लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी LTTE का चीफ वेलुपिल्लई प्रभाकरन जिंदा है। तमिलनाडु के कांग्रेस नेता और वर्ल्ड कन्फेडरेशन ऑफ तमिल के अध्यक्ष पाझा दुमारन ने सोमवार को यह दावा किया। नेदुमारन ने कहा- प्रभाकरन न सिर्फ जिंदा हैं बल्कि स्वस्थ भी हैं। हमें भरोसा कि इससे उनकी मौत की अफवाहों पर विराम लगेगा और वे जल्द ही दुनिया के सामने आएंगे। दुमारन के बयान के बाद तमिलनाडु कांग्रेस चीफ केएस अलागिरी ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं। अगर प्रभाकरन सामने आते हैं तो मैं जाकर उनसे मिलूंगा। मुझे उनसे कोई प्रॉब्लम नहीं हैं।’ प्रभाकरन को करीब 14 साल पहले श्रीलंका सरकार ने मृत घोषित कर दिया था। उसके बाद श्रीलंका के जाफना में लिट्टे और वहां की सेना के बीच संघर्ष खत्म होने का ऐलान भी किया गया था श्रीलंका ने DNA टेस्ट के बाद प्रभाकरन की मौत की पुष्टि की थी श्रीलंका की सरकार के मुताबिक, LTTE चीफ प्रभाकरन 17 मई, 2009 को श्रीलंकाई सेना के एक ऑपरेशन में मारा गया था। उस समय श्रीलंका के सैनिक उसे पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। अगले दिन उसका शव मीडिया को दिखाया गया था प्रभाकरन की मौत के एक हफ्ते बाद LTTE के प्रवक्ता सेल्वारासा पथ्मनाथान ने उसके मारे जाने की बात मानी थी। दो हफ्ते बाद DNA टेस्ट के हवाले से प्रभाकरन के शव की पहचान पुख्ता की गई थी। श्रीलंका की सेना के ऑपरेशन के दौरान ही प्रभाकरन के बेटे एंथनी चार्ल्स की भी मौत हुई थी।लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईल यानी LTTE श्रीलंका का आतंकी संगठन था। यह तमिलों के लिए अलग राष्ट्र की मांग कर रहा था। वेलुपिल्लई प्रभाकरन इसका मुखिया था 1976 में इस संगठन ने विलिकाडे में नरसंहार कर अपनी हिंसक और मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। इसके बाद यह लगातार मजबूत होता गया और उसने कई श्रीलंकाई नेताओं को निशाना बनाया।80 के दशक के बाद LTTE को कई देशों से सहयोग मिलने लगा और इसकी ताकत बढ़ती गई। 1985 में श्रीलंका सरकार ने तमिल विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता की पहली कोशिश की थी, जो नाकाम रही।