बाल विवाह एक दण्डनीय अपराध है, बाल विवाह कुरीति को समाप्त किये जाने हेतु जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा लोगों से की गई अपील
सुलतानपुर 15 अप्रैल/ जिला बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी/जिला प्रोबेशन अधिकारी वी0पी0वर्मा द्वारा अवगत कराया है कि अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह करने की रुढिवादी परम्परा समाज में आज भी विद्यमान है। इस वर्ष 22 अप्रैल 2023 को अक्षय तृतीया (आखा तीज) पड़ रही है। जनपद के समस्त सम्मानित प्रबुद्वजनों से अपील भी की है कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के निर्देशानुसार तथा शासन की मंशा के अनुरूप बालक/बालिकाओं के सर्वोत्तम हित के दृष्टिगत 22 अप्रैल 2023 को अक्षय तृतीया के अवसर पर किसी भी वर्ग के बाल विवाह को रोकने में हर सम्भव मदद करें। बाल विवाह अधिनियम 1929, यथा संशोधित 2006 के अन्तर्गत बाल विवाह करना/कराना दोनों तरफ से कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। इसके लिए सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराकर जुर्माना तथा सजा का प्रावधान है।
उन्होंने अवगत कराया है कि यदि कोई भी व्यक्ति/संस्था जिसकों बाल विवाह के सम्पन्न होने की जानकारी या बाल विवाह होने की सूचना प्राप्त, होने पर अपने इलाके के पुलिस अधिकारी, बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी 7518024030, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति आर0पी0शुक्ला 9453999370, सदस्य शिव मूर्ति पाण्डेय 9455589961, सदस्य सरिता यादव 9532650497,चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, पुलिस हेल्पलाइन 112, महिला हेल्पलाइन 181 एवं जिला मजिस्टेªट को लिखित या मौखिक रूप से सूचित कर सकते है।
उन्होंने यह भी अवगत कराया कि वह बालिका जिसने 18 वर्ष की आयु न पूरी की हो एवं वह बालक जिसने 21 वर्ष की आयु न पूरी की हो वह बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत कानूनी अपराध है ऐसे विवाह करवाने वाले व्यक्तियों या सम्मिलित होने वाले व्यक्तियों जैसे-पंडित, मौलवी, पादरी, माता-पिता एवं रिस्तेदार, दोस्त, प्रिंट प्रेस, टेंट व्यवसायी, मैरिज हाल, बैड बाजा, कैटर्स, फोटोग्राफर इत्यादि द्वारा बाल विवाह को सहमति देना, बढ़ावा देना या शामिल होने पर उनके विरूद्व दो वर्ष की कठोर कारावास/एक लाख जुर्माना या दोनो का प्रविधान है।