तेल के नाम पर ‘जहर’ खा रहे लोग, खुला सरसों का तेल मिलावटी, रिफाइंड से दिल को खतरा

 

 

होली में बस कुछ ही दिन बचे हैं। लोग खाने-पीने के सामान जुटा रहे हैं। पकवान, गुझिया, दही भल्ले, दही बड़े से लेकर तरह-तरह के दूसरे डिश बनाने की तैयारी होगी। इन सब व्यंजनों को बनाने की सबसे जरूरी चीज है तेल। सरसों का तेल और रिफाइंड ऑयल सबसे ज्यादा घरों में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या ये तेल हमारी सेहत के लिहाज से सही है? आइए जानते हैं।

खुला सरसों तेल में मिला हो सकता है ऑर्गेमोन

खुला सरसों तेल का सेवन करना सेहत के लिए सुरक्षित नहीं है। ऐसा तेल मिलावटी भी हो सकता है। हमें पता भी नहीं चलता कि तेल खाने लायक है या नहीं। इन तेलों में ऑर्गेमोन मिलने की आशंका रहती है या फिर दूसरे लो क्वालिटी के तेल भी मिले हो सकते हैं। ऐसे तेल में न्यूट्रिशनल वैल्यू काफी कम हो जाती है।

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एसके गोयल बताते हैं कि सरसों की ही तरह ऑर्गेमोन में भी पीले फूल आते हैं। इसके दाने भी सरसों की तरह ही होते हैं। अगर दोनों तरह के दानों को मिला दें तो मिलावट का पता चलना मुश्किल है। इन दोनों का निकला तेल जहरीला होता है। ऐसे तेल में पका खाना खाने से एपिडेमिक ड्रॉप्सी बीमारी हो सकती है।

छिन सकती है आंखों की रोशनी

यह सवाल पूछने पर कि क्या ऑर्गेमोन की थोड़ी मात्रा भी नुकसानदेह है, डॉ. गोयल बताते हैं कि ऑर्गेमोन जहरीला है। इसकी थोड़ी मात्रा मिलने से भी पूरा तेल जहरीला हो जाता है। ऐसे तेल को खाने से शुरुआत में उल्टी और डायरिया की शिकायतें होती हैं। फिर पैरों में सूजन आ जाती है, शरीर के कई भागों में लाल चकत्ते आ जाते हैं। इसमें व्यक्ति को ग्लूकोमा तक हो सकता है। आंखों की रोशनी जा सकती है। कार्डिएक और सांस से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।

एनीमिया होने का रहता है खतरा

द जर्नल ऑफ एंटी ऑक्सीडेंट्स एंड रिडॉक्स सिग्नैलिंग में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सरसों तेल में ऑर्गेमोन मिलाने पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होता है जिससे रेड ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंच सकता है। इससे किडनी को नुकसान हो सकता है, एनीमिया का भी खतरा रहता है।

फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा बताते हैं कि पहले सरसों तेल के झांस से उसकी शुद्धता का पता लगाया जाता था, लेकिन अब यह कारगर नहीं है। अब तो इसमें ऐसे केमिकल मिलाए जा सकते हैं जिनसे सरसों के तेल वाली तीखी सुगंध (झांस) पैदा होती है। साथ ही तेल की क्वांटिटी बढ़ाने के लिए कभी इसमें सोयाबीन तो कभी राइस ब्रान ऑयल मिलाया जाता है। हालांकि ये दोनों ऑयल खाने योग्य हैं लेकिन इससे सरसों तेल की न्यूट्रिशनल वैल्यू घट जाती है।

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