थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में पिछले एक हफ्ते में 2 लाख लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं। इन्हें एयर पॉल्यूशन की वजह से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इस टूरिस्ट डेस्टिनेशन में लोग इंडस्ट्रीज, गाड़ियों से निकलने वाले धुएं और खेतों में जलाई जाने वाली खराब फसलों से परेशान हैं।
पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, वायु प्रदर्शन के चलते तीन महीनों में 13 लाख लोग बीमार हुए हैं। इनमें से 2 लाख लोग पिछले एक हफ्ते में हॉस्पिटल में एडमिट हुए हैं। इस बीच हेल्थ मिनिस्ट्री ने लोगों से N-95 मास्क लगाने की अपील की है। वहीं, बच्चों और महिलाओं को घरों से न निकलने की सलाह दी है।
एयर पॉल्यूशन का खतरा इतना बढ़ रहा है कि बैंकॉक अथॉरिटीज ने जनवरी से ही लोगों को वर्क फ्रॉम होम करने की सलाह दे दी थी। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, गाड़ियों से निकलने वाले धुएं को मॉनिटर करने के लिए चेकपॉइंट्स बनाए गए हैं।
वहीं, नर्सरी और स्कूलों में ‘नो डस्ट रूम’ बनाए गए हैं। इनमें एयर प्यूरीफायर लगाए गए हैं। फिलहाल स्कूलों को बंद नहीं किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि खतरा टला नहीं है। आने वाले समय में लोगों को घरों में रखने के लिए कड़े प्रतिबंध लगाने पड़ सकते हैं।
हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, बैंकॉक की हवा में PM2.5 पार्टिकल प्रदूषण की वजह बनने वाले बेहद बारीक कण की मात्रा काफी ज्यादा है। ये कण खून में मिल जाते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) इंसान के फेफड़ों के लिए जहर से कम नहीं हैं। ये हवा में मौजूद ऐसे कण होते हैं, जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। इनकी वजह से समय से पहले ही मौत भी हो सकती है। WHO के मुताबिक, PM 2.5 हवा में 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए, फिलहाल थाईलैंड में पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा कम है, लेकिन ये खतरनाक है।
दुनियाभर में वायु प्रदूषण का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी ने अपने सालाना एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स में कहा कि भारत में दूषित हवा से लोगों की उम्र औसतन 5 साल घटती जा रही है। वहीं दुनिया में यह आंकड़ा 2.2 साल है। बांग्लादेश के बाद भारत दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है।