मुन्ना बक्श के साथ संवाददाता ओमप्रकाश गौतम की खास रिपोर्ट
अतर्रा/बांदा | सरकारी जमीन को भूमाफियाओं से मुक्त कराने की कार्यवाही के क्रम में अतर्रा तहसील प्रशासन का दोहरा चरित्र उजागर हुआ है | सन् 2022 में अतर्रा तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत गुमाई के वर्तमान प्रधान का घर तहसील प्रशासन द्वारा ढहाया गया | क्योंकि घर का कुछ भाग ग्राम सभा की जमीन पर बना था जो ढहाया गया जो जायज भी था, क्योंकि कानून का पालन सभी को करना चाहिए चाहे प्रधान हो या प्रधान मंत्री |एक और अवैध कब्जे के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई तहसील प्रशासन द्वारा अतर्रा ग्रामीण के मजरा सौवा पुरवा में सुरेश कुशवाहा के ऊपर हुई जिसका पूरा माकन ढहाया गया था, हलाकि पीड़ित का कहना था कि मुझे 140वर्ग मीटर की नोटिस लेखपाल के द्वारा दी गई थी लेकिन 27/8/2022को मेरा घर 330 वर्ग मीटर गिराया गया और 28/8/22को एसडीएम ने कहा हमसे गलती हो गई फाईल में दुसरे घर की फोटो लगी है | हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि सुरेश के पास दूसरा घर नहीं है फिर भी भरे भादों मुझे बेघर किया गया जिले में इतनी बड़ी कार्यवाही किसी के ऊपर नहीं की गई जितनी मेरे परिवार के साथ की गई है ।मैं न हूं माफिया था और न ही मुजरिम फिर भी मेरी किसी ने नहीं सुनी जबकि मैं अपने घर के इतनी जमीन पंचायत के नाम करने को तैयार था। मेरा कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर था लेकिन शाजिस के तहत मेरा पूरा मकान ढहाया गया | हमने उस समय भी अपने समाचार पत्र के माध्यम से प्रशासन की कार्रवाई को सराहा था | लेकिन ताजा मामला आपको बता दे कि ग्राम पंचायत अतर्रा ग्रामीण के मजरा रघुबीर यादव के पुरवा में सरकारी घूर गढ्ढे की जमीन पर गाँव के ही राजाभईया,बब्बू पुत्रों बृजलाललोगों ने लगा कर रखा है जिसपर 15 सी की कार्यवाही भी हुई है एवं तहसीलदार कोर्ट ने सन् 2012 में बेदखली का आदेश भी पारित हुआ | मामले की पैरवी करने वाले चुन्नीलाल ने बताया कि सन् 2012 से आज तक लगातार पैरवी करने के बाद भी तहशील प्रशासन कुम्भकर्णी नीद में सोया हुआ है यही नहीं अवैध कब्जा धारक पर उपजिलाधिकारी अतर्रा, तहसीलदार अतर्रा एवं पूरा तहसील प्रशासन कृपादृष्टि एवं सहानुभूति बनाए हुए है |
अभी पिछले दिनों हुए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुए संम्पूर्ण समाधान दिवस में शिकायत की गई थी जिसपर जिलाधिकारी ने एक हफ्ते के अंदर जगह खाली कराने के आदेश दिए थे, लेकिन परिणाम आज भी शून्य है |