पीरियड्स के दौरान महिलाओं को वर्कप्लेस पर छुट्टी मिले इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार यानी आज सुनवाई होगी। ये याचिका शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने दाखिल की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, याचिका में कहा गया कि कुछ देशों में किसी ना किसी फॉर्म में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को छुट्टियां दी जाती है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की एक स्टडी के मुताबिक पीरियड्स के दौरान महिलाओं को हार्ट अटैक के बराबर दर्द का सामना करना पड़ता है।
शैलेन्द्र ने कहा कि ‘मैंने बचपन में अपनी मां को इस दर्द से गुजरते देखा है। एक बार ट्रेन में सफर के दौरान एक को-पैसेंजर महिला पीरियड्स के दर्द से काफी बैचेन थी। वो बेचैन थीं, लेकिन कुछ कह नहीं पा रही थीं। मैंने उन्हें पेनकिलर दी। बाद में मैंने इस विषय पर पढ़ा और जाना कि पीरियड्स के दर्द की तुलना हार्ट अटैक जैसी होती है। तब मैंने इस मुद्दे पर PIL दाखिल की।
दुनिया के कुछ देशों में ये कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि महिलाओं को काम करने के लिए बराबरी के मौके मिलें। महिलाएं सेफ्टी को लेकर और लेट ऑफिस आने-जाने में ज्यादा मुश्किलें झेलती हैं। इसलिए वर्कप्लेस को ज्यादा जेंडर इक्वल बनाने की डिमांड रखने वाले इन छुट्टियों की मांग कर रहे हैं।