रोजे में आंख, जबान, कान व हाथों को बुरे कामों से रखें दूर: कारी फरीद

फतेहपुर। रमजान का महीना मुसलमानों का पवित्र व इबादत का महीना होता है। रमजान अरबी भाषा के शब्द रम्ज़ से बना है। जिसका अर्थ है आग उर्दू में इसे रोजा कहते है। जिस तरह आग की लौ से सोने को शुद्ध चमकीला बनाया जाता है इसी तरह इंसान को इस महीने रोजे रखकर उसकी तमाम बुराइयों को निकाल कर पाक इंसान बनाया जाता है। ताकि वह समाज में एक नेक इंसान बन सके और दुनिया में कामयाब रहे।
काज़ी शहर कारी फरीद उद्दीन कादरी ने कहा कि जिस तरह खाने पीने और कुरबत से दूर रहने का नाम रोजा़ है। इसी तरह और भीं चीजे जिनसे परहेज जरूरी है। ताकि रोजेे की बरकत मुकम्मल तौर पर हासिल हो। रोजे के दौरान आँख से ना-महरम (अपरिचित) और गलत चीजों को न देखा जाए, जबान से बेहूदा बात, झूठ, गीबत, चुगली और ऐसी बाते न निकलें जो अल्लाह तआला कीं नाराजगी का बाइस बने। कान से झूठ, गीबत, चुगली, बुरी बाते या हराम अशार न सुने जाएं। हाथ व पैरों को ऐसे कामों से दूर रखे जिससे अल्लाह और उसके रसूल नाराज हों। काज़ी शहर श्री कादरी ने कहा कि इस माह में रोजा और तिलावत के साथ-साथ जकात, सदकात और खैरात जरूर करें। आपके रिश्तेदारों पडोस या मोहल्ले में जो गरीब और मिसकीन हों उनकीं मदद करें और अल्लाह तआला की राह में एक खर्च करके सत्तर गुना बल्कि उससे भीं ज्यादा हासिल करें। काज़ी शहर ने कहा कि जो सेहतमंद और तंदरुस्त हों वो दिन में रोज़ा और रात में तरावीह अदा करें। उन्होंने सभी धर्मों के लोगों से अपील किया कि आपसी भाईचारा काएम रखते हुए सभी त्योहारों को मिल जुलकर मनाएं।

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