देश में कोरोना के बढ़ते मामले फिर डराने लगे हैं। 67 दिन बाद कोरोना के एक्टिव केस 3 हजार से ज्यादा हो गए हैं। कोविड मामलों में अचानक वृद्धि के साथ-साथ H3N2 वायरस के मामलों में भी वृद्धि हुई है, जो चिंता बढ़ाने वाली है।
देश में पिछले 3 हफ्तों से कोरोना वायरस के मामले फिर से बढे
देश में पिछले 3 हफ्तों से कोरोना के मामलों में अचानक तेजी देखने को मिली है। 27 फरवरी से 5 मार्च के बीच देश में कोरोना के 1898 नए मामले सामने आए। यह इसके पहले हफ्ते में आए कोरोना केस से 63% ज्यादा है।
20 से 26 फरवरी के बीच कोरोना के 1163 केस आए थे, जो इससे पहले के हफ्ते से 39% ज्यादा था। वहीं 13 से 19 फरवरी के बीच कोरोना इंफेक्शन के 839 केस आए थे, जो इससे पहले के हफ्ते से 13% ज्यादा था।
कोरोना के एक्टिव केस की संख्या अभी ज्यादा नहीं है, लेकिन केस में लगातार बढ़ोतरी चिंता का विषय है। देखा जाए तो कोरोना के मामले लगातार पांच हफ्तों से बढ़ रहे हैं। पहले दो हफ्तों में मामूली वृद्धि देखी गई।
यह पिछले साल जुलाई के बाद से वृद्धि की सबसे लंबा पीरियड है, जब देश में आखिरी बार कोविड स्पाइक हुआ था। उस दौरान 18 से 25 जुलाई के बीच कोरोना के 1.4 लाख मामले आए थे। तब से दो हफ्ते से अधिक की तीन छोटी अवधि को छोड़कर, कोरोना मामलों में लगातार गिरावट आ रही है।
वीकली केस 23 से 29 जनवरी के बीच अपने सबसे निचले स्तर 707 पर पहुंच गए थे। 27 फरवरी से 5 मार्च के बीच सबसे ज्यादा कोरोना के मामले दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में आए।
इनमें 473 मामले कर्नाटक में आए जो हफ्ते पहले मिले 230 से काफी ज्यादा है। वहीं केरल में पिछले हफ्ते 410 मामले आए, जबकि दो हफ्ते पहले 298 मामले आए थे। वहीं महाराष्ट्र में पिछले हफ्ते कोरोना के 287 मामले आए जबकि दो हफ्ते पहले 185 मामले आए थे।
केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में आधे से ज्यादा कोरोना के एक्टिव केस देखने को मिले
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि देश में कोरोना के 326 नए मामले आए हैं। इसी के साथ 67 दिनों के बाद एक्टिव केस की संख्या 3,000 से ज्यादा हो गई है।
देश में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा 5,30,775 है, जबकि एक्टिव केस बढ़कर 3,076 हो गए हैं। वहीं अब तक देश में कोरोना के 4.46 करोड़ केस सामने आ चुके हैं।
केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में आधे से ज्यादा कोरोना के एक्टिव केस हैं। केरल में सबसे ज्यादा 1474, कर्नाटक में 445 और महाराष्ट्र में 379 एक्टिव केस हैं।
क्या H3N2 वायरस कोरोना के बढ़ने की वजह है?
कोरोना के मामलों में अचानक वृद्धि के साथ-साथ H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के मामले भी बढ़े हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को देश के बड़े हॉस्पिटल के टॉप हेल्थ एक्सपर्ट्स के साथ H3N2 इन्फ्लूएंजा के बढ़ते मामलों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की। इसमें इन्फ्लूएंजा के बढ़ते मामलों पर चर्चा की गई।
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ अजय शुक्ला ने बताया कि सभी वायरल बुखारों में लगभग समान लक्षण होते हैं। आपकी नाक बह सकती है, आपको हल्की खांसी हो सकती है, आपको बुखार हो सकता है, शरीर में और सिर दर्द हो सकता है।
शुरुआत में यह अंतर करना बहुत मुश्किल है कि आपको कौन सा वायरल इंफेक्शन है। ICMR ने हाल में अपनी स्टडी में पाया कि वर्तमान में लोगों में इंफेक्शन हो रहा है वो बड़े पैमाने पर H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस का है, कोरोना का नहीं है। उन्होंने बताया कि H3N2 वायरस अभी हवा में मौजूद है, लेकिन ये कोरोना वैरिएंट नहीं है।
डॉक्टरों का कहना है कि भारत में इन्फ्लूएंजा के मामले जिस तेजी से बढ़े हैं उससे लगता है कि यह दौर लंबे समय तक चलेगा। इसके लक्षण जैसे खांसी और खराश तीन हफ्ते तक रह सकते हैं। वहीं आमतौर पर मौसमी बुखार और खांसी करीब पांच से सात दिन तक रहता है।
डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया कहते हैं कि पिछले दो साल से लोग घरों से बाहर नहीं निकले हैं। ऐसे में एक्स्पोजर नहीं हुआ है। अब लोग बाहर आ जा रहे हैं इसलिए इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़ रहे हैं। फ्लू वायरस चेंज होता रहता है। इस सीजन में फ्लू होना सामान्य है।
कोरोना वायरस भी अभी तक कहीं गया नहीं है। बस कोरोना संक्रमण अब गंभीर नहीं हो रहा है। कोरोना के बढ़े हुए मामले इसलिए दिख रहे हैं कि क्योंकि बेस लाइन बहुत कम है। दूसरा यह कि फ्लू वायरस बढ़ने से टेस्टिंग बढ़ी है।
कोरोना होना अभी खतरनाक नहीं है, लेकिन बीमारी की गंभीरता में बदलाव होता है तब यह खतरनाक होगा। वहीं इन्फ्लूएंजा के मामले में बीमारी की गंभीरता में बदलाव हो रहा है इसलिए यह खतरनाक है। कोरोना और इन्फ्लूएंजा के लक्षण मिलते-जुलते हैं। हालांकि, केस बढ़ने का एक दूसरे से संबंध नहीं है।
एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि यह इन्फ्लूएंजा वायरस ड्रॉपलेट्स के जरिए कोविड की तरह ही फैलता है। केवल उन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है, जिन्हें पहले से ये बीमारी है।