जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है। इसकी कीमत करीब 3.3 लाख करोड़ रुपए है। जिओग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी GSI ने 9 फरवरी को इसकी जानकारी दी। भारत, चीन से 80% लिथियम खरीदता है। अब लिथियम का जो भंडार मिला है, वह चीन के कुल भंडार से करीब 4 गुना ज्यादा है। ऐसे में अगर भारत इस लिथियम के प्रोडक्शन में कामयाब हो जाता है, तो वह खाड़ी देशों जितना अमीर बन सकता है।
12000 वर्ग किलोमीटर में फैला ये देश 1922 तक बसावट के काबिल नहीं समझा जाता था। यहां रहने वालों में बड़ी आबादी मछुआरों और मोती चुनने वालों की थी। ये खानाबदोश थे, जो अरब देशों में भ्रमण किया करते थे। 1930-40 के दौर में जब जापान ने मोती का प्रोडक्शन शुरू किया तो कतर की अर्थव्यवस्था बिगड़ गई। लोग बेहतर विकल्पों की तलाश में यहां से पलायन करने लगे, देश की आबादी घटकर महज 24 हजार तक सिमट कर रह गई थी।
लेकिन 1939 में कतर के वेस्ट कोस्ट पर दोहा से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी दुखान में मिले ब्लैक गोल्ड यानी तेल के कुंए ने इस देश की किस्मत बदल दी। दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद कतर ने तेल निर्यात शुरू किया। जिस देश में लोग रहना पसंद नहीं कर रहे थे वहां की आबादी में तेजी से बढ़ने लगी और 1970 तक 1 लाख के पार पहुंच गई। देश की GDP ने भी लंबी उछाल लगाते हुए 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर लिया। तेल इम्पोर्ट ने कतर में अवसरों का अंबार लगा दिया। यहां तेजी से बदलाव और आधुनिकीकरण हुआ।
1971 में इंजीनियरों ने कतर के पूर्वोत्तर तट से दूर नॉर्थफील्ड में विशाल प्राकृतिक गैस रिजर्व की खोज की। ये रिजर्व कतर के आधे हिस्से यानी 6 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था। आज कतर के पास ईरान और रूस के बाद प्राकृतिक गैस का तीसरा सबसे बड़ा रिजर्व है। साल 1996 में तरल प्राकृतिक गैस से भरा एक जहाज जापान के रवाना हुआ, यह कतर का पहला बड़ा गैस निर्यात था। इसके बाद कतर की GDP साल दर साल बढ़ती ही चली गई।
2003 से 2004 में कतर की GDP 3.7 फीसदी से बढ़कर 19.2 फीसदी हो गई। और इसके दो साल बाद 2006 में बढ़कर 26.2 फीसदी हो गई। आज कतर में प्रति व्यक्ति GDP 50 लाख से ज्यादा है। 1930 के दशक तक आपस में लड़ने वाला एक कबिलाई इलाका था। यहां के लोग ऊंट और भेड़-बकरियों के सहारे अपना गुजारा किया करते थे। 1932 को प्रिंस शाह अब्दुल अजीज बिन सऊद को पता चलता है कि उनके देश में तेल का बड़ा भंडार है। वो इस तेल को निकालने के लिए अमेरिकी कंपनी से डील करते हैं। 1938 में खुदाई शुरू हुई और इस देश की जमीन से इतना तेल निकला कि विशेषज्ञ भी हैरान रह गए।
तेल की खोज ने सऊदी अरब को आर्थिक स्थिरता के साथ खुशहाली भी दी। वर्ल्ड बैंक के बाद सऊदी अरब के बारे में 1968 से आंकड़े मौजूद हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक सऊदी अरब में 1968 तक प्रति व्यक्ति GDP 61 हजार रुपए के करीब थी जो एक दशक बाद 1981 तक 14 लाख के पार चला गई। ये वो दौर था जब तेल बेचकर सऊदी प्रति व्यक्ति आय के मामले में अमेरिका से भी आगे निकल गया था। इस समय ये देश भारत से 63 गुना ज्यादा अमीर था। आज भी ये देश दुनिया के सबसे अमीर देशों में शुमार है। 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी में प्रति व्यक्ति जीडीपी 19 लाख रुपए से ज्यादा है।