वेब 3.0 ईको सिस्टम लांच कर मीथर नेक्सराइज ने बदला लोगों का लाइफ स्टाइल

 

 नफीस जाफ़री

– दुबई बेस कंपनी मीथर नेक्सराइज से जुड़कर लाभ उठा रहे करोड़ों लोग

दिल्ली। दुबई बेस कंपनी मीथर नेक्सराइज इन दिनों क्रिप्टो इंडस्ट्रीज में झंडे गाड़ने का काम कर रही है। वेब 3.0 ईको सिस्टम को कंपनी ने लांच करके लोगों का लाइफ स्टाइल बदलने का काम किया है। इस कंपनी से जुड़कर दुनिया के करोड़ों लोग हर क्षेत्र में लाभ उठा रहे हैं। कंपनी के कई प्रोडक्ट जहां बाजार में धूम मचाए हुए हैं वहीं कई अन्य क्षेत्रों में भी कंपनी की ओर से काम चल रहा है। जिन्हें जल्द ही धरातल पर लाया जायेगा।

– कंपनी के कई प्रोडक्ट बाजार में मचा रहे धूम, कई क्षेत्रों में चल रहा काम

मीथर नेक्साराइज टेक्नोलॉजी ड्रबन कंपनी है जो कि मेटा वर्स, ब्लॉकचेन क्रिप्टो करेंसी, डिजिटल ऐसेट, एआई बैस, ट्रेडिंग बोट जैसे बहुत से प्रोडक्ट को मीथर नेक्साराइज बिल्ड करके मार्केट में उतार भी चुकी है। कुछ प्रोडक्ट और लांच होने बाकी हैं। कंपनी मीथर नेक्साराइज अपने इको सिस्टम को दिसंबर 2025 तक वर्ल्ड का बेस्ट नंबर वन वेब 3.0 इको सिस्टम बना देगी, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। इस सिस्टम का भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लाखों करोड़ों लोग इससे फायदा उठा सकते हैं और आज भी उठा रहे हैं। मीथर नेक्साराइज एकेडमी का जो एजुकेशन सिस्टम से लोग एजुकेशन लेने के बाद, वेब 3.0 इको सिस्टम का प्रयोग करके आज लाखों लोगों ने अपनी लाइफ स्टाइल को बदला है। जिसकी बजह से उन्हें उनकी नई उम्मीद और अपने बच्चों की जिंदगी को बदलने की राह मिली है। मीथर नेक्सराइज का कारवां दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। करोड़ों लोग क्रिप्टो की दुनिया में जुड़कर बड़ा लाभ उठा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार एम क्वाइन लांचिंग के समय मात्र 10 सेंट का था जो आज एक डालर से ऊपर पहुंच गया है। यदि इसकी इंडियन करेंसी में बात करें तो ये चार रूपये से आज मात्र ढाई साल में लगभग 100 रूपये से ऊपर तक देखा जा सकता है। कंपनी अपने खुद के ब्लाक चेन सिस्टम पर काम कर रही है। हम आपको बताते हैं कि वेब 1.0, वेब 2.0 और वेब 3.0 में क्या अंतर है? और कैसे ये तीनो ही वर्जन एक दूसरे से अलग हैं।

 

वेब 3.0 ईको सिस्टम लांच कर मीथर नेक्सराइज ने बदला लोगों का लाइफ स्टाइल

वेब 3.0 क्या है?
वेब 3.0 इंटरनेट का अगला वर्जन है। जहां सेवाएं ब्लाकचेन पर चलेंगी। वेब 3.0 डीसेंट्रलाइज्ड यानी विकेंद्रीकृत इंटरनेट है जो एक सार्वजनिक ब्लाकचेन पर चलता है। जिसका उपयोग क्रिप्टो करेंसी लेन-देन के लिए भी किया जाता है।

1-वेब 1.0 में इंटरनेट एकदम नया था। जहाँ केवल हम ब्राउज करके वेबसाइट पर जो कंटेंट दिया हुआ है उसको पढ़ सकते थे और उस समय वेबसाइट के इंटरफेस काफी ज्यादा बोरिंग से होते थे क्योंकि वेब 1.0 में वेबसाइट पर केवल टेक्स्ट ही मौजूद होते थे।
2- आज वेब 2.0 में वेबसाइट में विडियो, इमेज इन सबको हम लगा सकते हैं पर वेब 1.0 में ये सब मुमकिन नहीं था। उस समय में हम किसी भी वेबसाइट पर न ही आज की तरह कमेंट कर सकते थे और न ही लॉगिन कर सकते थे। वेब 1.0 में काफी खामियां थी जिसको सुधारा गया और उसके बाद शुरुआत हुई वेब 2.0 की जिस पर अभी इंटरनेट चल रहा है।

वेब 2.0 को जाने
वेब 2.0 की शुरुआत 1999 से हुई। जब इंटरनेट काफी ज्यादा प्रसिद्ध हो गया। इसी समय में मोबाईल फोन, सोशल मीडिया, क्लाउड कंप्यूटर का भी जन्म हुआ। वेब 2.0 में हम वेबसाइट पर जाकर लॉगिन कर सकते हैं। कमेंट कर सकते हैं जो वेबसाइट पर आर्टिकल है। हम ऑनलाइन वीडियो देख सकते हैं। सोशल मीडिया में अपनी प्रोफाइल बना सकते है और ऑनलाइन एमेजान और फ्लिपकार्ट जैसी वेबसाइट से घर बैठे शॉपिंग कर सकते हैं। ये सब हम वेब 2.0 में करते आये हैं। लेकिन आज जो इंटरनेट हम इस्तेमाल कर रहे है वो वेब 2.0 ही है। इसी वेब 2.0 में जन्म हुआ सोशल मीडिया का। जो वेब 2.0 को एक कदम आगे ले गया। जहाँ हम एक दूसरे को सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते हैं। हम घर बैठे ही दुनिया से अपडेट रहते हैं। हमे सोशल मीडिया की वजह से पता चलता है कि दुनिया भर में क्या चल रहा है। आजकल हर कोई इंस्टाग्राम, फेसबुक, गूगल, यू-ट्यूब तो इस्तेमाल करता ही है पर ये हमें मुफ्त में अपने प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने देते हैं जिसके बदले में ये अपने प्लेटफार्म पर हमे कुछ विज्ञापन दिखाते हैं पर ज्यादातर लोग यह नहीं सोचते कि ये विज्ञापन इतनी सटीक क्यों होती है जो हम सोच रहे होते है या जिसके बारे में हम ऑनलाइन सर्च कर रहे होते है वही विज्ञापन ये प्लेटफार्म हमे दिखाने लगते है।

वेब-3.0 के बारे में जानकारी
वेब-3.0 एक डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम है। जो ब्लाकचेन टेक्नालाजी पर काम करती है। जहाँ हमारा डाटा किसी एक सर्वर पर स्टोर न होकर दुनिया भर में नोड्स में बंटा होता है जो ब्लाकचेन में हमारे डाटा को स्टोर करके रखते हैं। जिसको हैक करना लगभग नामुमकिन है, लेकिन वही सेंट्रलाइज्ड सर्वर का आसानी से हैक किया जाना संभव है। डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा वो ये है कि इसका कंट्रोल किसी कंपनी के पास नहीं होता। इसमें हमारे डेटा पर हमारा पूरा कंट्रोल होता है। अगर मेटा, गूगल, एमेजान जैसी कंपनियों को हमारा डाटा इस्तेमाल करना है तो पहले इनको हमसे इजाजत लेनी पड़ेगी।

वेब-3.0 में क्या-क्या बदलाव होंगे
वेब-3.0 जो कि लांच हो चुका है इसे यूस करने से आपके पास ज्यादा पावर होंगी। इंटरनेट पर आपका कांटेंट आपका ही होगा और इसके बदले आपको टोकन मिलेगा। चाहे आप अपना कांटेंट किसी भी प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करें उस कांटेंट का राइट आपके पास होगा। अभी ऐसा नहीं है। अभी इसकी पकड़ बड़ी-बड़ी कंपनी के पास हुआ करती थी। उदाहरण के तौर पर आपने फेसबुक या यूट्यूब पर कोई कॉन्टेंट शेयर किया है तो वो एक तरह से उनका हो जाता है। वो आपके कॉन्टेंट को अपने हिसाब से यूज कर सकते हैं। वेब-3.0 में ऐसा नहीं होगा। यहां कोई कंपनी ये तय नहीं करेगी कि आपका कान्टेंट हटाया जाए या रखा जाए। कई बार सोशल मीडिया से आपके कान्टेंट हटा लिए जाते हैं या ऐसा भी होता है कि आप कोई कान्टेंट पोस्ट ही नहीं कर सकते है।

 

वेब-3.0 की सबसे खास बात
वेब-3.0 में लोग अपना डेटा खुद कंट्रोल करेंगे क्योंकि यहां वेब-2.0 की तरह डेटा किसी एक कंपनी के पास नहीं होगा। जिस तरह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में क्रिप्टोकरेंसी का हिसाब किताब किसी एक कंपनी के पास न होकर उन लोगों के पास होता है जो इस ब्लॉकचेन नेटवर्क में होते हैं। यानी वो लोग जो क्रिप्टोकरेंसी रखते हैं। न्यूयार्क यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता मैट ड्रायहर्स्र्ट कहते हैं कि अभी कुछ कंपनियां इंटरनेट को कंट्रोल करती हैं, लेकिन वेब-3.0 ऐसे नये इंटरनेट नेटवर्क, सर्च इंजन आदि उपलब्ध कराएगा, जिस पर कुछ कंपनियों का नियंत्रण नहीं होगा।

वेब-3.0 कितना सिक्योर?
वेब-3.0 पहले वर्जन से ज्यादा सिक्योर है क्योंकि इसकी पूरी पकड़ और ओनरशिप आपके पास होगी। जिसका इस्तेमाल आप कर सकते हैं।

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