साइकिल की करो सवारी, ना होगा प्रदूषण ना होगी बीमारी

 

अरुण कुमार/न्यूज वाणी ब्यूरो

अतराड़ा। जीवन को भाग-दौड़ वाला जीवन की संज्ञा दी जाती है। भाग-दौड़ में प्रयोग किये जाने वाले साधनों में बस, कार, मोटर साइकिल, ट्रेन आदि साधन मुख्य हैं जो हमारा समय बचाने में तो सहायक हैं किन्तु प्रदूषण, धन अपव्यय, बीमारी जैसी आपदाओं को आमन्त्रित करते है । इन साधनों में उपयोग किये जाने वाला डीजल, पट्रोल से धुए के रूप में निकलती कार्बनडाइ आक्साइड आज हमारे जीवन पर कुप्रभाव डाल रही है। प्रदुषण के कारण वातावरण अत्यन्त दूषित हो गया है। लोग छोटी- छोटी दूरी को तय करने के लिए भी मोटर साइकिल, स्कूटी आदि का प्रयोग करते है। जबकि इनके स्थान पर हम साइकिल का प्रयोग करके अपने स्वास्थ को, पर्यावरण को शुद्ध बनाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। खास तौर से निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए तो साइकिल का प्रयोग एक वरदान से कम नही । यद्यपि आज समाज का हर वर्ग अपने आप को कमतर आंकने को तैयार नही है फिर भी मोटर साइकिल आदि वाहनों के प्रयोग करने के लिए धन की तो आवश्यकता होती ही है। थोड़ा समझे, तथा अपने आपको समझदार मानकर थोड़ी दूरी तय करने के लिए कम खर्चीली साइकिल का प्रयोग करना शुरु करें। साइकिल कम खर्चे के साथ, कम जोखिम के साथ, पर्यावरण को कम प्रदूषित करते हुए हमारी यात्रा को सफल बनाती है। आज समूचा विश्व प्रदूषण, स्वास्थ्य की समस्या के साथ- साथ मितव्ययता पर ध्यान देने की कोशिश कर रहा है इस दृष्टि से साइकिल का प्रयोग करना इस दिशा में एक सकारात्मक पहल सिद्ध होगी। कोरोना काल में लोगों ने साइकिल के महत्व को समझा और इसके प्रयोग मे वृद्धि भी हुई । समझदार लोग अपनी गाडियां छोड़ साइकिल पर आ गये और साइकिल का प्रयोग करके स्वास्थ लाभ कमाया। इसकी उपयोगिता एवं महत्व के मध्येनजर वर्ष 2018 से प्रतिवर्ष 3 जून को सयुंक्त राष्ट्र संघ ने विश्व साइकिल दिवस घोषित किया । स्वास्थ की दृष्टि से यदि हम विचार करें तो आज हमारे देश में वेट बढने, पेट बढने व अन्य आन्त्रिक तन्त्र के कमज़ोर होने की बीमारी पैर पसार रही है। एक्सपर्ट बताते है कि मनुष्य का स्वास्थ्य उसके वेट तथा पेट बढने के कारण खराब होता जा रहा है और इसके लिए सौ दवाइयों का प्रयोग ना करके मात्र आधा घण्टा साइकलिंग करके इस बीमारी का उपचार सरल तरीके से किया जा सकता है। साइकिल का प्रति दिन प्रयोग करके हम अपने फेफड़ो को मजबूत बना सकते है क्योंकि तेज गति से साँस लेने पर शुद्ध हवा फेफड़ों के भीतर आती जाती है और हमारे रक्त संचार के साथ- साथ फेफड़े भी मजबूत होते है । इम्यून सिस्टम मजबूत होता है । आज नींद ना आने की समस्या बढ रही है । कहते है अच्छी नींद आना अच्छे स्वास्थ का प्रतीक है। शरीर में रोगों की भरमार केवल उचित शारिरिक श्रम ना होने के कारण है और साइक्लिंग करना इसका एक सरलतम उपाय है। आज व्यस्कों में मोटर साइकिल प्रयोग करने की आदत अपने उच्चतम स्तर पर है । छोटी- छोटी दूरी तय करने में भी वाहन का प्रयोग कर रहे है इस कारण शारीरिक श्रम ना होने के कारण शरीर में बीमारियाँ लग जाती है। आप साइकिल का प्रयोग करके अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के साथ- साथ प्रदूषण जैसी समस्या को भी हरा सकते है। प्रदूषण के कारण साँस लेने तक में दिक्कतें हो रही है। इसी को ध्यान में रखकर सरकारी स्तर से भी वाहनों मे सी॰ एन॰ जी॰ का प्रयोग या इलैक्ट्रीक वाहनों का प्रयोग करने पर जोर दिया जा रहा है। मेरा मानना है कि सरकारी स्तर से किये जा रहे प्रयास काफी नही है इसके लिए हमें व्यक्तिगत रूप से सहयोग करना पड़ेगा । और मैं समझता हूँ कि पर्यावरण सुधार में साइकिल का प्रयोग एक क्रान्तिकारी प्रयास होगा। जरा सोचें तो कि हम भावी पीढी के लिए कैसा पर्यावरण तैयार कर रहे है । यदि हम इसी तरह ईधन युक्त वाहनों का प्रयोग करने में लगे रहे तो वह दिन दूर नही जब हमारे जीवन में सॉस लेने तक में खतरा पैदा हो जायेगा और हमारी व्यक्तिगत रूप से अर्थव्यवस्था लड़खड़ा जायेगी। यदि हमारा शरीर रोगमुक्त एवं फिट होगा तो हम आर्थिक रूप से भी मजबूत होंगे तथा कार्य करने में और अधिक सामर्थवान बनेगे इससे हमारा देश हर प्रकार से मजबूत होगा।

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