।’

मैंने पूछा- ‘नई मस्जिद को बनाने के लिए किसने पैसा दिया?’ जवाब मिला- ‘जमीयत ने 50 हजार रुपए दिए, DM ने 30 हजार और बाकी हमने चंदा किया।’

क्या मस्जिद जलाई गई थी? जवाब मिला, ‘खाक हो गई थी।’

किसने जलाई थी? उधर से कोई जवाब नही आया।

कुछ ठहर कर बोले ‘जमीयत से बात कीजिए।’

फोन कट गया। पूरे फोन कॉल पर वे यही कहते रहे कि कुछ भी बोलने को मना किया गया है। आप जमीयत के मुखिया से बात कीजिए।

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बाद 19 अक्टूबर की रात को दरगाह बाजार की इस मस्जिद को जलाया गया था। जली हुई मस्जिद के साथ मस्जिद के जनरल सेक्रेटरी और उनके बेटे की तस्वीरें भी वायरल हुई थीं। जनरल सेक्रेटरी रहमत अली खान ने देर रात मस्जिद के जलने की घटना के बारे में बयान भी दिया था। मैंने उन्हें फोन लगाया, लेकिन वे इस बारे में अब कोई बात नहीं करना चाहते।

इलाके में जमीयत के मुखिया तैय्यब इस्लाम से बात हुई, तो उन्होंने भी इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पुरानी मस्जिद से कुछ दूर रहने वाले समीर जली हुई मस्जिद की जगह बालू में धंसे लोहे के एंगल की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं- ‘यहीं पर पुरानी मस्जिद थी। वह जल गई इसलिए नई मस्जिद बनानी पड़ी।’ जैसे ही मैं पूछती हूं कि किसने जलाई? वे माइक से मुंह फेरकर चले जाते हैं।

जली हुई मस्जिदों के निशान 
दरगाह बाजार की इस मस्जिद के अलावा बांग्लादेश के बॉर्डर से लगे सिपाहीजाला जिले की खास चौमुहानी की नूर-अल-जामा मस्जिद को भी जलाए जाने के आरोप लगे थे। यहां पहुंचने पर जली हुई मस्जिद आज भी वैसी ही हालत में मौजूद है।

इस जली हुई मस्जिद से करीब 1 किलोमीटर दूर नई मस्जिद बना ली गई है। जली हुई मस्जिद इलाके के नरौरा गांव में है। ये हमले कथित तौर पर 19 अक्टूबर को शुरू हुए और 26 अक्टूबर 2021 तक त्रिपुरा के अलग-अलग इलाकों में मस्जिदों को निशाना बनाते रहे।

मस्जिद कमेटी के सदस्य अनवर हुसैन से नई बन रही मस्जिद में मुलाकात हुई। बात करने के लिए वह इस शर्त पर राजी हुए कि हम उनसे यह न पूछें कि आग किसने लगाई थी। उन्होंने बताया, ‘वे लोग पूरी तरह मस्जिद में आग नहीं लगा पाए थे, लेकिन उसके जिंगले (खिड़कियां) और दूसरे हिस्से बुरी तरह जल गए। अब हम नई मस्जिद बना रहे हैं।’

वहीं मस्जिद क्यों नहीं बनाई, पूछने पर जवाब मिला – ‘उस मस्जिद में जाने-आने में दिक्कत होती थी।’

इन्हीं मस्जिदों की तलाश में मैं अगरतला से करीब 156 किलोमीटर दूर नॉर्थ त्रिपुरा में पानी सागर और चामतिला भी पहुंची। ये उग्रवाद के लिहाज से राज्य का सबसे सेंसिटिव इलाका माना जाता है। यहां जाने के रास्ते में जगह-जगह चेकपोस्ट हैं।

अगरतला से करीब 75 किमी दूर 18 मूरा पार कर हम आगे बढ़ ही रहे थे कि सुरक्षाबलों ने हमें रोक लिया। चुनाव के माहौल में सेंसिटिव जोन बताकर मुझे अंबाशाह से आगे बढ़ने नहीं दिया गया। मैंने आगे जाने की जिद की, लेकिन उन्होंने सुरक्षा कारणों का हवाला दिया।

सरकार आज भी नहीं मानती, कहीं कोई मस्जिद जली
13 नवंबर को मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के जरिए सूचना जारी कर दरगाह बाजार की मस्जिद जलाए जाने की खबर को झूठ बताया था। इस सूचना में ये भी कहा गया था कि त्रिपुरा में कहीं भी कोई मस्जिद नहीं जलाई गई है।

हालांकि, सिर्फ दरगाह बाजार मस्जिद वाले मामले में 12 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया। ज्यादातर आरोपी VHP के कार्यकर्ता थे, जिन्हें 2 दिन बाद ही बिना कार्रवाई के छोड़ दिया गया।

मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के अलावा उस दौरान इलाके के IG (लॉ एंड आर्डर) IPS अधिकारी सौरभ त्रिपाठी ने भी दरगाह बाजार की मस्जिद जलने की खबर को फर्जी बताया था। त्रिपुरा में आज भी पुलिस अधिकारी इस मसले पर बात नहीं करना चाहते। चुनाव का हवाला देकर सभी खुद को बिजी बताते रहे।

उधर, त्रिपुरा विश्व हिंदू परिषद के प्रेसिडेंट बिजित दास से इस मामले में बात की तो उन्होंने भी इसे फेक न्यूज करार दिया। हालांकि, उन्होंने अपने सभी लोगों के रिहा होने की खबर की पुष्टि की। मैंने पूछा कि जब कुछ हुआ ही नहीं था, तो लोगों को हिरासत में क्यों लिया गया? जवाब मिला- ‘गलतफहमी थी, अब हमें कोई परेशान नहीं कर रहा। हादसे के करीब 16 महीने हो चुके हैं। किसी को इस मामले में सजा नहीं हुई।’

कागजों में केस ओपन, लेकिन जांच रुकी
मैंने अपने पुलिस सूत्रों से जानकारी निकाली तो मालूम चला कि कागजों में केस ओपन है, लेकिन कोई छानबीन नहीं हो रही, सभी को छोड़ दिया गया है। इस मामले में पुराने वीडियो, फोटोज और जली हुई मस्जिद को देखने वाले कई आई-विटनेस भी हैं।

मुस्तफा और जियाउर्रहमान भी इस मामले में गवाह हैं। सुबह उन्होंने ही सबसे पहले जली हुई मस्जिद देखी थी। हालांकि, अब इलाके के मुसलमानों ने भी इस मामले पर बोलना छोड़ दिया है, उन्हें ऊपर से किसी ने इसकी हिदायत दी है।

नॉर्थ त्रिपुरा के तब SP रहे भानुपदा चक्रवर्ती ने भी मस्जिद जलाने के सभी आरोपों को गलत बताया था। उनके मुताबिक ‘ये सच है कि धर्मनगर रैली में 10 हजार लोग शामिल थे, लेकिन मस्जिद जलाई गई या नहीं, ये जांच जारी है।’ ये जांच अब भी जारी ही है।

आरोपियों की गिरफ्तारी और रिहाई साथ-साथ हुई…
जमीयत के सदस्य मोहम्मद इनामुद्दीन इस मामले में बात करने के लिए तैयार हुए। हालांकि मिलने से मना कर दिया, कहा- ‘फोन पर ही बात हो पाएगी, अभी चुनाव है, सबकी नजर है।’

मैं सवाल करती हूं- इन मामलों में कोई गिरफ्तार नहीं हुआ? वे कहते हैं, ‘अभी तो सब बेल पर रिहा हैं। कोई भी जेल में नहीं। रिहा तो वे लोग तभी हो गए थे। इधर से जेल गए, उधर से बेल पर बाहर आए।’

इस मामले में जमीयत क्या कर रही है? इसके जवाब में वे कहते हैं- ‘जो भी कोशिश करता है, उसे ही गिरफ्तार कर लिया जाता है। उस पर आरोप लगा दिए जाते हैं। हमने एक लिस्ट तैयार की थी। पुलिस को दी भी, लेकिन फिर कुछ हुआ नहीं।’

क्या अब यहां पर सब शांति है? वे कहते हैं, ‘हां, कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई, पर दरगाह और मस्जिद में कभी-कभी मूर्तियां रखने की खबर आ जाती है। 5 साल पहले यह नहीं होता था।’

खबरें फर्जी थीं, मस्जिदें जली ही नहीं, हमला हुआ ही नहीं: VHP
त्रिपुरा से सटी हुई बांग्लादेश की 856 किलोमीटर लंबी सीमा है। बांग्लादेश में बहुसंख्यक मुसलमानों की हिंसा के जवाब में इससे पहले त्रिपुरा में कभी कुछ देखने को नहीं मिला था। इससे पहले 1980 में त्रिपुरा में बंगाली और आदिवासियों के बीच हिंसा हुई थी, जिसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों शामिल थे।

मस्जिद से ताल्लुक रखने वाले लोग बताते हैं- ‘त्रिपुरा में पहली बार मस्जिदें जलीं। एक नहीं कम से कम आधा दर्जन मस्जिदों पर हमले हुए। बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्गा पूजा पर हुए हमले का बदला हमसे लिया गया। अगर त्रिपुरा में हमने कुछ बोला, तो क्या अब यहां हम रह पाएंगे। हमें जिंदा रहना है और परिवार को भी जिंदा रखना है।’ ये कहते हुए वे बार-बार कहते हैं कि हमारी पहचान न जाहिर हो, हमें यहीं रहना है।

दूसरी तरफ मामले में जो लोग आरोपी हैं, उन्हें भी चुनावों तक लो-प्रोफाइल रहने के लिए कहा गया है। BJP सूत्रों के मुताबिक- ‘’सरकार खुद भी चौकन्नी है कि दोबारा इस तरह की घटना न हो। घटना हुई तो दाग सरकार पर लगेगा और चुनाव में इसे मुद्दा नहीं बनने देना है।’

उधर, विश्व हिंदू परिषद के प्रेसिडेंट बिजित दास से इस मामले पर बात की, तो उन्होंने कहा, ‘हां गिरफ्तारी हुई थी। पर सारे लोग छूट भी गए थे। एक बजरंग दल का हमारा साथी है, जिस पर केस चल रहा है। उसे पुलिस पकड़ नहीं पाई।’ मस्जिदों को जलाया किसने था, बिजित दास कहते हैं, ‘खबरें फर्जी थीं। मस्जिदें जली ही नहीं। हमला हुआ ही नहीं।’

चुनाव में हिंसा कोई मुद्दा नहीं, बात करने से भी बच रहे लोग
CPM के मैनिफेस्टो के दूसरे पेज के सबसे आखिर में दरगाह और मस्जिदों से कब्जा छुड़ाने का वादा किया गया है, लेकिन जली हुई मस्जिद के दोषियों को सजा दिलाने का जिक्र तक नहीं है। उधर, BJP के मैनिफेस्टो में तो मुस्लिम समुदाय का जिक्र तक नहीं। राज्य में तीसरी ताकत मानी जा रही टीपरा मोथा सिर्फ आदिवासियों के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है, उनके मैनिफेस्टो में मुस्लिम समुदाय पर कोई बात नहीं है।

जमीयत से जुड़े हुए मोहम्मद इनामुद्दीन कहते हैं, ‘दरअसल, दोनों बड़ी पार्टियों को पता है कि मुसलमान कहां जाएगा। CPM को पता है कि हम BJP में नहीं जाएंगे। उधर, BJP को पता है कि हम CPM में ही जाएंगे। इसलिए दोनों के लिए ही हम जरूरी नहीं।’

त्रिपुरा पुलिस IG (लॉ एंड आर्डर) सौरभ त्रिपाठी से इस मामले में बात की गई, तो उन्होंने व्यस्तता का हवाला दिया। कहा- ‘फर्जी खबरों को तूल नहीं देना चाहिए। DGP से भी बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बिजी होने का हवाला देकर बात नहीं की।

 

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