सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नेशनल असेंबली ने ठुकराया जबकि पाकिस्तान दाने-दाने को है मोहताज

 

पाकिस्तान में सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच एक नया टकराव दिख रहा है. पाकिस्तान के दो राज्यों पंजाब और खैबर पख़्तूनख्वा में जल्द चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने ठुकरा दिया है. चुनाव आयोग वहां अक्टूबर में चुनाव कराने की बात कर रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव 14 मई को होंगे. लेकिन वहां की नेशनल असेंबली ने इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया.

पाकिस्तान के राजनीतिक संकट का यह नया पन्ना है. वहां तमाम संस्थाएं जैसे आपस में टकरा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट में जज बनाम जज चल रहा है. सरकार बनाम सुप्रीम कोर्ट, सेना बनाम सुप्रीम कोर्ट और इमरान बनाम सेना है. अब चुनाव को लेकर फिर सुप्रीम कोर्ट और सरकार आमने-सामने हैं.

दरअसल यह टकराव सिर्फ सुप्रीम कोर्ट और सरकार का नहीं है, सरकार चला रही पीएमएल नवाज पार्टी और इमरान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ का भी है. इसी हफ़्ते पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ के नेता इमरान खान पेशी के लिए बिल्कुल ब्लैक बॉक्स में नज़र आए. उन्हें अपने ऊपर इतना खतरा महसूस हो रहा है. यह वही इमरान ख़ान हैं जिनको गिरफ़्तार करने के लिए पाकिस्तान की पुलिस ने काफी ताकत लगाई, लेकिन गिरफ़्तार नहीं कर सकी. कल ही पीपीपी के बिलावल भुट्टो ने ये अंदेशा जताया कि कहीं इसकी वजह से मॉर्शल लॉ की नौबत न आ जाए.

राजनीतिक टकराव का यह आलम तब है जब पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर दिख रहा है. वहां से जो तस्वीरें आ रही हैं, वे इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं. शहरों में सैकड़ों लोग आटे के लिए कतारों में खड़े नजर आ रहे हैं. रमजान के महीने में घंटों ऐसी कतारों में खड़े होना पड़ रहा है. कल कराची में ऐसी ही एक कतार में भगदड़ मचने से कई लोगों के मारे जाने की खबर भी आई. 22 करोड़ की आबादी का यह देश भारी किल्लत से जूझ रहा है.

आर्थिक आंकड़े बताते हैं कि बीते महीने वहां महंगाई दर 35 फीसदी पार कर गई. खाने-पीने का सामान शहरों में 47.1 फ़ीसदी और गांवों में 50.2 फ़ीसदी महंगा हो गया है. पाकिस्तान का रुपया डॉलर के मुकाबले 287 तक आ गया है. पेट्रोल का दाम महीने भर पहले ही 272 रुपये हो चुका है. हालात इसलिए और बिगड़े हैं क्योंकि बाहर से आने वाला अनुदान आधा रह गया है.

संकट यही नहीं है, साल 2019 में पाकिस्तान ने विश्व मुद्राकोष से 6 अरब डॉलर का क़र्ज़ सुनिश्चित किया. बीते साल बाढ़ के बाद एक अरब डॉलर की राशि बढ़ा दी गई. लेकिन नवंबर में आईएमएफ ने ये पैसा दिए जाने पर रोक लगा दी. पाकिस्तान पूरी कोशिश में है कि उसे यह पैसा मिल जाए. हैरानी की बात यह है कि इन सबके बावजूद पाकिस्तान के हुक्मरानों ने तुर्की से सात अरब डॉलर के युद्धक ड्रोन की पहल खेप हासिल की है.

पाकिस्तान राजनीतिक-आर्थिक संकट के दोहरे मोर्चे पर घिरा है. दाने-दाने को मोहताज पाकिस्तान कंगाली की ओर बढ़ रहा है. क्या मार्शल लॉ लगाकर पाकिस्तान अपने आर्थिक संकट से उबर पाएगा?

Leave A Reply

Your email address will not be published.