मानहानि केस में राहुल गांधी को 2 साल की हुई सजा कोर्ट में बोले मेरी मंशा गलत नहीं थी

 

सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है.ये वाले बयान से जुड़े मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने दोषी करार दिया है। इस फैसले के बाद 27 मिनट बाद कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा सुनाई। इसके बाद, उन्हें जमानत दे दी। उन पर पिछले 4 साल से मानहानि का मामला चल रहा था। इससे पहले कोर्ट ने 17 मार्च को इस मामले में सभी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। राहुल कोर्ट में मौजूद हैं।

 

राहुल आईपीसी की धारा 500 में दोषी करार पाए गये 
राहुल को आईपीसी की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया गया है। इसमें 2 साल की सजा का प्रावधान है। राहुल के वकील ने कोर्ट से कहा- इस पूरी घटना में कोई घायल नहीं हुआ। इससे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। इसलिए हम किसी प्रकार की दया की याचना नहीं करते हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल ने अपने भाषण में कहा था कि चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे। आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेश के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।

 

यह केस सूरत पश्चिम के विधायक पूर्णेश मोदी ने दर्ज किया था। पूर्णेश का कहना था कि राहुल गांधी ने हमारे समाज को चोर कहा था। चुनावी सभा में हमारे खिलाफ आरोप लगाए गए, जिससे हमारी और समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची। इसी के चलते हम इस मामले को कोर्ट में लेकर आए। हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
हालांकि, राहुल गांधी के वकील ने दलील दी थी कि पूर्णेश मोदी को इस मामले में पीड़ित पक्ष के रूप में शिकायतकर्ता नहीं होना चाहिए था, क्योंकि राहुल गांधी के अधिकांश भाषणों में प्रधान मंत्री को निशाना बनाया गया था, न कि पूर्णेश मोदी को।

 

जो लोग प्रधानमंत्री मोदी या उनकी सरकार पर सवाल उठाते हैं, उस पर हमला किया जाता है। बी बी सी के साथ भी यही हुआ। मेरे फोन की जासूसी होती है। विपक्ष के खिलाफ केस दर्ज किए जाते हैं। भारत में विपक्षी नेता के तौर पर यह एक ऐसा दबाव है, जो लगातार झेलना पड़ता है।’ यह बयान कांग्रेस नेता राहुल गांधी का है। यह 7वीं बार है जब राहुल गांधी ने विदेशी धरती से मोदी सरकार की आलोचना की है।

 

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