नियमित सफाई व व्यायाम से फाइलेरिया रोगियों को मिल रहा लाभ – सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से मरीजों को दिया प्रशिक्षण

फतेहपुर। भिटौरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत सकूलपुर पर फाइलेरिया ग्रस्त मरीजों को रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) के बारे में प्रशिक्षित किया गया। यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य विभाग के तत्वाधान और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से संपन्न हुआ। सहायक जिला मलेरिया अधिकारी कीर्ति रंजन ने फाइलेरिया मरीजों का हालचाल जाना। पिपरी माता फाइलेरिया सहायता समूह के सदस्य सविता देवी ने फाइलेरिया ग्रस्त अंग की समुचित देखभाल और व्यायाम से हुए लाभ के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब पहले जैसा बुखार नहीं आता है। नेटवर्क की मीटिंग या किसी जागरूकता कार्यक्रम में जाने में अब कोई परेशानी भी नहीं होती है। कुछ लोग पूछ भी लेते हैं कि वहां जाने से क्या फायदा होगा तो बताते हैं कि पहले की अपेक्षा आराम मिला है तभी हम जाते हैं। इसके अलावा दूसरों के आराम का भी तो ख्याल रखना है।
सहायक मलेरिया अधिकारी कीर्ति रंजन ने फाइलेरिया प्रभावित मरीजों से कहा कि आजकल वायरल बुखार तथा किसी अन्य बीमारी की दवा की जरूरत तो तो पीएचसी पर उपलब्ध हैं, उसका लाभ उठा सकते हैं। मरीजों को बताया कि फाइलेरिया को हाथी पांव भी कहते हैं। यह मच्छर के काटने से होता है। यदि किसी को यह बीमारी हो गई तो वह ठीक नहीं होती है केवल प्रबंधन ही किया जा सकता है परंतु फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर इससे बचा जरूर जा सकता है। पाथ संस्था से आए डॉ अनिकेत ने बताया कि देखभाल के अलावा घर और आस-पास मच्छर जनित परिस्थितियां उत्पन्न न होने दें। मच्छरदानी लगाकर सोएं। मच्छर रोधी क्रीम या अगरबत्ती का प्रयोग करें। पानी इकट्ठा है तो उसमें जले हुए मोबिल ऑयल या मिट्टी के तेल की बूंदें डाल दें। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल और नियमित व्यायाम से सूजन में आराम मिलता है। इसलिए यहां पर फाइलेरिया प्रभावित अंगों के देखभाल और व्यायाम के जो भी तरीके बताए जा रहे हैं, फाइलेरिया मरीज उनका नियमित रूप से अभ्यास जरूर करें और उन्हें अमल में लाएं। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोड़ कर सभी को दवा का सेवन करना है।

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