नवाज से बोले थे आर्मी चीफ…हम ड्रग्स बेचेंगे:6 बिलियन डॉलर कर्ज मांग रहे पाक की आर्मी का ड्रग्स का धंधा 5 बिलियन डॉलर :
1994 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने वॉशिंगटन पोस्ट को एक इंटरव्यू दिया…
इस इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि 1991 में पाक आर्मी चीफ जनरल असलम बेग और खुफिया एजेंसी ISI के चीफ जनरल असद दुर्रानी उनके सामने एक प्लान रखा था। ये प्लान था हेरोइन बेचने का…
जी हां, पाकिस्तानी आर्मी और खुफिया एजेंसी ने देश के PM के सामने हेरोइन बेचने की पेशकश रखी थी। नवाज शरीफ के मुताबिक ड्रग्स बेचकर मिले पैसों से गुप्त सैन्य ऑपरेशन्स की फंडिंग होनी थी।
आज भी पाकिस्तान में नवाज शरीफ की पार्टी की सरकार है, उनके भाई शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री हैं। आज भी पाकिस्तान आर्मी और ISI ड्रग्स के कारोबार में शामिल है।
पाकिस्तान की इकोनॉमी भले ही संकट से गुजर रही हो, लेकिन पाकिस्तानी आर्मी की इकोनॉमी की हालत इतनी बुरी नहीं है।
इस ड्रग्स इकोनॉमी का आकार ऐसे समझिए…
पाकिस्तान ने आर्थिक संकट से उबरने के लिए IMF से 6 बिलियन डॉलर का कर्ज मांगा है।
पाकिस्तान के रास्ते होने वाला ड्रग कारोबार सालाना 5 बिलियन डॉलर का है।
समझिए, कैसे पाकिस्तानी सेना और ISI की ये ड्रग इकोनॉमी पाकिस्तान के आर्थिक संकट के बावजूद लगातार फल-फूल रही है।
1970 के दशक से दुनिया को ड्रग्स सप्लाई करता है ‘गोल्डन क्रीसेंट’
अफगानिस्तान में रूसी सैन्य उपस्थिति के दिनों से ही ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को ‘गोल्डन क्रीसेंट’ (सुनहरा अर्धचंद्र) कहा जाता है।
लेकिन ये नाम इस क्षेत्र की आर्थिक तरक्की की वजह से नहीं, बल्कि इसके स्मगलर्स का स्वर्ग होने की वजह से दिया गया। उस दौर से ही ये पूरा इलाका अफीम की खेती और इससे बनने वाले ड्रग्स की स्मगलिंग के लिए बदनाम था।
दुनिया का 85% अफीम पाकिस्तान के पड़ोसी अफगानिस्तान में उगता है
आज अफगानिस्तान दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक है। यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) के आंकड़े बताते हैं कि 2020 में दुनिया भर में पैदा हुए अफीम का 85% अफगानिस्तान में उगाया गया था।
अफीम नशे के लिए सीधे भी इस्तेमाल की जाती है और इससे कई तरह के नशीले पदार्थ बनते हैं। इसमें सबसे महंगा हेरोइन को माना जाता है।
इंटरनेशनल ड्रग्स ट्रेड के जानकार बताते हैं कि दुनिया में हेरोइन लेने वाले 80% लोगों के लिए सोर्स अफगानिस्तान ही होता है।
3 वजहें…जिनसे पाकिस्तान में नशे की खेप आना इतना आसान
1. अफगानिस्तान और पाकिस्तान का बॉर्डर कई जगह धुंधला…कई जगह तो पाकिस्तान सरकार का कंट्रोल ही नहीं
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बॉर्डर 1893 में खींची गई 2430 किलोमीटर लंबी डूरंड लाइन को माना जाता है।
इस बॉर्डर पर पाकिस्तान के 3 राज्य बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वाह (नॉर्थ वेस्टर्न फ्रंटियर प्रॉविंस) और गिलगित-बाल्टिस्तान आते हैं।
पाकिस्तान तो इसे अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा मानता है, मगर अफगानिस्तान में कई जगह इस पर विवाद है।
ये इलाका ज्यादातर कबीलाई आबादी के हैं और पाकिस्तान सरकार का नियंत्रण इन पर बहुत कम है।
यूं तो आधिकारिक रूप से पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर पर 5 एंट्री पॉइंट हैं, मगर सिर्फ खैबर पख्तूनख्वाह में ही 40 से ज्यादा ऐसे स्पॉट्स हैं, जहां लोग बॉर्डर क्रॉस करते हैं।
2. दोनों देशों में राजनीतिक नेतृत्व कभी स्थिर नहीं रहा…स्मगलर्स को खुली छूट:
अफगानिस्तान हो या पाकिस्तान, दोनों ही देशों में राजनीतिक उथल-पुथल लगातार चलती रही है।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद तो ड्रग्स का कारोबार जैसे आधिकारिक ही हो गया है।
पाकिस्तान में भी कमजोर राजनीतिक नेतृत्व के चलते खैबर-पख्तूनख्वाह जैसे बड़े प्रॉविंस में चीजें कबीलाई सरकारों के हाथ में रही हैं।
इस इलाके में सरकारी सुविधाएं ना के बराबर हैं और पूरे इलाके की इकोनॉमी ड्रग्स से लेकर इंसानों की तस्करी पर ही चलती रही है।
3. पाकिस्तानी सेना के लिए नशे का कारोबार कमाई का जरिया
पाकिस्तान में नशे का कारोबार आसान होने की ये सबसे बड़ी वजह रही है।
शांति-व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर अफगानिस्तान से सटी पूरी सीमा पर पाकिस्तानी सेना का कंट्रोल रहा है।
पाकिस्तानी सेना ने कबीलाई नेताओं के साथ मिलकर नशे की तस्करी और बाकी अपराधों को कमाई का जरिया बना लिया है।
पाकिस्तान पहुंचता है 40% अफगानी अफीम
अफगानिस्तान का 40% अफीम पहले पाकिस्तान पहुंचता है।
‘रीजनल ड्रग इकोनॉमी एंड इट्स इम्प्लिकेशंस फॉर पाकिस्तान’ रिसर्च पेपर में अनुमान लगाया गया है कि हर साल अफगानिस्तान से 150 टन ड्रग्स पाकिस्तान आती हैं।
इसमें से करीब 20 टन ड्रग्स पाकिस्तान में ही खप जाती हैं और 10 टन ड्रग्स अलग-अलग जगह जब्त कर ली जाती हैं। बाकी 120 टन ड्रग दूसरे देशों में भेज दी जाती हैं।
लगातार आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान में सैन्य बजट कभी कम नहीं होता है। चौंकाने वाली बात ये है कि बजट की कमी को लेकर पाकिस्तानी सेना में कभी कोई हलचल भी नहीं दिखती है।
इसकी सीधी वजह सेना के पास ड्रग्स के अवैध कारोबार से आ रहा पैसा है। इस पैसे से सेना के गुप्त ऑपरेशन्स से लेकर आतंकी कैंपों का बजट तक आता है।
UN कई बार इस बात पर चिंता जता चुका है कि नशे के कारोबार से हो रही कमाई का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने में हो रहा है।
भारत में भी 80% ड्रग्स पाकिस्तान के रास्ते आता है
भारत में ड्रग्स की स्मगलिंग का सबसे बड़ा रूट पाकिस्तान से सटी सीमा रही है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में 80% ड्रग पाकिस्तान के जरिए ही आता है।
राजस्थान और पंजाब में सीमा पर कई सुरंगे BSF को मिल चुकी हैं, जिनका इस्तेमाल घुसपैठ के साथ-साथ नशे की स्मगलिंग के लिए भी होता रहा है।
अब सीमा पार से ड्रोन के जरिये भी नशे की खेप आने लगी है। दिसंबर, 2022 में ही पंजाब पुलिस ने दो अलग-अलग मामलों में करीब 15 किलो हेरोइन की खेप पकड़ी थी जो ड्रोन के जरिये पाकिस्तान से आई थी।
नशे में खुद भी बर्बाद हो रहा पाकिस्तान…2 करोड़ से ज्यादा एडिक्ट
पाकिस्तान में ड्रग्स लेने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हेरोइन और मॉर्फीन के आसानी से मिलने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों को इनकी लत लग चुकी है।
इसका सबसे ज्यादा प्रभाव युवाओं पर पड़ रहा है। अभी पाक में 2 करोड़ 70 लाख लोग ड्रग यूजर्स हैं।
‘दी राइज इन HIV केसेज इन पाकिस्तान’ रिसर्च के मुताबिक, पाक में 1 लाख 65 हजार लोग HIV से संक्रमित हैं। इनमें से करीब 38% लोग वो हैं जो इंजेक्शन से ड्रग्स लेते हैं।
सेना के कारोबार पर सरकार खामोश…
नवाज शरीफ ने अपने इंटरव्यू में पाक आर्मी चीफ की ड्रग्स बेचने की पेशकश का तो जिक्र किया था, लेकिन कभी ये नहीं बताया कि इस पैसे से किन गुप्त ऑपरेशन्स के लिए फंड जुटाया जा रहा था।
मौजूदा पाकिस्तान सरकार भी सेना के कारोबार पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। पाकिस्तान के आर्थिक संकट का असर आम जनता पर जरूर है, मगर सेना और सरकारी मशीनरी से जुड़े कई लोगों के लिए नशे की इकोनॉमी ही असली इकोनॉमी बन गई है।