पटना के डॉक्टर्स ने एक कैदी के पेट में फंसे मोबाइल को बिना चीड़-फाड़ के निकाला है। 2 दिनों से कैदी के पेट में 3.5 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा फोन फंसा हुआ था। डॉक्टर्स ने कहा कि 25 साल के करियर में ऐसा केस नहीं देखा था।
गोपालगंज में एक कैदी (30) ने 17 फरवरी की सुबह जेल में पुलिस के डर से मोबाइल निगल लिया था। नशीले पदार्थ की तस्करी के आरोप में कौशर अली 3 साल से जेल में था। बीते शुक्रवार को पुलिस जेल में जांच करने पहुंची तो कौशर मोबाइल पर बात कर रहा था। पुलिस के डर से उसने फोन निगल लिया।
थोड़ी देर बाद उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। पुलिस उसे अस्पताल लेकर पहुंची। एक्स-रे देखकर डॉक्टर भी हैरान रह गए। कौशर के पेट में फोन था। मोबाइल कैदी की छाती के नीचे पेट के पास फंस गया।
इसके बाद उसे पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में भर्ती किया गया। एक्स-रे में उसके पेट में मोबाइल दिखा। अस्पताल के डॉक्टरों ने इंडोस्कोपी से उसके मुंह के जरिए मशीन से मोबाइल निकाला।
अस्पताल के गैस्टो इंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर आशीष कुमार झा ने बताया कि मोबाइल उसके खाने की थैली में दाे दिन से फंसा हुआ था। कौशर अली नगर थाना क्षेत्र के इंदरवा गांव का रहने वाला है।
डॉक्टर बोले-25 साल के करियर में ऐसा पहला केस
आईजीआईएमएस के डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि 25 साल के मेडिकल करियर में यह ऐसा पहला केस था कि काेई मरीज मोबाइल निगल कर एडमिट हुआ हो। यह एक अजूबा केस था। जिसे इंडोस्कोपी मशीन से बिना चीर-फाड़ के निकाला गया। मोबाइल की लंबाई 3.5 इंच और चौड़ाई 2 इंच थी। उसकी हालत स्थिर है। अस्पताल के निदेशक डॉक्टर बिंदे कुमार ने डॉक्टर आशीष झा के साथ पूरी टीम काे बधाई दी है।
घर वालों से बात करने को रखा था चाइनीज मोबाइल
कौशर अली बाबू जान मियां का बेटा है। पुलिस ने उसे मादक पदार्थ के कारोबार के आरोप में तीन साल गिरफ्तार करने के बाद उस पर एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कर गोपालगंज जेल भेज दिया। वह घर वालों से बात करने के लिए जेल प्रशासन से चोरी-छिपे चाइनीज मोबाइल रखता था।
इसी बीच जेल प्रशासन ने दाे दिन पहले जेल में सर्च ऑपरेशन चला दिया। कौशर उस वक्त वार्ड में बंद था और मोबाइल उसी के पास था। जेल प्रशासन की कार्रवाई की डर से उसने मोबाइल निगल लिया था।