तालिबान की धमकी से सहमा चीन

पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने इस्लामाबाद में अपना कॉन्स्युलर ऑफिस बुधवार को अचानक बंद कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- शी जिनपिंग सरकार ने यह फैसला तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलोच लिबरेशन फ्रंट (BLA) से लगातार मिल रही हमलों की धमकियों के बाद किया है।

पिछले ही हफ्ते चीन ने पाकिस्तान में रह रहे अपने नागरिकों को एक सख्त एडवाइजरी जारी की थी। इसमें कहा गया था कि पाकिस्तान में सिक्योरिटी के हालात खराब हैं और वहां रहना खतरनाक है। लिहाजा, अपनी सुरक्षा का खास ख्याल रखें।

वेबसाइट पर दी जानकारी
कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तान के अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि चीन इस्लामाबाद में मौजूद अपनी एम्बेसी की हिफाजत को लेकर परेशान है और कोई सख्त कदम उठा सकता है। इसके बाद बुधवार को एम्बेसी ने अपनी वेबसाइट पर बयान जारी किया और कहा कि कॉन्स्युलर सेक्शन बंद किया जा रहा है। हालांकि, इसकी वजह नहीं बताई गई।

पिछले हफ्ते चीन सरकार ने एक नोटिफिकेशन में कहा था- अगर चीनी नागरिक पाकिस्तान में मौजूद हैं तो वो अपनी सिक्योरिटी को लेकर बिल्कुल अलर्ट रहें। जब तक जरूरी न हो बाहर निकलने से बचें। वहां सिक्योरिटी सिचुएशन खराब है। चीन के इस बयान का पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने विरोध किया था। पाकिस्तान ने कहा था- हम सभी विदेशी नागरिकों की पूरी हिफाजत कर रहे हैं। सिक्योरिटी फोर्सेस अलर्ट पर हैं।

पिछले महीने इस्लामाबाद में तालिबान के एक फिदायीन हमलावर को पुलिस ने रेड सिक्योरिटी जोन में रोकने की कोशिश की थी। इसके बाद उसने खुद को उड़ा लिया था। हमले में दो पुलिस अफसर मारे गए थे। इसके बाद पेशावर की पुलिस लाइन्स की मस्जिद में फिदायीन हमला हुआ था और वहां 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

चीन इतना परेशान क्यों

  • चीन ने करीब 60 अरब डॉलर पाकिस्तान में CPEC (चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) पर खर्च करने का प्लान बनाया है। कई साल से यह प्रोजेक्ट चल रहा है और अब तक इस पर करीब 40 अरब डॉलर खर्च भी हो चुके हैं।
  • CPEC का बड़ा हिस्सा बलोचिस्तान प्रांत से गुजरता है। यहां बलोच लिबरेशन फ्रंट (BLA) की हुकूमत चलती है और यह संगठन पाकिस्तान से आजादी की मांग कर रहा है।
  • पिछले साल BLA ने चीनी इंजीनियरों को दासू डैम प्रोजेक्ट साइट पर ले जा रही बस को उड़ा दिया था। इसमें 9 इंजीनियरों समेत कुल 13 लोग मारे गए थे। इसके बाद पिछले ही साल कराची यूनिवर्सिटी में चीन की महिला प्रोफेसरों की वैन पर BLA की महिला फिदायीन ने हमला किया था। इसमें 6 लोग मारे गए थे। इनमें से 5 चीनी थे। पेशावर और क्वेटा में चीनी अफसरों पर 4 हमले हुए। कुल 7 चीनी मारे गए।
  • चीन की दिक्कत इसलिए बढ़ गई कि पाकिस्तान के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी ने BLA से हाथ मिला लिया है। अब चीनियों पर खतरा कई गुना बढ़ गया है।

    4 और देशों ने एडवाइजरी जारी की
    चीन के एक अफसर ने नाम न बताने की शर्त पर पिछले महीने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा था- अगर पाकिस्तान सरकार हमारे नागरिकों को सिक्योरिटी मुहैया नहीं करा सकती, तो हमारे पास भी विकल्प हैं।
    इसके पहले अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और सऊदी अरब ने अपने नागरिकों को पाकिस्तान की यात्रा न करने की सलाह देते हुए कहा था- वहां सिक्योरिटी के हालात हर दिन बिगड़ रहे हैं।

    पाकिस्तान के अखबार ‘द डॉन’ के मुताबिक- दिसंबर 2022 के बाद मुल्क में आतंकी हमले 56% तक बढ़ गए हैं। अब राजधानी इस्लामाबाद में भी हमले शुरू हो चुके हैं। ऐसे में कोई विदेशी यहां क्यों आएगा।

    बलूचिस्तान और BLA

      • बलूचिस्तान के नागरिक 1947-1948 से ही खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। इसके बावजूद किसी तरह वो पाकिस्तान के नक्शे पर मौजूद रहे। उन्हें दोयम दर्जे नागरिक माना जाता रहा। पंजाब, सिंध या खैबर पख्तूनख्वा की तरह उन्हें कभी अपने जायज हक भी नहीं मिले। वक्त गुजरता रहा और इसके साथ ही गुस्सा भी बढ़ता गया।
      • 1975 में तब के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो एक रैली के लिए क्वेटा पहुंचे। यहां एक हैंड ग्रेनेड फटने से मजीद लांगो नाम के युवक की मौत हो गई। दावा किया गया कि यह भुट्टो को मारने आया था। वास्तव में BLA की नींव यहीं से पड़ी। मजीद के छोटे भाई का नाम भी मजीद ही था। वो 2011 में पाकिस्तानी फौज के हाथों मारा गया। इसके बाद BLA का एक अलग दस्ता तैयार हुआ और इसका नाम मजीद ब्रिगेड पड़ा।

     

    BLA और मजीद ब्रिगेड कितने अलग

    बलूचिस्तान का ईरान के साथ स्ट्रॉन्ग कनेक्शन रहा है। जैसे पाकिस्तान तालिबान खुद को पाकिस्तानी से ज्यादा अफगानी मानते हैं, वैसे ही बलूचिस्तान के ज्यादातर लोग ईरान के करीब हैं। ईरान भी चोरी छिपे इनकी मदद करता रहा है।

    यहां एक बात और समझनी जरूरी है। वो ये कि BLA का शुरुआती संघर्ष पहाड़ों में शांतिपूर्ण आंदोलन तक सीमित था। जब मजीद ब्रिगेड बनी तो मामला सीधे तौर पर हिंसक हो गया। एक अनुमान के मुताबिक, मजीद ब्रिगेड के हमलों में अब तक करीब 1200 पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके हैं, हालांकि फौज ने सही तादाद कभी नहीं बताई।

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