अमेरिका और ताइवान के साथ लगातार खराब होते संबंधों के बीच चीन अपनी परमाणु ताकत बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने एक ब्लू प्रिंट तैयार किया था। जिसे वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अब अप्रूव कर दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2035 तक चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्या तीन गुना तक बढ़ा कर 900 कर लेगा।
क्योडो न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक कई फॉरेन एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि चीन परमाणु हथियारों के ‘नो फर्स्ट यूज’ की पॉलिसी को भी छोड़ सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि चीन युद्ध की स्थिति में किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला कर सकता है।
2027 तक 550 परमाणु हथियार तैयार होंगे
क्योडो की रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन 2027 में अपनी सेना के 100वें स्थापना वर्ष तक 550 परमाणु हथियार तैयार कर लेगा। जबकि बाकी के 350 वेपन 2035 तक तैयार कर लिए जाएंगे।
पिछले साल नवंबर के महीने में चीन की टॉप मिलिट्री बॉडी ने खतरनाक क्षमता वाले परमाणु हथियारों की अहमीयत पर जोर दिया था। उनका कहना था कि यूक्रेन जंग के बीच रूस की परमाणु ताकत ने ही नाटो देशों को उस पर हमला करने से रोका हुआ है।
2022 में अमेरिका ने भी किया था ऐसा दावा
क्योडो की रिपोर्ट से पहले 2022 में अमेरिका ने भी दावा किया था कि चीन परमाणु ताकत बढ़ा रहा है। अमेरिकी अनुमान के मुताबिक चीन 2035 तक अपने परमाणु हथियारों की संख्या 1500 कर लेगा। अमेरिकी नेता नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।
अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने कहा था कि चीन की मंशा बेहद चिंताजनक है। यह देश राजनीतिक रूप से अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बनने की शक्ति रखता है। चुनौती बनने के लिए एक बड़ा कारण तकनीक का भी है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार रूस के पास हैं। चीन परमाणु हथियारों के मामले में दूसरे तो भारत सातवें स्थान पर है।
भारत को चीन से सबसे ज्यादा खतरा
एशिया में अभी चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती भारत बना हुआ है। अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में जापान भले आगे हो, मगर भारत की छवि ऐसे देश की है, जो बिना किसी महाशक्ति के सपोर्ट के भी अपनी जगह तेजी से बना रहा है।
ऐसे में चीन की प्राथमिकता हर मोर्चे पर भारत को रोकने की है। चीन मानता है कि अगर सामरिक मोर्चे पर वह भारत को उलझाता है तो पूरे एशिया को अपनी ताकत दिखा सकता है। साथ ही उसे यकीन है कि भारत के मामले में अमेरिका सीधे तौर पर नहीं उतरना चाहेगा। ऐसे में विशेषज्ञ मानते हैं कि 2023 में भारत-चीन सीमा एशिया में तनाव का सबसे बड़ा पॉइंट बन सकता है।