अल-अक्सा मस्जिद पर हमले से फिर जंग की आहट, इसे क्यों कब्जाए रखना चाहता है इजराइल

 

 

5 अप्रैल की सुबह यरुशलम के अल-अक्सा मस्जिद में करीब 20 हजार लोग ईशा की नमाज अदा करने जुटे थे। कानून के मुताबिक नमाज पढ़ने के बाद वहां मस्जिद के अंदर ठहरने की इजाजत नहीं थी, लेकिन सैकड़ों लोग मस्जिद से बाहर नहीं निकले।

ऐसे में, सुरक्षा एजेंसियों ने इन लोगों को मस्जिद से निकालने के लिए छापेमारी शुरू कर दी, जिसके बाद अंदर बैठे कुछ लोग पत्थरबाजी करने लगे। अलजजीरा ने दावा किया है कि पुलिस ने मस्जिद के अंदर रॉकेट और ग्रेनेड से हमले किए। पुलिस ने करीब 350 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

वहीं, इजराइली पुलिस ने अपने बयान में कहा कि उन्हें खबर मिली थी कि मस्जिद के अंदर कुछ नकाबपोश पटाखे, लाठी और पत्थर लेकर जा रहे थे। इसलिए वहां छापेमारी की गई। इस कार्रवाई के बाद एक बार फिर फिलिस्तीन ने इजराइल के ऊपर रॉकेट दागने शुरू कर दिए हैं। जवाब में इजराइल भी फिलिस्तीन पर बम गिरा रहा है। इसके बाद से ही इजराइल फिलिस्तीन के बीच जंग जैसे हालात हो गए हैं।

तीन धर्मों का एक ही जगह पर दावा विवाद की जड़
यरूशलम दुनिया की एकमात्र ऐसी जगह है जहां दुनिया के तीन बड़े धर्म इस्लाम, ईसाई और यहूदी अपना पवित्र स्थल होने का दावा करते हैं। इन तीनों धर्मों को इब्राहमिक धर्म कहा जाता है क्योंकि ये तीनों ही धर्म ‘इब्राहिम’ को ईश्वर का पैगंबर मानते हैं। अगर हम अपने आस-पास भी ध्यान दें तो इब्राहिम नाम के लोग इस्लाम, ईसाई और यहूदी तीनों ही धर्मों में देखने को मिल जाते हैं। ये तीनों सिर्फ एक ईश्वर को मानते हैं यहीं वजह है कि इन्हें एकेश्वरवादी धर्म भी कहा जाता है।

यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद को इस्लाम में मक्का और मदीना के बाद तीसरा सबसे पवित्र स्थल बताता गया है। वहींं, बाइबल के मुताबिक यहूदियों के लिए इसी जगह पर करीब 1000 ईसापूर्व में सोलोमन राजा ने दो मंदिर बनवाए थे। इस मंदिर को ‘टेंपल माउंट’ नाम से जाना जाता है। लेकिन अब सिर्फ इसकी एक दीवार बची है जिसे ‘वेस्ट वॉल’ कहा जाता है और यह यहूदियों के लिए सबसे पवित्र जगह है। इन मंदिरों को बेबीलोन से लेकर रोमन एंपायर ने अतीत में कई बार ध्वस्त भी किया।

इसके अलावा ईसाई धर्मग्रंथ न्यू टेस्टामेंट के मुताबिक इसी शहर में ईसा मसीह ने अपना उपदेश दिया था। यहीं उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था और फिर यहीं वो अवतरित भी हुए थे। यरूशलम शहर के बीच में प्राचीन शहर है जिसे ‘ओल्ड सिटी’ के नाम से जानते हैं। यहीं पर अल अक्सा मस्जिद परिसर के अलावा ईसाइयों के इलाके में ‘द चर्च ऑफ द होली सेपल्कर’ है। ऐसे में, ये तीनों ही धर्म यरूशलम पर अपना-अपना दावा करते हैं।

अल-अक्सा मस्जिद में ही बार-बार विवाद क्यों होता है?
अल-अक्सा मस्जिद में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच विवाद की 3 मुख्य वजह है…
1. यहूदियों के लिए सबसे पवित्र स्थल ‘टेंपल माउंट’ और मुसलमानों के लिए ‘अल-अक्सा मस्जिद’ और ‘डोम ऑफ द रॉक’ एक ही परिसर में स्थित है। हालांकि टेंपल माउंट के अवशेष के रूप में वहां सिर्फ एक दीवार बची है जिसे ‘वेस्ट वॉल’ कहा जाता है। इसीलिए इस जगह को लेकर यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच विवाद रहता है।
2. 1967 में इजराइल जंग के बाद ये विवाद और ज्यादा बढ़ गया। इसकी वजह ये है कि इस जंग में गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर इजराइल ने कब्जा कर लिया। इससे पहले ये इलाका जॉर्डन के कब्जे में था। हालांकि बाद में जॉर्डन और इजराइल के बीच एक समझौता हुआ। इसमें तय हुआ कि अल-अक्सा मस्जिद के भीतर के मामलों पर जॉर्डन के इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ का नियंत्रण रहेगा और बाहरी सुरक्षा इजराइल संभालेगा। ऐसे में कई बार सुरक्षा को लेकर इजराइल की पुलिस मस्जिद में घुस जाती है। इससे जंग जैसे हालात हो जाते हैं।
3. जॉर्डन और इजराइल के बीच समझौते में इस बात की सहमति बनी थी कि गैर-मुस्लिमों को मस्जिद के अंदर आने की इजाजत होगी, लेकिन उनको वहां प्रार्थना करने की इजाजत नहीं होगी। इसके बावजूद यहूदी बीच-बीच में मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश करते हैं, जिससे तनाव की स्थिति बन जाती है।

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