बढ़ता दायरा व कमजोर संसाधन, कैसे करेंगे अग्निकांड पर नियंत्रण? – अधूरा स्टाफ व पुरानी गाड़ियों की समस्या से जूझ रहे दमकल कर्मी – नगर के नौबस्ता रोड पर वर्ष 1998-99 में स्थापित हुआ था फायर स्टेशन
खागा/फतेहपुर। गर्मी की दस्तक के साथ ही दमकल कर्मियों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। वर्ष 1998-99 में स्थापित फायर स्टेशन अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता है। आवश्यकता का आधा स्टाफ व कंडम संसाधनों की वजह से दमकल कर्मी दस लाख आबादी को आग से बचाने में जद्दोजहद करते हैं। 30 साल पुरानी गाड़ियों से सुदूरवर्ती गांवों तक पहुंचना और समय पर आग की घटनाओं पर काबू पाना एक बार फिर से दमकल कर्मियों के लिए चुनौती होगा।
फायर स्टेशन परिसर में पानी की समस्या लगातार बनी हुई है। छोटे-बड़े दो सबमर्सिबल पंप हैं। उसमे से एक बोर खराब होने से गाड़ियों को पानी नहीं मिल पाता है। तीन महीने पहले खराब हुए बोर को ठीक करने के लिए कई बार पत्राचार हुआ। अभी तक इसे ठीक नहीं किया जा सका। फायर स्टेशन में कर्मचारियों को विभागीय दिशा-निर्देश देने के साथ ही उनसे सही ढंग से काम लेने के लिए एफएसओ (फायर स्टेशन आफीसर) की तैनाती नहीं है। चार साल से प्रभारी के रूप में यहां पर एफएसओ की तैनाती होती आ रही है। गाड़ियों की स्थिति बेहद खराब है। दोनों गाड़ियों का माडल 30 साल पुराना है। ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर इनको दौड़ाने में विभागीय कर्मी डरते हैं। प्रति वर्ष मरम्मत के बाद भी इनमे कोई न कोई खराबी बनी रहती है।
इनसेट-
आवश्यकता के सापेक्ष तैनाती
पद तैनाती आवश्यकता
एफएसएसओ एक एक
लीडिंग फायरमैन एक दो
चालक एक दो
फायरमैन सात सोलह
रसोइयां एक दो
स्वीपर एक एक
इनसेट-
संसाधनों को दुरुस्त करने की आवश्यकता
इस मामले पर जब एफएसएसओ तेज प्रकाश वर्मा से बात की गई तो उनका कहना रहा कि फायर स्टेशन में स्टाफ व संसाधन दोनों की समस्या है। गाड़ियां बहुत ही पुरानी हैं। नई गाड़ियों के लिए कई बार पत्राचार किया गया है। आश्वासन मिला है, गाड़ियां बदली जाएंगी। स्टाफ की कमी दूर करने के लिए भी आला-अधिकारियों को पत्राचार किया जाता है।