फतेहपुर। यमुना तट पर बसा व्यवसायिक कस्बा किशनपुर अपना अलग महत्व रखता है। कालिन्दी के किनारे बसी नगर पंचायत किशनपुर अनुसूचित वर्ग के लिये आरक्षित है। निवर्तमान अध्यक्ष सुरेन्द्र सोनकर पर भाजपा ने पुनः दांव लगा कर जीत की दावेदारी की है। दस वार्डों की इस नगर पंचायत में मतदाताओं की कुल संख्या-6598 है। भाजपा प्रत्याशी की अनुसूचित वर्ग में मजबूत पकड़ होने के साथ ही अन्य बिरादरी के मतदाताओं के बीच भी अच्छा व्यवहार जीत की राह को आसान बना सकता है, लेकिन भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं की बढ़ती गुटबाजी राह का रोड़ा बन रही है। पार्टी प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन में स्थानीय भाजपा विधायक का शामिल न होना चर्चा का विषय बन गया है। इस नगर पंचायत के वुनावी समर में कुल 14 प्रत्याशी चेयरमैन पद के के लिये अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
किशनपुर नगर पंचायत के कुल मतदाताओं 6598 में सर्वाधिक मतदाता-2786 सोनकर बिरादरी के हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने अजय कुमार, सपा ने रत्ना देवी और बसपा ने रामहरी सभी ने सोनकर बिरादरी से ही अध्यक्ष पद के प्रत्याशी चुनावी रणभूमि में भेजा है। इस नगर पंचायत में करीब एक हजार मतदाता सिंगरौर बिरादरी के हैं जो दूसरे नंबर पर आते हैं। ब्राम्हण लगभग 450 है तो मुस्लिम मतदाताओं की संख्या-700 है। वैश्य वर्ग के 765 एवं यादव बिरादरी के करीब डेढ़ सौ मतदाता शामिल हैं। बाल्मीकि, धोबी, कोरी व जाटव मिल कर करीब 300 मतदाता हैं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि किशनपुर नगर पंचायत में भाजपा फिर से बाजी मार सकती है, लेकिन स्थानीय भाजपा विधायक का अगर अन्दर से विरोधी रूख बना रहा तो उनके प्रभाव में रहने वाला सिंगरौर बिरादरी का एक हजार मतदाता असमंजस की स्थिति में पड़ कर भाजपा प्रत्याशी के चुनावी सफर को बड़ा झटका दे सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कांग्रेस, सपा व बसपा ने सोनकर समाज से प्रत्याशी उतार कर भाजपा प्रत्याशी के सजातीय मतों में बंटवारा की नींव डाल दी है।
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सिंगरौर मतदाता कर सकते भाजपा से किनारा?
किशनपुर नगर पंचायत में सिंगरौर बिरादरी के मतदाता दूसरे नंबर पर आते हैं। सोनकर बिरादरी के बाद इस बिरादरी की ही बड़ी जमात है। वैसे तो सिंगरौर मतदाता पूरी तरह से भाजपा समर्थक हैं, लेकिन वर्ष 2022 में सोनकर और सिंगरौरों के बीच होली में हुये विवाद के बाद संबंधों में खाईं खुद गई है। स्थानीय जानकारों की माने तो सिंगरौर मतदाता भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में तभी आ सकते हैं जब स्थानीय विधायक मध्यस्थता कर दोनो के बीच चली आ रही गहरी खाईं को पाटने का काम करें, जो संभव नहीं दिखाई देता है। इन सबके बावजूद किशनपुर नगर पंचायत में सत्तारूढ़ दल की सजातीय मतदाताओं में मजबूत पकड़ और अन्य फुटकर मतों की संेधमारी चुनावी वैतरणी पार कराने में सफल हो सकती है।