अब्दुल्ला की विधायकी रद्द सजा के बाद जमानत पर हुए थे रिहा

सपा नेता आजम खान के बाद अब उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की भी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। बुधवार को यूपी विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की स्वार सीट को रिक्त घोषित कर दिया।

मुरादाबाद की MP/MLA कोर्ट ने सोमवार को 15 साल पुराने मामले में सपा महासचिव आजम खान और उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम को 2-2 साल की सजा सुनाई थी। दोनों पर 2-2 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अब 6 महीने के अंदर स्वार सीट पर उपचुनाव कराया जाएगा।

दरअसल, 2 जनवरी, 2008 को पूर्व मंत्री और रामपुर के पूर्व विधायक आजम खान अपने परिवार के साथ मुजफ्फरनगर में एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। छजलैट थाने के सामने वाहन चेकिंग के दौरान आजम खान की गाड़ी पुलिस ने रुकवा ली थी। इसके विरोध में आजम और उनके बेटे स्वार-टांडा विधानसभा सीट से विधायक अब्दुल्ला सड़क पर धरने पर बैठ गए थे। आरोप है कि सड़क जाम करते हुए बवाल किया गया था और सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न की थी।

तीन साल में दो बार गई विधायकी
अब्दुल्ला आजम को 3 साल में अपनी विधायकी से दो बार हाथ धोना पड़ा है। 3 साल पहले भी उम्र के फर्जी प्रमाणपत्र मामले में हाईकोर्ट में अब्दुल्ला की विधायकी को रद्द कर दिया था।

जमानत पर हुए थे रिहा
मुरादाबाद की MP-MLA कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को सोमवार को शाम करीब 5 बजे दोषी ठहराया था। इसके बाद दोनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया था। फिर सजा के सवाल पर सुनवाई हुई थी।

ADGC वैभव गुप्ता के अनुसार, कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को IPC 353 में 2 साल सजा और 2 हजार जुर्माना, IPC 341 में 1 महीना की सजा और 500 रुपए जुर्माना, 7 क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट में 6 महीने की सजा और 500 रुपए का जुर्माना लगाया था।

इसके बाद कोर्ट ने दोनों की जमानत मंजूर कर ली थी। जमानतनामा दाखिल करने के बाद आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को सोमवार रात करीब साढ़े 8 बजे रिहा कर दिया गया था।

2008 में हूटर उतारने पर भड़के थे, अब सजा हुई
आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को जिस मामले में सजा हुई है, वह छजलैट मामला करीब 15 साल पुराना है। हरिद्वार हाईवे पर मुरादाबाद के छजलैट थाने के सामने 2 जनवरी, 2008 को मुरादाबाद के तत्कालीन SSP प्रेम प्रकाश ने पूर्व मंत्री आजम खान की गाड़ी चेकिंग के लिए रुकवाई थी।

इसके बाद आजम की गाड़ी पर लगा हूटर उतरवा दिया था। इसे लेकर विवाद बढ़ गया था। आजम खान वहीं सड़क पर धरना देकर बैठ गए थे। इसके बाद आस-पास के जिलों से भी सपा के नेता और कार्यकर्ता छजलैट पहुंच गए थे। आजम खान समेत दूसरे सपा नेताओं पर सरकारी कार्य में बाधा डालने, भीड़ को उकसा कर बवाल कराने समेत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया था।

विधायक की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। शिकायतकर्ता आकाश दास सक्सेना की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने यह फैसला लिया था।

मामला 2019 का है। तब देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे। सपा नेता आजम खान उस वक्त एक चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए रामपुर के मिलक विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे। उस चुनावी सभा में कथित रूप से आजम खान ने आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणियां की थी। जिस पर विपक्षी दलों ने भी हंगामा किया था।

भाजपा के नेता आकाश सक्सेना ने उनके खिलाफ थाने में शिकायत दी थी। जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मिलक कोतवाली में आजम खान के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पुलिस की जांच पड़ताल के बाद यह मामला रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में पहुंच गया था।

IAS आन्जनेय कुमार सिंह। सिक्किम कैडर के 2005 बैच के IAS अधिकारी ने सपा नेता आजम खान की सल्तनत को उजाड़कर रख दिया है। यही वो अफसर हैं, जिसके बारे में 2019 में दी गई अपनी हेट स्पीच की वजह से आजम खान को अब विधायकी तक गंवानी पड़ गई। मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आन्जनेय कुमार तब रामपुर के कलेक्टर हुआ करते थे। वही कलेक्टर जिससे कभी नेताजी (आजम) ने अपने जूते साफ कराने की हसरत पाली थी

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