मुन्ना बक्श के साथ संवाददाता ओमप्रकाश गौतम की खास रिपोर्ट
अतर्रा /बांदा | चैत्र का मौसम है किसान की फसल पकी खड़ी हुई है, चना ,सरसों, मसूर की पकी फसल और असमय हुई बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की खड़ी फसल नष्ट हो गई जिससे क्षेत्र के किसान काफी आहत हैं |
तहसील क्षेत्र के बदौसा क्षेत्र में कल हुई बारिश में काफी ओलावृष्टि हुई है जिसके कारण गेहूं की खड़ी फसल खेतों में फैल गई है चना ,मसूर खेतों में कटे पड़े हुए थे जो अब सडने की कगार पर आ चुके हैं| इस बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट चुका है पिछले कई वर्षों से बुंदेलखंड के किसानों के ऊपर मौसम की मार पडती रही है | जिसके कारण कर्ज में किसान आकंठ डूब चुके हैं और उनकी जमीनें लगातार नीलाम हो रही है और कर्ज के ही बोझ के दबाव के कारण तमाम किसान आत्म हत्या के लिए मजबूर होते हैं | ईस वर्ष धान की फसल अच्छी हुई थी इसलिए किसानों को उम्मीद थी कि गेहूं की फसल भी अच्छी होगी लेकिन कल हुई बारिश से किसानों के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है | क्षेत्र के किसान सुखनिधान, शिवमंगल, कोदा प्रसाद, राजाभईया, पप्पू, राजा बाबू, आदि लोगों ने बताया कि पूरे साल की कड़ी मेहनत के बाद हमारी फसलें पक कर खड़ी थी और हमें उम्मीद थी कि साल अच्छा उत्पादन होगा जिससे हम अपने जीवन स्तर में सुधार लाएंगे लेकिन कल हुई बेमौसम बारिश ने हमारी खड़ी फसलों पर बहुत बड़ा आघात किया है और इस वजह से हम आर्थिक रूप से बहुत बुरी तरह टूट चुके हैं और हमें अपनी गृहस्थी चलाने में भी बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा | सरकार को चाहिए कि हमारी फसलों का सर्वे कराकर हमें उचित मुआवजा दें जिससे हम अपने परिवार का उधर पोषण कर सकें |