अफ्रीका के देश इक्वेटोरियल गिनी में मारबर्ग वायरस फैल रहा है। इससे अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में इसके 16 संदिग्ध मरीज पाए गए हैं। 200 से ज्यादा लोगों को क्वारंटाइन किया गया है। इससे पहले जुलाई 2022 में घाना देश में इस बीमारी का आउटब्रेक हुआ था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो यह वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है। इससे संक्रमित होने वाले 50% मरीजों की मौत हो जाती है। साल 2005 में अंगोला में यह बीमारी फैली थी, जिसमें 88% मरीजों ने अपनी जान गंवाई थी।
मारबर्ग वायरस का इंसानों में पाया जाना दुर्लभ है। यह ज्यादातर चमगादड़ों में मिलता है। यह इबोला वायरस के परिवार से आता है। इसकी पहचान पहली बार 1967 में जर्मनी की मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट शहरों की लैब्स में हुई थी। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति या चीज को छूने से फैलती है।
मारबर्ग वायरस से संक्रमित होने पर इंसान को तेज बुखार, हरारत, नाक से खून, खून की उल्टी और डायरिया होता है। लक्षण में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीलिया, सिर चकराना और पेट के निचले हिस्से में दर्द भी शामिल है।
अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, संक्रमित मरीज की त्वचा पर बिना खुजली वाला रैश भी हो सकता है। यह आमतौर पर बीमारी के 5वें दिन आता है। यह पेट, पीठ और सीने में उभरता है।
संक्रमण के एक हफ्ते बाद मौत
WHO का कहना है कि मारबर्ग वायरस के संक्रमण के तीसरे और चौथे दिन मरीज अजीवित सा दिखने लगता है। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आते और त्वचा का रंग फीका हो जाता है। आंखों में भी जान नहीं दिखती। वायरस से आमतौर पर 8वें या 9वें दिन मौत होती है। मरने से पहले ब्लीडिंग और झटके आते हैं। वायरस इतना संक्रामक है कि मरने के बाद भी शरीर में रहता है।
क्या है मारबर्ग वायरस का इलाज?
इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन या एंटी वायरल मेडिसिन नहीं है। मरीज की जरूरी देखभाल और शरीर को हाइड्रेटेड रखकर इससे बचा जा सकता है। मारबर्ग वायरस से बचने के केवल दो ही रास्ते हैं- कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करना और संदिग्ध लोगों को आइसोलेट करना।
गिनी में आवाजाही पर लगाए गए प्रतिबंध
इक्वेटोरियल गिनी में आसपास के दो गांवों के बीच आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। अभी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जा रही है। वहीं पड़ोसी देश कैमरून के हेल्थ मिनिस्टर मलाची मनाओउडा ने बताया कि इक्वेटोरियल गिनी से बॉर्डर अस्थायी रूप से बंद कर दिए है। मनाओउडा ने कहा- इस फैसले से बीमारी कॉ जल्दी ट्रेस करने और संक्रमण रोकने में मदद मिलेगी।