उपमुख्यमंत्री से मिलने की आस नहीं हुई सफल रोते हुए बैरक लौटी सावित्री

 

 

मुन्ना बक्श के साथ संवाददाता ओमप्रकाश गौतम की खास रिपोर्ट

 

अतर्रा/बांदा | अतर्रा कस्बे के दामूगंज निवासी सावित्री पत्नी दुर्गा अपनी 11 साल की बच्ची के ईलाज की गुहार लगाने के लिए आज अतर्रा से तुर्रा पहुची थी क्योंकि उसको किसी ने बताया था कि आज प्रदेश के उपमुख्यमंत्री आ रहे है और यह मंत्री जी गरीबों की जल्दी सुनते हैं और संम्भव मदद भी करते हैं| इसी आस में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से मिलने पहुची सावित्री अपनी बच्ची को लेकर,लेकिन बडे़ बडे नेताओं और जनप्रतिनिधियों के आगे आखिर इस गरीब की कौन सुनने वाला था, यहा तो यह आलम था कि पार्टी के कार्यकर्ता ही मंच तक नहीं पहुंच पा रहे थे | बहरहाल सावित्री ने बताया कि सन् 2014 में मेरी बेटी का एक्सीडेंट हो गया था जिसमें मेरी बेटी अर्चना (11) का दाहिना पैर टूट गया था | चूकि पति पल्लेदारी करते हैं एवं सावित्री खुद शादी ब्याह में पूड़ी बेलने का कार्य करती है, आर्थिक स्थिति इतनी सुदृढ़ नहीं है कि अच्छे अस्पताल में ईलाज करा सके इसलिए आज भी बेटी टूटे पैर के साथ जीवन जी रही है | आज अपनी बेटी के ईलाज की आस में उपमुख्यमंत्री से मिलना चाहती थी लेकिन दुर्भाग्य यह रहा कि सुरक्षाकर्मियों ने इस गरीब महिला को पास नहीं जाने दिया | सावित्री ने कहा कि मैने कई लोगों के हाथ पैर जोडे लेकिन किसी ने मुझे उपमुख्यमंत्री जी से नहीं मिलवाया और मै रोती हुई अपनी बेटी को गोद में लिए वापस घर लौट आई और अपने नसीब को कोसती रही | जब हमनें आयुषमान कार्ड के बारे में पूछा तो कहा की मेरा कार्ड नही बना है एक बार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अतर्रा गयी थी जहाँ पर मुझे कहा कि तुम्हारा नाम लिस्ट में नहीं है इसलिए नही बनेगा | एक तरफ जहा उपमुख्यमंत्री जी अपनी सरकार का गुणगान कर रहे थे वही दूसरी तरफ यह महिला प्रागण के बाहर अपनी किस्मत पर रो रही थी |

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